त्रिकालदेव (Trikaldev)
काल का अर्थ होता है समय और समय की तीन अवस्थाएँ होती है जिसे हम भूत, वर्तमान और भविष्य के रूप में भी जानते है, इन तीन कालों को त्रिकाल कहते है. ऐसा ही एक किरदार था मनोज कॉमिक्स में और उसका नाम था त्रिकालदेव (Trikaldev), जो मेरे ख्याल से इन तीन कालों में ही सक्रिय था. मनोज कॉमिक्स ने करीब 2 दशकों से ज्यदा समय तक पाठकों के दिलों पर राज किया और उसका कारण उसके बेमिसाल किरदार और जमीन से जुड़ी कहानियाँ रही. त्रिकालदेव ने भी इस सफलता में अपना योगदान दिया. मैंने त्रिकालदेव पर एक संस्मरण भी लिखा है जो मेरी त्रिकालदेव से पहली मुलाकात थी (आप उसे यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते है – त्रिकालदेव).
त्रिकालदेव कौशल राज्य का युवराज था और कौशल नरेश का पुत्र. पृथ्वी पर पाप बहोत बढ़ गए जिसका कारण था पिशाच ‘कंकालकेतु’, तब कौशल नगर के बाहर ऋषि ‘अग्निवेश’ ने भगवान ‘अग्निदेव’ की उपासना की और उनसे प्राप्त की ‘दिव्यशक्ति’ नामक दिव्यास्त्र. कंकालकेतु ने अपने शक्ति प्रदर्शन से ‘दिव्यशक्ति’ को प्राप्त कर लिया और उसे ‘सिद्ध’ करने में जुट गया, ऋषि अग्निवेश ने गंभीर स्थिति को समझते हुए कौशल नरेश से उनके पुत्र ‘त्रिकालदेव’ को दक्षिणा स्वरूप मांग लिया एवं उसे बल, बुद्धि और अन्य विलक्षण शक्तियां प्रदान की ताकि वो कंकालकेतु से लड़ाई के लिए तैयार हो सके. अपनी शिक्षा समाप्त कर त्रिकालदेव दुष्ट ‘कंकालकेतु’ का अंत करने निकल पड़ता है और रस्ते की सारी बाधाओं को तोड़कर उनका विनाश कर देता है एवं साथ ही पिशाच ‘कंकालकेतु’ अंत भी. दिव्यशक्ति को अपने कब्ज़े में लेने के बाद वो उसे ऋषि अग्निवेश को वापस सौंप देता है लेकिन ऋषि के आग्रह करने पर ‘त्रिकालदेव’ मानवता की रक्षा का बीड़ा उठाने को तैयार हो जाता है. आपको ये कहानियाँ ‘त्रेता युग’ से ‘द्वापर युग’ के बीच के समय में लें जाएँगी और त्रिकालदेव हमें अकसर दैत्य, दानव और पिशाचों से जूझते मिलेंगे. त्रिकालदेव भविष्य में भी आ चुका है और उसका नया रूप आप ‘लहू लूट’ नामक कॉमिक्स के आवरण में देख सकते है.
त्रिकलदेव के पहली कॉमिक्स थी ‘त्रिकालदेव’ और इसकी संख्या क्रमांक थी #820 (मनोज कॉमिक्स). ये मनोज कॉमिक्स का सेट नंबर 118 था. पाठकों की सुविधा के लिए नीचे त्रिकालदेव के बारे में कुछ रोचक जानकारियां दी गई है.
त्रिकालदेव के बारे में खास जानकारी –
पब्लिकेशन: मनोज कॉमिक्स (मनोज पब्लिकेशन)
नाम: त्रिकालदेव
पिता एवं गुरु: कौशल नरेश और ऋषि अग्निवेश
कार्यक्षेत्र: कौशल राज्य
कर्म: मानवता की रक्षा
साथी: थिम्पू और ओनस
युद्ध घोष: ‘जय अग्निदेव’/’तिकुदे’
ताकत –
- त्रिकालदेव साधारण मनुष्य था पर ऋषि अग्निवेश ने उसे आग में तपा कर कुंदन बना दिया और उसने बहोत सी सिद्धियाँ प्राप्त की.
- त्रिकालदेव ‘दिव्यशक्ति’ धारक है जो की एक तलवार है, ऋषि अग्निवेश वो दिव्यास्त्र स्वमं भगवान ‘अग्निदेव’ से प्राप्त किया था, ये बेहद घातक अस्त्र है और तंत्र मंत्र के वार इस पर विफ़ल है.
- त्रिकालदेव अपनी दोनों आँखों से भयानक किरणें छोड़ सकता है, इसके भी दो रूप है. एक किरण चीजों को पल भर में राख़ कर सकती है वहीँ दूसरी सर्द भी कर सकती है.
तथ्य –
- त्रिकालदेव समयधारा में यात्रा कर सकता है (काली खोपड़ी* और ड्रैकुला का प्रेतजाल*).
- त्रिकालदेव बेहद बलशाली और वीर है, वो हवा में उड़ भी सकता है.
- त्रिकलदेव पर स्वयं ‘त्रिदेव’ की कृपा है [त्रिदेव – ब्रम्हा, विष्णु और महेश].
- ड्रैकुला का हराने में त्रिकालदेव की अहम् भूमिका थी. [ड्रैकुला सीरीज मनोज कॉमिक्स (Manoj Comics) की सबसे जबरदस्त सीरीज कही जा सकती है]
- क्रुकबांड भी त्रिकालदेव के खास मित्रों में से है.
- त्रिकालदेव कई दुसरे सुपर हीरोज के साथ भी दिख चुका है (काली खोपड़ी*, ड्रैकुला का प्रेतजाल*, त्रिकालदेव और क्रुकबांड, अजगर और त्रिकालदेव*, अजगर की मौत*).
- पहली कॉमिक्सों में त्रिकालदेव ‘जय अग्निदेव’ कहता था जो बाद में ‘तिकुदे’ लिखा जाने लगा.
- त्रिकालदेव का साथी थिम्पू अपनी गर्दन रबर की तरह खींच सकता था और इसे आप उनके कई कॉमिक्स के आवरण पर अक्सर देख सकते थे.
त्रिकालदेव और विनाशक
साभार: मनोज कॉमिक्स
त्रिकालदेव की लेखिका थीं ‘नाजरा खान’ जी और चित्रकार थे ‘बने सिंह राठौर’ जी, इस कार्य में उनका सहयोग किया करते थे ‘जी.एस.राजावत’ जी के साथ ‘गीता’ जी एवं ‘विजय’ जी. बाद में ‘अनिल आनन्द’ जी का नाम भी त्रिकालदेव के लेखकों में शुमार हो गया और इसके संपादक रहे ‘संदीप गुप्ता’ जी. त्रिकालदेव के आवरण इसके कॉमिक्स की शोभा चार गुना बढ़ा देते थे, उसकी वजह थी ‘कदम स्टूडियोज’ का बेहतरीन आर्टवर्क और कई कॉमिक्स के कवर्स बेहद ही खूबसूरत थे.
त्रिकालदेव की कथा भी मनोज कॉमिक्स के बंद होने से थम गई लेकिन किरदार वाकई में काफी दमदार था. उम्मीद करता हूँ आपको त्रिकालदेव के बारे में ये जानकारी पसंद आई होगी, आभार – कॉमिक्स बाइट!