राज कामिक्स “पुराने विज्ञापन” – नंदन (Raj Comics Vintage Ads – Nandan Magazine)
क्या आप जानते है जब भी कोई उत्पाद बाज़ारों में उतरता है तो वह कौन सा पक्ष है जिसका ध्यान सबसे ज्यादा रखा जाता है? जी ज्यादातर लोगों का जवाब होगा गुणवत्ता! लेकिन उसका पायदान दूसरा है क्योंकि पहले पायदान पर हमेशा ‘विपणन’ ही आएगा जिसे अंग्रेजी के आम बोल चाल भाषा में मार्केटिंग भी कहा जाता है। डायमंड कॉमिक्स ने इसका भरपूर इस्तेमाल किया और वो कई बाल पत्रिकाओं से लेकर पाक्षिक एवं मासिक पत्रिकाओं तक में अपने विज्ञापन प्रकाशित करवाते रहे। राज कॉमिक्स भी इस पक्ष में पीछे नहीं रही और आज हम देखने वाले है एक ऐसे ही विंटेज और पुराने विज्ञापन को जिसे वक्त के बक्से से वापस निकाल कर लाए हैं ‘श्री राज कुमार जी’। राज जी “गया” (बिहार) के निवासी है एवं हमारें विशेष आग्रह पर वो पाठकों के लिए लेकर आए हैं इस पुराने विज्ञापन को!!
इस विज्ञापन को कुछ पाठकों ने भी कभी तो जरुर देखा होगा जो आज 30-45 आयु वर्ग में आते है और यह उन्हें अपने अतीत में ले जाकर गोते ज़रूर लगाएगी। हालाँकि इन विज्ञापनों की स्तिथि बहुत अच्छी नहीं है फिर भी इन्हें इतने सालों बाद देखने का भी अलग सुकून है। आज के बदलते दौर में बाल पत्रिकाएँ लगभग समाप्त हो गई है, बाल साहित्य का कोई ठौर ठिकाना नहीं है, बड़े प्रकाशक ताला जड़ कर नंदन, चंदामामा और नन्हें सम्राट जैसे पत्रिकाओं को बंद कर चुके हैं। और हाँ! यहाँ विशेषकर हिंदी भाषा की बात हो रही है क्योंकि पाठक सबसे ज्यादा हिंदीभाषी ही थे लेकिन दशक बदलने के साथ भाषा एवं शैलियों में भी परिवर्तन आया हिंदी को कहीं दरकिनार कर लोगों ने अंग्रेजी से नाता जोड़ लिया।
खैर इन बातों के बीच में आप ये ना भूल जाएं की यहाँ अब आप सभी देखने वाले है नब्बे के दशक का एक पुराना विज्ञापन जिसने अपने दौर में प्रकाशित होकर सनसनी मचा दी थी! इच्छाधारी नाग कालदूत पहली बार इसी कॉमिक्स में नजर आए थे।
नागराज और कालदूत (वर्ष – अज्ञात) – “Nagraj Aur Kaaldoot“
नागसम्राट नागराज की कालदूत से पहली एवं अनोखी टक्कर। विज्ञापन और आवरण में कोई विशेष अंतर नहीं दिखाई पड़ रहा है पर आप विज्ञापन में नागराज को उसके ओवरकोट के साथ देख सकते है, वहीँ मुख्य आवरण में नागराज एक्शन में है और उसके पीछे एक गुफा के द्वार पर राजकुमारी विसर्पी भी खड़ी दिखाई पड़ रही है।
Raj Comics
विज्ञापन एवं आवरण पर कार्य किया है कॉमिक्स कला जगत के पितामह श्री प्रताप मुल्लिक जी ने और इस कॉमिक्स से पहले नागराज की सत्रह रोमांचक कॉमिक्स बाज़ारों से होकर पाठकों के दिलों तक पहुँच चुकी थी। कॉमिक्स के साथ नागराज का कैलेंडर भी मुफ्त दिया गया था जो शायद ही किसी कॉमिक्स कलेक्टर के पास मिलें लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है और कॉमिक्स प्रेमी भी। इसलिए क्या पता, कल कोई और हमारे साथ उसे साझा करे। आशा की किरण हमेशा जला कर रखें।
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इस विज्ञापन से साथ अब विदा लेता हूँ मित्रों एक बार फिर मिलेंगे किसी और विंटेज विज्ञापन के साथ, आभार – कॉमिक्स बाइट!!