पवन कॉमिक्स (Pawan Comics)
हिंदू मान्यताओं में ‘पवन’ को देव की उपाधि मिली है, पवन का अर्थ होता है वायु या आम बोल चाल की भाषा में कहें तो ‘हवा’. जब हवा बहती है तो तन और मन में बड़ा सुकून प्रदान करती है एवं ऐसा ही कुछ आनंद था ‘पवन कॉमिक्स’ (Pawan Comics) का भी. अस्सी के दशक से नब्बे के प्रारंभ तक लगातार ‘पवन’ बहती रही और अंतत: इसी दशक में इसके वेग में विराम भी लग गया.
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पवन कॉमिक्स ने भारत की संस्कृति को बढ़ावा दिया एवं उसके किरदार भी हमारे ही जड़ो से निकले नज़र आते है, एक दशक के आस पास का अंतराल कम नहीं होता और पवन कॉमिक्स ने इस दौरान कई अच्छी कहानियां प्रस्तुत की. इसके प्रारंभिक अंक बड़े आकार में आये थे जो बाद में छोटे आकार में तब्दील हो गए. पवन कॉमिक्स में भी कई श्रेणियां थीं – सुपरहीरो, हॉरर, जनरल राजा-रानी, दंत कथाएँ, तंत्र-मंत्र, आपराधिक और जासूसी कहानियों का इनमें बोल बाला रहा, लेकिन सुखीराम और दुखीराम की कहानियों में आदर्श समाज की विडंबनाओ को भी उजागर किया गया.
पवन कॉमिक्स में भी ढेरो किरदार थे – सुर्यपुत्र, सुपर पॉवर विक्रांत, राम बलराम, चट्टान सिंह, सुखीराम दुखीराम, दादाजी, बादल बिजली, फेम्स बांड, रगडू झगडू के अलावा भी जनरल कॉमिक्स के अंतर्गत कई कहानियों में मुख्य किरदार दिखाए गए. पवन कॉमिक्स सबसे चर्चित किरदारों में सुर्यपुत्र ही था, उसके बाद विक्रांत, चट्टान सिंह, सुखीराम दुखीराम का नाम आता है. उस दौर के प्रासंगिकता के हिसाब से पवन कॉमिक्स ने भी बेहद उम्दा कार्य किया और प्रसंशको के बीच में भी अच्छा नाम कमाया.
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(Pawan Comics)"
पवन कॉमिक्स के संपादक थे श्री ‘देवकीनंदन शर्मा’ जी और आर्टिस्ट के रूप में श्री ‘दिलीप चौबे’ जी, ‘केमियो आर्ट्स’, ‘रजनी कान्त’ जी, श्री ‘किशोर निरंकारी’, श्री ‘अजय शंकर भारद्वाज’, ‘मोहन शर्मा’ जी का नाम प्रमुख रूप से देखने को मिलता है, लेखकों में ‘प्रदीप कुमार’ जी, श्री ‘विजय कुमार वत्स’, ‘ज़मीर हुसैन’ जी, श्री ‘धरम बारिया’, ‘शिव बेम्बी’ जी, श्री ‘बादल शर्मा’ का नाम दिखा करता था, कुछ कॉमिक्स में कला निर्देशक के रूप में श्री ‘किशोर ओबेरॉय’ का नाम भी लिखा था. पवन कॉमिक्स के आवरण भी आकर्षक थे खासकर सुर्यपुत्र के जिसे ‘ईजल’ या ‘नसीम स्टूडियो’ बनाया करते थे, इनके अलावा भी आर्टिस्ट ‘मंजीत’ जी का नाम भी कई कवर्स पर देखा जा सकता है.
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पवन कॉमिक्स – पवन पॉकेट बुक्स (Pawan Pocket Books) – दाई वाड़ा, नई सड़क, दिल्ली – 6 का उधम थी और मुख्य प्रकाशक के रूप में – पवन पॉकेट बुक्स का नाम ही छापा जाता था. मेरे जानकार मित्रों की मानें तो इसके मात्र 36 अंको तक ही कॉमिक्स संख्या प्रकाशित की गयी थी और उसके बाद के अंक बिना किसी संख्या के छापे गए थे. पवन कॉमिक्स का पहला अंक ‘दादाजी और मुर्दों का रहस्य’ थी. इसकी कॉमिक्स संख्या #1 और मूल्य 3 रूपए 50 पैसे था. पवन कॉमिक्स भी जैसा मैंने ऊपर कहा मुख्यतः दो प्रारूपों में उपलब्ध थी –
- बड़े आकार में (बिग साइज़)
- मध्यम कॉमिक्स के आकार में (नार्मल साइज़)
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(साभार: दुर्लभ हिंदी कॉमिक्स कवर)
इसके अलवा पवन कॉमिक्स डाइजेस्ट भी प्रकाशित हुई थी और इनमें 3 कहानियाँ होती थी
पवन कॉमिक्स का मूल्य भी क्रमश: 3.50/- रूपए, 6-7-8/- रूपए और 15-16/- रूपए था.
पवन कॉमिक्स ने स्वर्गीय ‘देवकीनंदन खत्री’ जी के महान उपन्यास जिसके उपर दूरदर्शन पर धारावाहिक भी बन चुका है एवं जिसके नाम से शायद ही कोई साहित्य प्रेमी अछूता हो -‘चंद्रकांता संतति‘ के नाम से भी 12 खण्डों में कॉमिक्स प्रकाशित की थी और आज तक किसी अन्य प्रकाशक ने जहाँ तक जानकारी है इस उपन्यास के लिए कॉमिक्स प्रकाशित नहीं की है.
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आज जब कॉमिक्स जगत में काफी जागरूक पाठक है तब ‘पवन कॉमिक्स’ जैसे प्रकाशक नहीं दिखते और ना ही ऐसी ज़मीन से जुड़े किस्से कहानियां नज़र आती है, इस ‘पवन’ को तो वक़्त ने रोक लिया लेकिन ‘कॉमिक्स’ नाम की हवा अभी भी बह रही है क्योंकि हवा को भला कोई बांध पाया है क्या? जाते जाते ये बता दूँ की पवन कॉमिक्स की टैग लाइन सबसे अच्छी थी जो अक्सर उनके विज्ञापनों में देखी जा सकती थी – “7 से 70 वर्ष के पाठकों के मनोरंजन के लिए” सिर्फ पवन कॉमिक्स!! क्या अभी भी लोग कहेंगे की कॉमिक्स मात्र बच्चों के पढ़ने की चीज़ है? मैं तो नहीं मानता और आप? ये तो आज से 3 दशक पहले वाले प्रकाशक भी जानते थे फिर भी ‘लेबल’ लगा दिया है लोगों ने, आभार – कॉमिक्स बाइट!
Kya kahin mil sakti hai chandrakanta comics
Satnam ji uska koi idea nahi hai filhaal.
Amazing. It’s landmine of information
Thanks Yatharth Ji, You guys are our inspiration. Keep visiting & reading comics byte.