मनोज कॉमिक्स के पहले सेट का विंटेज विज्ञापन (Vintage Advertisement Of The First Set Of Manoj Comics)
कॉमिक्स बाइट विंटेज विज्ञापन सीरीज़ – सदाबाहर ‘मनोज कॉमिक्स’ के पहले सेट का ऐतिहासिक विज्ञापन! (Comics Byte Vintage Advertisement Series – Historic Advertisement Of The First Set Of Evergreen ‘Manoj Comics’!)
मनोज कॉमिक्स (Manoj Comics) का नाम सुनते ही अधरों पर एक मुस्कान खिल जाती है, अब हवालदार बहादुर और क्रूकबांड सरीखें नायकों की चित्रकथाओं का आलम यही था की पाठक अपने हंसी को ज्यादा देर तक थाम के रख ही नहीं सकता था। उनके तकियाकलाम आपको हास्य की वह खुराक देते थे जिसे आज के दौर ढूंढना बड़ा की कठिन होता जा रहा है। आज के सुस्त और आरामपसंद जीवनशैली में स्वस्थ मनोरंजन के रास्ते वाकई में बड़े कम हो चले है और हमारा बाल मन कॉमिक बुक आर्टिस्ट स्वर्गीय जितेंदर बेदी जी के चित्रों और श्री अंसार अख्तर जी की कहानियों से बाहर आज भी नहीं निकल पाता है। इसे नास्टैल्जिया कहना गलत होगा क्योंकि उन सादी-सच्ची चित्रकथाओं का आज भी कोई मोल नहीं लगा सकता। अब ‘हवालात में सड़ा दूंगा‘ जैसे संवाद नहीं दिखाई पड़ते और ना ही बापू ‘धमकासिंह’ के मार से जासूस क्रुकबांड की नीदें टूटती है। पर मनोज कॉमिक्स इन पात्रों के अलावा भी अपने अन्य महानायकों “राम-रहीम, तूफ़ान, त्रिकालदेव, आक्रोश, अजगर और इंद्र” से भी पहचानी जाती थी जिनका बड़े चाव से लाइब्रेरीज़ में इंतजार रहता था कॉमिक्स प्रशंसकों को। इसकी शुरुवात एक तरीके से ‘मनोज चित्र कथा’ से हुई थी जिसमें कुल 4 कॉमिक्स प्रकाशित हुई थी और आज हम देखने वाले है उसी सेट के उन चार कॉमिक्स का श्वेत और श्याम मुद्रित विज्ञापन।
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इस विज्ञापन को महाबली शेरा कॉमिक्स से लिया गया है जिसमें चारों कॉमिक्स के ‘थंबनेल’ है, साथ ही प्रकाशक ‘मनोज पॉकेट बुक्स’ के नाम के साथ वितरक ‘राजा सेल्स कॉरपोरेशन’ का भी नाम दिखाई पड़ता है। भारतीय कॉमिक्स जगत में पेड़ एक ही है और आज जितने भी पुराने प्रकाशकों के नाम हम सभी सुनते है उनमें से कई बस एक ही परिवार से आते है। यहाँ लेखक के नाम के आगे श्री विमल चटर्जी जी का जिक्र है जिन्होंने ना जाने कितने ही कॉमिक्स के नगीने हम पाठकों को अपनी कलम से पढ़ने को दिए और वही चित्रांकन में कॉमिक बुक आर्टिस्ट श्री चित्रक जी का नाम टंकित है जिनके बारे में श्री संजय गुप्ता जी, श्री मनोज गुप्ता जी और आर्टिस्ट श्री अनुपम सिन्हा जी कई बार अपने आलेखों में जिक्र कर चुके है।
मनोज कॉमिक्स के इस पहले सेट के बारे में जानने के लिए पढ़ें हमारा एक पुराना आलेख: मनोज कॉमिक्स पहला अंक (Manoj Comics First Issue)
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कोरोनाकाल और लॉकडाउन के बाद एक बार फिर मनोज कॉमिक्स ने लगभग डेढ़ दशकों बाद पुन: मुद्रण का सूर्योदय देखा और उनके कई नए मुद्रित संस्करण भारतीय पाठकों को क्रय और पढ़ने के लिए उपलब्ध हुए। “अब पता नहीं वो वक्त कब आएगा, जब मन फिर से किताब-कॉमिक्स के सागर में डुबकी लगाएगा, हो सकता है आगे कई दौर और भी आएं, पर पुराने कॉमिक्स का ये दीवानापन हमेशा कायम रहेगा“। आभार – कॉमिक्स बाइट!!
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