फिल्म समीक्षा: द फ्लैश – डीसी सिनेमैटिक यूनिवर्स (Movie Review: The Flash – DC Cinematic Universe)
मल्टीवर्स का टकराव – द फ़्लैश की फिल्म समीक्षा (The Clash of the Multiverse – Movie Review of The Flash)
नमस्कार मित्रों, वैसे तो सुपरहीरो फिल्मों का बाज़ार जरा हल्का चल रहा हैं लेकिन डीसी कॉमिक्स के पात्र ‘फ़्लैश’ (Flash) पर आधारित नई फिल्म दर्शक वर्ग को पसंद भी आ रही हैं। पिछले हफ़्ते प्रदर्शित इस फ़िल्म को दर्शकों का मिला-जुला प्रतिसाद मिला हैं जिसके कई कारण हैं, हालाँकि मुझे यह फ़िल्म काफी अच्छी लगी और यह दर्शक वर्ग को शुद्ध मनोरंजन प्रदान करने में सफ़ल दिखाई पड़ती हैं। अपने प्रसिद्ध कॉमिक बुक श्रृंखला ‘द फ़्लैशपॉइंट’ से उलट आपकों बड़े पर्दे पर कुछ नया देखने को मिलता हैं और ‘द फ़्लैशपॉइंट पैराडॉक्स’ जो की डीसी एनिमेटेड यूनिवर्स में कुछ वर्ष पहले रिलीज़ हुई थीं, उसे भी कॉमिक्स पढ़ने वाले पाठकों एवं दर्शकों ने काफी पसंद किया था। कहानी का मुख्य विचारधारा सीधे ‘फ़्लैशपॉइंट’ कॉमिक्स से ली गई हैं हालाँकि सिनेमैटिक यूनिवर्स का अनुकूलन ग्राफ़िक नॉवेल से बिलकुल अगल हैं।
द फ़्लैश – स्टोरी (The Flash – Story)
बैरी एलन अका’ फ़्लैश सेंट्रल सिटी कि अपने जिंदगी में व्यस्त हैं, उसे अपने पिता की चिंता हैं जिनका कोर्ट ट्रायल एक दिन बाद हैं एवं अपने पत्नी की हत्या के जुर्म में वो कई साल जेल में काट चुके हैं। बैरी की दोस्त (जिसे वो पसंद भी करता हैं) एक पत्रकार हैं और वो उसके पिता के मामले को अख़बार के लिए कवर भी कर रही हैं। फ़िल्म की शुरुवात बेहद शानदार हैं जहाँ आपको जस्टिस लीग की एक झलक भी दिखाई पड़ती हैं और वंडर वुमन का एक शनदार कैमियो भी देखने को मिलता हैं। बेन अफ्फ्लेक सबसे जबरदस्त नजर आते हैं और उनका ये शायद डीसी यूनिवर्स में यह अंतिम मुकाम होगा। यहाँ एक्शन भरपूर हैं एवं दर्शक फ़्लैश के स्लो-मोशन का आनंद ले सकते हैं (ठीक वैसे ही जैसे एक्स मैन की फिल्मों में ‘क्विक स्लिवर’ का द्रश्य)। खैर, अपने पिता से बात करने के बाद बैरी का मन दुखी हैं और वो उन्हें कैसे भी कानून के शिकंजे से बाहर निकालना चाहता हैं। क्रोध और हताशा में वो बड़ी तेज़ी से दौड़ लगता हैं, इतनी तेज़ी से वो कभी नहीं भागा था एवं अपने यूनिवर्स के आवरण को तोड़ता हुआ वो स्पीडफ़ोर्स के एक अलग आयाम में दाखिल होता हैं। बस कहानी यहीं से अलग मोड़ ले लेती हैं और बैरी के मन में यह ख्याल आता हैं की अगर वो इतिहास में पीछे जाकर अपनी माँ को बचा लेगा तो सब सही हो जाएगा। ब्रूस (बैटमैन) उसे ऐसा करने से रोकता हैं और समझाइश देता हैं की उसे ऐसा नहीं करना चाहिए और जो हो गया उसे अपनी किस्मत मानकर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। पर ‘बैरी’ भागा और उसने जाकर इतिहास बदला!! ऐसा की सबकुछ बदल गया। बीच में एक रहस्यमय किरदार भी दिखाई पड़ता हैं जो बैरी पर हमला करता हैं। क्या बैरी अपने कार्य में सफल हुआ? वो रहस्यमय किरदार कैन था? बाकी नायक कहाँ थें और इस बदलाव का उनपर क्या प्रभाव पड़ा? ऐसे ही सवालों को टटोलती डीसी सिनेमैटिक यूनिवर्स यह फ़िल्म – ‘द फ़्लैश’ जो इस यूनिवर्स को अपने समापन तक पहुँचती हैं।
फिल्म के खास पक्ष (Highlights Of The Film)
यह एक भावनात्मक और मनोरंजक फ़िल्म हैं। सभी पात्रों ने अपने किरदार के साथ न्याय किया हैं और ‘एर्ज़ा मिलर अका बैरी एलन अका द फ़्लैश’ अपने अभिनय में काफ़ी जमें हैं। 30 वर्षों के बाद माइकल कीटन के बैटमैन को देखना अच्छा लगता हैं, सुपरमैन की जगह सुपरगर्ल पर्दे पर नजर आती हैं जो दर्शकों को उत्साहित करती हैं एवं कुछ हटके भी दिखाई पड़ती हैं। मल्टीवर्स का कांसेप्ट अच्छा हैं और जनरल जॉड ने फिर से पृथ्वी पर कोहराम मचाया हुआ हैं। फ़िल्म का क्लाईमैक्स सबसे शानदार हैं और पुराने दर्शकों को उसे देखकर बहुत आनंद आएगा। यहाँ आपको डीसी कॉमिक्स के पुराने नायकों से रूबरू होने का मौका मिलेगा। फ़िल्म का अंत भी आपको चौंका देता हैं लेकिन पोस्ट क्रेडिट वाले द्रश्य को अच्छे से भुनाया नहीं गया हैं। अगर आप शुद्ध मनोरंजन पसंद करते हैं तो यह फ़िल्म जरुर देखें, अगर आप सब अपनी माँ से प्यार करते हैं तो यह फ़िल्म उस आगाध प्रेम को दर्शाने में पूर्ण रूप से सफ़ल हुई हैं। जैक स्नाईडर के फैन्स के लिए भी यह एक ट्रीट जैसा हैं जिसे पॉपकॉर्न के साथ बिलकुल एन्जॉय किया जा सकता हैं।
फिल्म के कमज़ोर पक्ष (Weak Sides Of The Film)
यह फ़िल्म बैटमैन या कहें बैटमैन बने अभिनेता ‘बेन अफ्फ्लेक’ की अंतिम अभिनीत फ़िल्म भी हो सकती हैं, उनका बड़े पर्दे पर बैटमैन बनना बिलकुल कॉमिक्स के पृष्ठों से बाहर आने जैसा हैं जिसे दर्शक जरुर मिस करेंगे। डीसी यूनिवर्स इसके बाद रीबूट होगा और शायद कुछ पुराने पात्र आपको अब देखने नहीं मिलेंगे एवं उनमें हमारा प्रिय सुपरमैन यानि की हेनरी केविल भी शामिल हैं। फ़िल्म का वीऍफ़एक्स भी ठीक-ठाक हैं और वैसे भी ‘मार्वल’ आजकल कौन सा अच्छा कर रही हैं, बिलकुल बराबर की टक्कर हैं। मल्टीवर्स में फ़िल्म थोड़ी धीमी पड़ जाती हैं और हल्की-फुलकी न्यूडीटी भी फ़िल्म में बेमतलब की ठूंसी गई हैं। खलनायक जनरल जॉड को भी सही तरीके से इतेमाल नहीं किया गया हैं।
निष्कर्ष (Verdict)
अगर आप डीसी सिनेमैटिक यूनिवर्स के प्रशंसक हैं तो आपको यह फ़िल्म ज़रूर देखनी चाहिए। डीसी कॉमिक्स के पात्र पसंद हैं तो यह फ़िल्म उन्हें भी अच्छे से दर्शाने में सफल हुई हैं। पुराने हॉलीवुड के अभिनेताओं के प्रशंसक हैं तो यह उस पर भी खरा उतरती हैं। एक्शन, इमोशन, वीऍफ़एक्स और मनोरंजन पसंद करते हैं तो यह फ़िल्म आपके लिए ही बनी हैं। बॉक्स ऑफिस पर इसका प्रदर्शन कोई खास नहीं हैं पर उस फेर में ना पड़े और इसे सिनेमाघर में ही देखने जाएँ।
कॉमिक्स बाइट के विचार (Comics Byte Insights)
एक ओर जहाँ 600 करोड़ में बनी अदिपुरूष (Adipurush) जैसी फ़िल्में हमारे धर्म का मजाक बना रहीं हैं वहीँ द फ़्लैश फ़िल्म के एक द्रश्य में बैरी के घर में भगवान हनुमान जी का एक बड़ा पोस्टर दिखाई पड़ता हैं। हुनमान जी को ‘पवनपुत्र’ भी कहा जाता हैं जो तीव्र गति से कहीं भी आ-जा सकते हैं, रामायण में कागभुशंडी का भी एक अध्याय हैं जहाँ वो मल्टीवर्स यानि की अनंत आयामों एवं ब्रह्मांडों का ज्ञान देते नजर आते हैं और हनुमान जी को भी यह बात रामायण के अंत में ज्ञात होती हैं की हर ब्रह्मांड में ‘राम’ का स्वरुप बस मर्यादा पुरुषोत्तम का ही हैं, इसलिए वो सर्वश्रेष्ठ हैं और समाज के असली ‘आदिपुरुष‘ भी। आज हॉलीवुड में जहाँ अपने पुरातन इतिहास को सराहा जा रहा हैं, वहीँ भारत में आदिपुरुष जैसी फ़िल्में बस एक उपहास का जरिया मात्र हैं। भले ही आगे द फ़्लैश की कोई फ़िल्म ना आए, पर इस फ़िल्म ने डीसी यूनिवर्स को ‘रेडीम’ (Redeem) तो अवश्य किया हैं, आभार – कॉमिक्स बाइट!!
The Flash – A Celebration of 75 Years