झाँसी की रानी (Jhansi Ki Rani)
झाँसी की रानी
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित इस कविता में झाँसी की रानी – ‘लक्ष्मीबाई’ के बारे में बताया गया है. उनका जन्म 19 नवम्बर 1828 को हुआ था और अंग्रेजों से लोहा लेते हुए वो 18 जून 1858 वीरगति को प्राप्त हुई, पर उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया और वह 1857 के भारतीय विद्रोह (क्रांति) की प्रमुख हस्तियों में से एक थीं और भारतीय राष्ट्रवादियों के लिए ब्रिटिश राज के प्रतिरोध का वो प्रतीक बन गई.
रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगना इतिहास में विरले ही दिखती है, अदम्य साहस और शौर्य की प्रतिमूर्ति ‘मणिकर्णिका’ ने अंग्रजों को ऐसा सबक सिखाया की शत्रुओं में खलबली मच गई थी, ब्रिटिश सेना ने अपने कुचक्रों द्वारा झाँसी को अपने साम्राज्य में मिलाने की कोशिश की लेकिन जब वो इसमें सफल ना हो सके तब उन्होंने झाँसी पर हमला कर दिया, महारानी ने भी उसका मुहतोड़ प्रतिउत्तर दिया और अंग्रजों को भरी क्षति भी पहुँची, अपने पीठ पर दुधमुहे बच्चे को बाँधकर उस ‘रणचंडी’ ने जो युद्ध किया उसकी मिसालें आज भी मध्य भारत में प्रचलित है और उनके गुणों एवं शौर्य की गाथाएँ आपको बड़ी आसानी से सुनने को मिलेंगी.
झाँसी को बचाने के लिए ‘रानी लक्ष्मीबाई’ ने गीता में कहे गए कृष्ण के उपदेश से कहा – “ये स्वतंत्रा की लड़ाई है, अगर हम ये युद्ध जीत गए तो एक बेहतर कल का आनंद लेंगे लेकिन अगर हम पराजित हो जाते है और मारे गए तो हमें मोक्ष की प्राप्ति होगी”. उनका जन्म बनारस (काशी) में हुआ था, बाद में उनकी शादी झाँसी के महाराज से हुई और अंततः अंग्रेजो से लड़ते हुए ‘ग्वालियर’ में उन्हें वीरगति की प्राप्ति हुई और 18 जून को इसलिए ‘बलिदान दिवस’ के रूप में याद किया जाता है.
भारतीय कॉमिक्स जगत में भी रानी लक्ष्मीबाई के उपर कुछ ही कॉमिक्स प्रकाशित की गई है जिनमें से अमर चित्र कथा, डायमंड कॉमिक्स, विल्को पिक्चर्स लाइब्रेरी, ग्राफ़िक इंडिया खास रही और सबकी कहानियों का पृष्ठभूमि एक ही थी. आईये आज जानते है उनके बारें में –
अमर चित्र कथा
अमर चित्र कथा ने शायद सबसे पहले ‘रानी ऑफ़ झाँसी’ के नाम से कॉमिक्स प्रकाशित की थी.
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डायमंड कॉमिक्स
डायमंड कॉमिक्स के पास भी अमर चित्र कथा के कुछ प्रकाशन अधिकार थे, तब उन्होंने लगभग सभी योद्धाओं और युग पुरुषों पर कॉमिक्स छपवाई थी.
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ग्राफ़िक नावेल
ग्राफ़िक नावेल ने भी अपने ‘मिथ और लीजेंड’ सीरीज़ में ‘लक्ष्मीबाई’ नाम की एक कॉमिक्स प्रकाशित की थी, उनके कथन के अनुसार – “प्राचीन काल से इन कहानियों को पुरुषों और महिलाओं की पीढ़ियों तक सुनाया गया है और अब भारतीय संस्कृति और परंपरा का हिस्सा हैं”.
विल्को पिक्चर्स लाइब्रेरी
विल्को पिक्चर्स लाइब्रेरी ने भी अपने पौराणिक, दैवीय और ऐतिहासिक कथाओं की श्रृंखला में ‘झाँसी की रानी’ नाम से कॉमिक्स प्रकाशित की थी जिसमे 16 पृष्ठ थे.
टीबीएस प्लेनेट (TBS Planet)
टीबीएस प्लेनेट ने ऑफिसियली हार्ड कॉपी में कॉमिक्स तो रिलीज़ नहीं की, लेकिन इनके ‘एप्प’ में शायद इसका डिजिटल संस्करण प्रकाशित किया गया था.
यहाँ पर मैं बात करूँगा एक वेबसाइट की जिसका नाम है “बैंगलोर वेव्स“. उनके पोर्टल पर फिलहाल 3 एपिसोड उपलब्ध है “झाँसी – द लोइनेस ऑफ़ इंडिया” और बहोत ही बढ़िया काम किया गया है, भाषा अंग्रेजी है पर एक बार जरुर विजिट करें.
रानी लक्ष्मीबाई पर मणिकर्णिका नामक फिल्म भी बन चुकी है जिसमें अभिनेत्री ‘कंगना रान्नौत’ ने झाँसी की रानी की भूमिका अदा की थी, अगर आप चाहें तो ‘झाँसी की रानी’ को मोशन कॉमिक्स के रूप में भी देख सकते है और सभी को दिखा भी सकते है. अमर चित्र कथा के यू ट्यूब चैनल पर पूरी कहानी उपलब्ध है, उम्मीद करता हूँ आपको हमारे ऐतिहासिक लेख भी पसंद आ रहें होंगे, आभार – कॉमिक्स बाइट!!
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