जम्बू (Jambu)
‘जम्बू‘ (Jambu) अस्सी के दशक के अंत से लेकर वर्ष 2004 तक तुलसी कॉमिक्स (Tulsi Comics) के अंतगर्त प्रकाशित होता रहा, फिर तुलसी पॉकेट बुक्स ने कॉमिक्स का प्रकाशन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया और आज वर्ष 2020 में फिर से ‘कॉमिक्स इंडिया‘ (Comics India) ने कॉमिक्स इतिहास में खो गए इस पात्र को उठाकर फिर से इसमें प्राण फूंके, सिर्फ जम्बू ही नहीं बल्कि तुसली कॉमिक्स के सभी किरदारों के उपर आप फिर से वही कॉमिक्सें पढ़ पाएंगे जिन्हें वक़्त की दरख़्त अपनी जड़ों में दबा चुकी थी, आज एक बार फिर इन्हें स्वच्छंद विचरते देख कॉमिक्स प्रेमी का ह्रदय बहोत परफुल्लित है, मैंने जम्बू की काफ़ी कॉमिक्सें पढ़ी है और नब्बे के दशक में वाकई में जम्बू तुलसी कॉमिक्स का सबसे चर्चित पात्र था इसमें कोई दो राय नहीं है.
कॉमिक्स इंडिया के बारे में जानने के लिए पढ़े – कॉमिक्स इंडिया – एक नए कल की शुरुवात
क्रोनोलॉजी देखेंगे तो तुलसी कॉमिक्स ने शुरुवात जम्बू के ही कॉमिक्स से की और उसकी जनरल संख्या थी #1, जम्बू के जनक थे स्वर्गीय ‘वेद प्रकाश शर्मा’ जी, अब उनके बारे में क्या कहूँ – एक बेहतरीन उपन्यासकार के साथ साथ वो बेजोड़ कॉमिक्स लिखने वाले कहानीकार भी थे, जम्बू का सृजन उन्होंने अपनी दो बेटियों के कहने पर किया था और इतिहास यही कहता है उन्होंने एक महान किरदार की रचना की, जम्बू की कॉमिक्सों में अंतरिक्ष, रोबोट, डुप्लीकेट्स (शनिचर), अजीबो-गरीब दिखने वाले प्राणी (जैसे – ओक्टोपसी, लाशा, विदुतमानव, सरकंडा), साइंस फिक्शन की भरमार होती थी और उसके कई कॉमिक्स में उसके भाई बंटी को भी उसके साथ देखा जा सकता था.
कॉमिक्स में जम्बू का उदय हुआ वैज्ञानिक एच.सी.भावा के हाँथो, भारत के अख़बारों में एक खबर पढ़कर वो इतना विचलित हुए की सीधे अपनी प्रयोगशाला में चले गए एवं 3 वर्ष बाद ‘जम्बू’ के साथ उपस्थित हुए, वो जम्बू को अपना पुत्र मानते थे लेकिन एक अनचाही परिस्तिथि में उनकी हत्या की कोशिश की जाती है और जम्बू बन जाता है खुद ‘भावा’ (कैसे? ये जानने के लिए कॉमिक्स पढ़नी पड़ेगी आपको). जम्बू एक साईबोर्ग है जिसका शरीर तो मशीनी है पर दिमाग मनुष्य का है. उसके मशीनी अंग शरीर से अलग हो सकते है और और जम्बू उन्हें रिमोट से चला भी सकता है. उसके आँखों से लेज़र किरणे भी निकलती है एवं उसमे बला की ताक़त है, धातु से बने होने के कारण उसपर गोलियां या चाकू/तलवार असर नहीं करते. वो हवा में उड़ भी सकता है!
जम्बू मल्टीस्टारर कॉमिक्सों में भी आया जो तुलसी कॉमिक्स की सबसे जानदार सीरीज़ रही है, ये 4 कड़ियों में प्रकशित हुयी थी –
- जम्बू और अंगारा का युद्ध (संख्या #277)
- जम्बू और तौसी (संख्या #285)
- मर गया जम्बू (संख्या #295)
- जम्बू के बेटे (संख्या #303)
इसमें जम्बू की टक्कर होती है अंगारा और तौसी से, इस लगातार चलने वाले कथानक के कॉमिक्स पाठक आज भी दीवाने है, उम्मीद करता हूँ कॉमिक्स इंडिया के माध्यम से हम लोगो को यह सीरीज़ भी पढ़ने को जरुर मिलेगी, हालाँकि ‘तौसी’ के मुद्रण अधिकार ‘राज कॉमिक्स’ के पास है फिर भी मुझे लगता है पाठकों के ये 4 कॉमिक्सें तो जरुर पढ़नी चाहिए.
जम्बू के चित्रकार थी ‘ज्योत्स्ना जयसवार’ जी और बाद में उससे चित्रित किया जाने माने कॉमिक्स इलस्ट्रेटर श्री ‘भरत मकवाना’ जी ने, जम्बू को उसकी असली पहचान मकवाना जी ने ही दिलाई, उनके अनूठे चित्रों से जम्बू के किरादर में जान आ गई, एक बात और अगर आपने गौर की हो, वो ज़माना था ‘एंग्री यंग मैन’ का यानि श्री ‘अमिताभ बच्चन’ जी का, जम्बू के बाल और लम्बाई बिलकुल उनसे मिलती जुलती थी (सिर्फ एक अवलोकन). जम्बू के कवर्स पे कई चित्रकारों ने काम किया, इनमे ‘संदीप’जी, ‘भरत मकवाना जी’ और कलाजगत के गुरु, बेमिसाल चित्रकार स्वर्गीय ‘प्रताप मुल्लिक’ जी के काम उल्लेखनीय रहा.
जम्बू अब वापस आ चुका है, उम्मीद है उसकी सुनहरी यादें कॉमिक्स प्रेमियों को याद होंगी और अब हमें इसे संजो कर रखना ही होगा. वेद जी को बच्चों का ढेर सारा प्यार मिला, आज भले ही वो हमारे बीच ना हों पर जम्बू तो हमेशा है ही, क्यों हैं ना मित्रों? आभार – कॉमिक्स बाइट!
सोचते है कि क्या होता अगर जम्बू और फौलादी सिंह का आपसी टकराव होता तो ?
मैं आज ही इस कांसेप्ट पर एक पोस्टर तैयार करता हूं !!
हो सके तो अगर कोई इस पर कॉमिक्स स्टोरी भी लिखे तो मैं बनाने को तैयार हूं !!
स्वागत योग्य विचार है रवि जी.