राज कॉमिक्स स्थापना दिवस! (Raj Comics Founders Day!)
राज कॉमिक्स के संथापक श्री राज कुमार गुप्ता की जयंती पर विशेष घोषणा – राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता। (Special announcement on the birth anniversary of Raj Comics founder Shri Raj Kumar Gupta – Raj Comics by Manoj Gupta.)
मित्रों जब भी किसी संस्था का उदय होता है, तब उसके तब उसके उपभोक्ताओं के प्रतिसाद के अनुसार उसकी आगे की राह और प्रगति तय होती है। राज कॉमिक्स का उत्थान भी समय के साथ हुआ जब उन्होंने ‘नागराज’ जैसे महानायक को कॉमिक्स के पृष्ठों पर प्रस्तुत किया और उसके बाद निरंतर समय पर ‘सेट दर सेट’ वो नए-नए नायक और कॉमिक्स पाठकों को उपलब्ध करवाते रहे। इसके पीछे दूरदर्शिता थी राजा पॉकेट बुक्स और राज कॉमिक्स के संस्थापक स्वर्गीय ‘राज कुमार गुप्ता’ जी की जिन्होंने अपने तीन बेटों श्री संजय गुप्ता, श्री मनोज गुप्ता एवं श्री मनीष गुप्ता के साथ मिलकर ‘भारत’ को उसके खुद के सुपरहीरोज प्रदान किए जो आज लगभग 4 दशकों के बाद भी हम सभी का मनोरंजन कर रहे है।
वो भारतीय कॉमिक्स जगत के ‘ऑल फादर’ भी कहे जाते है और शायद ही उस दौर में कोई इस नाम से अंजान रहा होगा। कितने ही आज के स्थापित कॉमिक बुक आर्टिस्टों एवं क्रिएटिव्स को उन्होंने राज कॉमिक्स के माध्यम से मौका दिया, जो आज अपने कला से भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में अपना डंका बजा रहे है। आज उनके जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में, यह मौका है कॉमिक्स जगत के इस महापुरुष को पुष्प अर्पित करने का और उनके योगदान को याद कर यह प्रण लेने का की ‘जुनून’ की इस ज्वाला को राज कॉमिक्स का प्रशंसक वर्ग कभी सर्द नहीं पड़ने देगा। राज सर को कॉमिक्स बाइट और कॉमिक्स जगत की ओर से श्रद्धांजलि और नमन।
श्री मनोज गुप्ता जी ने भी इस अवसर पर अपने मन के उद्गार सोशल मीडिया में प्रकट किए और राज सर के लिए खास घोषणा भी की। मनोज जी कहते है:
सभी मित्रों को नमस्कार।
आज राज कॉमिक्स का फाउंडर्स डे है। स्वर्गीय श्री राज कुमार गुप्ता जी ने आज से लगभग 40 वर्ष पहले राज कॉमिक्स की स्थापना की थी। आज श्री राज जी का 78 वां जन्मदिन है। उनके द्वारा अनेकों मंत्र सीख के रूप में मुझे मिले, उनमें से एक मैं आपसे शेयर कर रहा हूं।
आपने देखा होगा राज कॉमिक्स के प्रचार बजट का अधिकतम हिस्सा नागराज पर ही खर्च होता था,और नागराज कॉमिक्स की साज सज्जा और कहानियों पर ही सर्वाधिक मेहनत की जाती थी। उनकी बात आज एकदम सही प्रतीत होती है, यदि हम अपने सीमित संसाधनों को सभी चरित्रों पर व्यय करते तो शायद नागराज 5 लाख प्रतियों का रिकॉर्ड ना तोड़ पाता और राज कॉमिक्स को इतना बड़ा फैन बेस ना मिला होता, वो अक्सर कहते थे इंजन को मजबूत करो वो सभी डब्बों को खींच ले जायेगा।
मैं उनके सभी प्रशंसकों से निवेदन करूंगा कि आज उनके स्मरण में अपने कलेक्शन से एक राज कॉमिक निकाल कर उसका अवलोकन करें। मैंने और आयुष ने आज ये सोचा है कि श्री राज जी के कॉमिक समर्पित जीवन के ऊपर एक कॉमिक बनाई जाए हमने आज से ही इस पर काम शुरू कर दिया है।इसका नाम होगा:
“राज की राज के राज का राज़”
“The Secret of Rule of RC of Mr.Raj.”
ओपनिंग फ्रेम:
वर्ष 1962 दिल्ली जं रेलवे स्टेशन, एक ट्रेन के स्टीम इंजन से भाप का गोला छूट रहा है, प्लेटफार्म के इस तरफ एक कार्यालय है, अनक्लेम्ड पार्सल ऑक्शन, कार्यालय के बाहर गहमा गहमी का माहौल, भीड़ भाड़, 17 बरस का एक नवजवान कार्यालय के दरवाजे से एक भारी सा बंडल कंधे पर लादे बाहर आ रहा है, चेहरे पर एक अजीब सा जुनून, बला की तेजी, तभी अचानक अफरा तफरी मच जाती है, ‘सांप सांप’, लड़का एक पल के लिए रुकता है, एक भयानक कोबरा उसके दोनो पैरों के सामने आ जाता है, बंडल धड़ाम से जमीन पर गिरकर फट जाता है, उसमें से ढेरो किताबें निकल कर फैल जाती हैं, किताबों के नाम है “बारूद, लाल–रेखा”, चिंगारी प्रकाशन वाराणसी।
कॉमिक्स और नॉवेल पढ़ने वाले पाठक कभी ना कभी इस नाम से रूबरू जरुर हुए होंगे। हम सभी के बचपन में नए कॉमिक्स के लिए बुक सेलर्स के दुकान और लाइब्रेरी के चक्कर लगाना एक आम बात थी, कभी कुछ रूपये जोड़ कर उस 5-7 रुपये की कॉमिक्स खरीदना या किसी सफ़र पर माता-पिता द्वारा खरीदी गई रेलवे स्टेशन के बुक स्टाल से एक कॉमिक्स की खुशी, आज के लाखों रुपये नहीं दिला सकते! चाहे स्कूल की किताबों में छिपा कर नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव के कॉमिक्स पढ़ना हो, या कॉमिक्स एक्सचेंज के नाम पर जिगरी दोस्तों के बीच तनातनी! उस खुशगवार बचपन और नास्टैल्जिया के लिए आज ‘राजकुमार गुप्ता’ जी की याद जरुर करें और आगे के पीढ़ियों को उनके इतिहास से अवगत करवाएं, आज भी राज कॉमिक्स आपका मनोरंजन करने में पूर्ण रूप से तत्पर है। “राज कॉमिक्स है मेरा जुनून“! थैंक यू राज सर, आभार – कॉमिक्स बाइट!!