राज कॉमिक्स प्रथम सेट 1986 – राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता (Raj Comics First Set 1986 – Raj Comics By Manoj Gupta)
एक जमाना था अस्सी के दशक का, जब कोल्डड्रिंक के नाम पर कोकाकोला नहीं “गोल्ड स्पॉट” बिका करती थी, घरों में शीतल पेय के रूप में “रसना” की बोतलें हुआ करती थी, घरों में बाइक यानि ‘राजदूत’ का होना शान माना जाता था जो गलत किक में टखने तोड़ने वाली और अद्भुद गियर प्रणाली पर कार्य करता था, ‘अमूल‘ तब भी स्वादिष्ट था और आज भी उसका जलवा बरक़रार है एवं वेब सीरीज और नए ज़माने के स्पेशल इफ़ेक्ट से दूर श्री देवी और ऋषि कपूर ‘नगीना‘ नामक फिल्म में अपनी अदायगी की लोहा दर्शकों को मनवा रहे थे। लेकिन भारतीय कॉमिक्स जगत में सूर्योदय होना अभी बाकी था, प्रातः बेला की किरण बनकर जो लाखों पाठकों के दिलों में ‘राज’ करने वाले थे उनके उदय का साल भी था वर्ष 1986 और इसी प्रकाशन को पाठक जानते हैं “राज कॉमिक्स” के नाम से जिसके प्रथम सेट को एक बार फिर लेकर आएं है श्री मनोज गुप्ता जी।
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इस अद्भुद सफ़र की शुरुवात हुई राज कॉमिक्स द्वारा प्रस्तुत 4 कॉमिकों से जिनमें राजाओं की कहानियाँ, हास्य का तड़का, हैरतअंगेज रहस्य और राज कॉमिक्स के पहले सुपरहीरो विनाश्दूत की झलक भी पाठकों को देखने को मिली। सभी कॉमिक्स लंबे अर्से से पाठकों को उपलब्ध नहीं थी और संस्थापक श्रधांजलि वर्ष से बेहतर और कोई समय नहीं हो सकता जब हम सभी कॉमिक्स प्रेमी श्री राजकुमार गुप्ता जी के योगदान को याद कर उन्हें अश्रुपूरित नमन अर्पित करें। राज कॉमिक्स का प्रेम आज भी पाठकों को अपना दीवाना बना देता है और इस बात धोतक है कॉमिक्स जगत के गलियारों में उठता वह गुब्बार जो प्रथम सेट के प्री आर्डर पर देखने को मिला है।
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राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता
पूरे सेट की सभी कॉमिकों में 40 पृष्ठ हैं और इनका मूल्य 90/- रुपये प्रति अंक रखा गया है। इन सदाबहार कॉमिक्स को पढ़ने के लिए कई पाठक वर्षों से इंतज़ार कर रहे थे और लगभग 2 दशक के बाद उनके मन की मुराद पूरी होती दिख रही हैं।
प्रथम सेट के कॉमिकों की सूची
- कनकपुरी की राजकुमारी
- ठगों की नानी
- खूनी हवेली का रहस्य
- विनाशदूत
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प्री आर्डर पर 10% की छूट भी कई विक्रेताओं के पास उपलब्ध है –
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कॉमिक्स प्रशंसकों के लिए यह एक सौगात है जिसे सभी मित्र दोनों हाँथों से समेट लें क्योंकि भविष्य का कोई भरोसा नहीं और 35 वर्ष के बाद जो उम्मीद जगी है उसका फायदा सभी पाठकों को लेना ही चाहिए क्योंकि यही तो स्वाद है जिंदगी में, आभार – कॉमिक्स बाइट!!