नागराज और नगीना का जाल – राज कॉमिक्स (Nagraj Aur Nagina Ka Jaal – Raj Comics)
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वर्ष 1986 को कॉमिक्स जगत को एक ऐसा नायक प्राप्त हुआ जिसने भारत के कॉमिक्स जगत के नायकों की छवि ही बदल कर रख दी। एक ऐसा पात्र जो अपराध एवं अपराधियों का काल था, महादेव का भक्त और समस्त विश्व के सर्पों का सम्राट जिसे कॉमिक्स प्रशसंकों का आपार स्नेह और प्रेम प्राप्त हुआ और वो कहलाया आतंकवादी गिरोहों की तबाही का देवता नाग सम्राट – “नागराज” (Nagraj)। जिसके जीवन का एकमात्र उद्देश्य था की पूरे विश्व से आतंकवाद और अपराधियों का समूल नाश एवं उसके इस सफ़र में साथ होते है उसके कई मित्र और बनते है नए साथी। इसे ‘द स्नेकमैन‘, ‘नागसम्राट‘ और बच्चों के दोस्त ‘नागराज‘ के नाम से भी जाना जाता है जिसने कॉमिक्स जगत में कई कीर्तिमान स्थापित किए।
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नागराज और नगीना का जाल – राज काॅमिक्स समीक्षा (Nagraj Aur Nagina Ka Jaal – Raj Comics Review)
नागराज एक ऐसा हथियार है जिसकी कोई काट उपलब्ध नहीं हैं। आतंकवाद और माफियाओं का समूल नाश करने के लिए ही उसने आतंकहर्ता का रूप धारण किया हैं। खतरनाक मुजरिमों से लेकर पागल वैज्ञानिकों तक को उसने अपने बाहुबल से ठिकाने लगाया हैं। पापियों के लिए उसके मन में कोई क्षमा या दया के भाव नहीं है और उसका खौफ़ सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में व्याप्त हैं। हालाँकि इस बार दुश्मन कई हैं और नागराज को और मददगार साथियों की जरुरत पड़ेगी क्योंकि उनके एकजुटता भरे प्रयासों के बाद ही जाकर टूटेगा – ‘नगीना का जाल’ (Nagina Ka Jaal)।
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कहानी (Story)
महात्मा कालदूत ने नागराज को नागद्वीप का इतिहास बताया। इच्छाधारी नागों से पहले वहां तीन खूंखार जातियों का राज था! बिच्छुधड़े, मकड़ाखाटू और केकड़ाकंट नामक यह आदमखोर जातियां आपस में ही लड़ती रहती थीं। कालदूत ने अपने असीम पराक्रम का परिचय देते हुए इनका द्वीप से सफाया कर दिया, इनके सरदारों को अपनी कैद में ले लिया एवं उसके बाद वहां नागों को बसाया गया। नगीना को उन्होंने द्वीपवासियों का पालक बनाया लेकिन वह पहले से ह्रदय में द्वीप की सामज्ञ्री बनने का सपना पाले बैठी थीं। कालदूत को उसकी काली करतूतों का ज्ञान हुआ तो उन्होंने ‘नगीना’ को भी अपना बंधक बना लिया। नगीना लेकिन चालाक नागिन निकली और वह वहां से इन तीन जातियों के सरदारों के साथ भाग निकली। इधर पूरे संसार में ‘स्नोकी’ नाम के नशे ने अपना कहर फैलाया हुआ था। इसके पीछे था शैतानों का सरगना ‘किंग कोबरा’ और उसका सिंडिकेट। यहाँ पर उसके साथ था नागराज का जनक ‘नागमणि’ भी! कैसे? ये तो आपको कॉमिक्स पढ़ कर ही पता चलेगा। अब क्या नागराज इन सभी खलनायकों से अकेला टकरा पाएगा या उसके नए साथी भी इस ‘जाल’ का शिकार हो जाएंगे। स्नोकी, नागमणि और किंग कोबरा का क्या होगा? ऐसे ही सवालों के रोचक जवाब देती हैं चित्रकथा – ‘नगीना का जाल’।
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टीम (Team)
कॉमिक्स की कहानी लिखी हैं श्री संजय गुप्ता जी ने, चित्र बनाए हैं श्री चंदू जी ने, कलानिर्देशन हैं स्वर्गीय प्रताप मुल्लिक जी का और संपादन हैं श्री मनीष गुप्ता जी द्वारा। कहानी काफी दमदार हैं और पहली बार यहाँ पाठकों को दर्शन होते हैं दुर्दम्य सेना ‘पंचनाग’ के! जिसमें हैं सिंहनाग, नागप्रेती, नागाअर्जुन, सर्पराज और नागदेव। यहाँ आपको देखने मिलेगा इच्छाधारी खलनायक ‘मबिकेना’, किंग कोबरा का सेनापति ‘किंकोसी’ और माफिया लार्ड ‘हाण्टू’। कॉमिक्स के पृष्ठ एक्शन से भरपूर हैं और राज कॉमिक्स के टीम का कार्य सराहनीय हैं।
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संक्षिप्त विवरण (Details)
प्रकाशक : राज कॉमिक्स
पेज : 62
पेपर : नार्मल
मूल्य : 60/-
भाषा : हिंदी
कहां से खरीदें : अमेज़न
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निष्कर्ष (Conclusion)
यह पांचवी राज कॉमिक्स विशेषांक थी। कहानी कहीं भी अधूरी नहीं लगती, नए खलनायकों और नागराज के साथियों का भी पूरा ध्यान रखा गया हैं। नगीना इतनी खतरनाक क्यों हैं? ये बात नागराज उसके साथ पहले ही टकराव में जान जाएगा। पात्रों के साथ पूरा न्याय किया गया हैं और बहुत ही सुंदर आर्टवर्क के साथ यह चित्रकथा एक्शन-पैक्ड तरीके से समाप्त होती हैं। नब्बें के दौर में इस कॉमिक्स के साथ इन सभी पात्रों का स्टीकर मुफ्त दिया गया था जो कलेक्टर्स में बेहद संग्रहणीय हैं। नागराज के प्रशंसक हैं तो यह कॉमिक्स आपके लिए ही बनी हैं – “जय बाबा गोरखनाथ”, आभार – कॉमिक्स बाइट!!
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