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फैन कॉर्नर – निनाद जाधव : वो कॉमिक्स के अच्छे दिन

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कॉमिक्स फैन कार्नर (Comics Fan Corner)

निनाद जाधव (Ninad Jadhav) – जबलपुर में ’11-07-1977′ को जन्में श्री निनाद जाधव जी को बचपन से ही कॉमिक्स पढ़ने का शौक थाl निनाद जी के परिवार के संग्रह में हज़ारों कॉमिक्स हैं और साथ ही साथ निनाद, तनय व अनय- आदित्य जाधव का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अल्फाबेटिकल (ए से ज़ेड) कॉमिक्स नायकों के प्रथम कॉमिक्स के संग्रह के लिए आया है एवं पांडिचरी बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी कॉमिक्स के संग्रह के लिए नाम आया हैl

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Ninad Jadhav - Pondicherry Book Of Records
निनाद जाधव
पांडिचेरी बुक ऑफ़ रिकार्ड्स – सबसे ज्यादा कॉमिक्स का कलेक्शन
वो कॉमिक्स के अच्छे दिन….. !! – “निनाद जाधव की कलम से”

बचपन से ही मुझे कॉमिक्स का बड़ा शौक था, जब पढ़ना भी नहीं आता था तब भी कॉमिक्स के चित्र देखकर ही मज़ा आ जाता था l लाइब्रेरी का भी सदस्य था, घर के पास वाली लाइब्रेरी में ‘पचास पैसे’ से लेकर ‘एक रुपया’ तक किराया लगता था, रोज़ शाम को खासकर गर्मियों की छुट्टियों में लाइब्रेरी वाले भैया का बेसब्री से इंतज़ार करते, सच कहूं तो उनके ऊपर झूम ही जाते थे l सच में वो हम सब बच्चों के आदरणीय थे और उनमें से कुछ कॉमिक्स तो मुझे आज भी याद हैं l

International Museum Day - My Own Collection
इंटरनेशनल म्यूजियम डे
नेहरू साइंस सेंटर – माय ओन कलेक्शन


उस समय डायमंड, मनोज, अमर चित्र कथा, टिंकल आदि पढ़ा करते थे, बड़े भैया सब ज्यादातर इंद्रजाल कॉमिक्स पढ़ा करते थे, बालि व शैली भैया की याद आज भी है जिन्होंने मेरे बड़े होते तक मुझे इंद्रजाल कॉमिक्स हाथ भी लगाने नहीं दी थी l मेरे पिता के गुरु वाजपेई सर के बेटे ने मुझे भारत की पहली ‘थ्री डी कॉमिक्स – शैतानों का जाल‘ दिलाई थी जिसका मूल्य छ: रुपये था जबकि तब बाकी कि कॉमिक्स की कीमत साढ़े तीन या चार रुपयों तक थी l घर से मेरी बड़ी बहन और मैं उन्हें छोड़ने बालाघाट (मध्य प्रदेश) बस स्टैण्ड गए थे तब उन्होंने मुझे ये कॉमिक्स दिलाई थी l मुझे आज भी याद है कि मेरे पिता ने मुझे बहुत डांट लगाई थी कि इतनी महंगी कॉमिक्स खरीदवाने की क्या ज़रूरत थी, ये था उस समय धन का मोल l बड़े होते होते राम – रहीम, इंद्रजाल कॉमिक्स से बहादुर व वेताल मेरे पसंदीदा बन गए l मेंने अपने लिए कॉमिक्स खरीदना शुरू कर दिया l चाचा चौधरी, बिल्लू, पिंकी व अन्य से मोह न तब छूटा न अब l

3 D कॉमिक्स - अमर चित्र कथा और डायमंड कॉमिक्स
3 D कॉमिक्स – अमर चित्र कथा और डायमंड कॉमिक्स


मेरे पिता का तबादला लगभग हर दो साल में हो जाया करता था और मेरी पढ़ने को दी हुई कई कॉमिक्स मुझे वापस ही नहीं मिलती थी l इंद्रजाल की आखरी कॉमिक्स भी मैंने खरीदी थी l नागराज की पहली कॉमिक्स मैंने भोपाल से विदिशा आते वक़्त रेलवे स्टेशन से खरीदी थी l कॉलेज में आते आते मेरा कॉमिक्स से मोह छूट गया, अच्छी बात ये है कि मेरे भाई ने फ़िर कॉमिक्स इकठ्ठा करना शुरू किया एवं राज कॉमिक्स, मनोज कॉमिक्स और तुलसी कॉमिक्स उसे बहुत पसंद थी l अब इस समय मेरा भाई बड़ा खुश है कि उसे तुलसी कॉमिक्स पढ़ने को दोबारा मिल रही है ‘कॉमिक्स इंडिया’ के माध्यम से l

राज कॉमिक्स - मनोज कॉमिक्स - इंद्रजाल कॉमिक्स
राज कॉमिक्स – मनोज कॉमिक्स – इंद्रजाल कॉमिक्स

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पहले कॉमिक्स का एक अनूठा संसार हुआ करता था पर अब बात बदल गई है l कॉमिक्स का स्थान मोबाइल गेम्स और टीवी ने ले लिया है, जो भी पुराने कॉमिक्स प्रेमी हैं वे इस खालीपन को अवश्य महसूस कर रहे होंगे l संभवतः वर्ष 2000 से मैंने फिर से कॉमिक्स का संग्रह शुरू किया पर अब कहानी बदल चुकी थी l पुरानी कॉमिक्स अब बहुत ऊंचे दामों में बिक रही थी और अब भी बिक रही है l

Book & Comics Library - Suman Library
अपने मनपसंद कॉमिक्स और उसके किरदारों से मिलने का सबसे सुगम तरीका (पुराना दौर)
बुक लाइब्रेरी – जो आजकल बहुत कम ही देखने को मिलती है

अब मेरे लिए कॉमिक्स संग्रह अलग है, मेरी कॉमिक्स अब बाल पाठकों को खोजती है l मैं समय समय पर बच्चों के लिए हमारे यहां ‘एकलव्य लाइब्रेरी’ में बहुत सी कॉमिक्स उन्हें पढ़ने के लिए देता हूं साथ ही साथ सभी बच्चों के लिए स्वलपाहार की व्यवस्था भी की जाती है l

अंकल पै, कार्टूनिस्ट प्राण व आबिद सुरती जी के जन्मदिवस पर कॉमिक्स पठन के साथ विविध कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं l”

नारायणराव बहुद्देशीय एजुकेशन सोसायटी, नागपुर, शम्भु नाथ महतो (कॉमिक्स थ्योरी), मैनाक बनर्जी (कॉमिक्स बाइट), डैडो डिजाइन लैब्स, अविनाश भोजने व गुरमीत सिंह नरूला, सत्यजीत व अभिजीत ढोले, अर्णव सारंग अश्विनी जोशी, आरव अभिजीत अमृता पिंपलगाँवकर, यश अनिल ऐश्वर्य राव, उत्कर्ष निधिश्री अरविंद सालवे, चंद्रशेखर व सौरभ अविनाश शालिनी जाधव, श्रीमती सूरज कला बत्रा एवं राजेश भोजने ने बालिका उत्थान के लिए एक पृष्ठ कॉमिक्स की कार्यशाला व अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2019 पर आयोजित कार्यक्रम में अक्षरा कॉमिक्स के लोगो डिजाइन की प्रतियोगिता करवाई गई थी जिसमें कन्या उ. मा. शाला, चांदामेटा, जिला छिंदवाड़ा की 214 छात्राओं ने भाग लिया व सभी के लिए प्रमाण पत्र व स्वालपाहार की व्यवस्था की गई एवं विजयी छात्राओं को पुरस्कृत भी किया गया l ये कॉमिक्स भी “बालिका उत्थान” के विषय पर ही बनाई जाएगी और इस प्रतिस्पर्धा को ‘आसाम बुक ऑफ रिकॉर्ड्स‘ व ‘बंगाल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स‘ में विश्व रिकॉर्ड का दर्ज़ा प्राप्त हुआ है l

आसाम बुक ऑफ़ रिकार्ड्स – COMIC LOGO DESIGN COMPETITION FOR GIRLS’ EMANCIPATION


आज कल जितनी भी नई कॉमिक्स आ रही हैं मैं वो सभी लेता हूं और अपनी ओर से जो भी संभव मदद हो करता हूं, ये मेरा छोटा सा योगदान है कॉमिक्स संस्कृति को वापस लाने का और आपका क्या योगदान है ?

कॉमिक्स बाइट – कही अनकही

श्री निनाद जाधव जी एक ज़मीन से जुड़े व्यक्तित्व के धनी है, कॉमिक्स को लेकर उनके प्रयास और दूरदर्शिता का मैं अपने हृदय से सम्मान करता हूँ. उन्होंने सोशल मीडिया पर सिर्फ बातें ना करके जमीनी स्तर पर कार्य किया किया है और निरंतर अपने कार्य में लगे भी हुए है. कॉमिक्स बाइट के साथ उनका जुड़ना हमारे लिए बड़े ही गर्व की बात है.

निनाद जी हजारों बच्चों के प्रेरणास्त्रोत है. कॉमिक्स जगत में उन्हें हर कोई जनता है और उनका कार्य ही उनके नाम की पहचान है. अपने लेख से निनाद जी ने एक बड़ा सवाल किया है! आज कॉमिक्स जगत को उनके पाठकों की दरकार है जो आने वाले पीढ़ी को भी इसके जीवन दर्शन के पक्ष से अवगत करा सके.

Cartoonist Pran And Abid Soorti
कार्टूनिस्ट प्राण और आबिद सूरती
साभार: पत्रिका और इंडियाटाइम्स

मनोरंजन के साथ साथ कई योग्यताओं का भी समावेश होता है एक कॉमिक्स में. नैतिक मूल्य, कला और फंतासी का बेहतरीन संगम है कॉमिक्स, अगर आप देखें ‘चाचा चौधरी‘ के जनक स्वर्गीय कार्टूनिस्ट प्राण को उनके कार्य के लिए ‘पद्मश्री‘ के सर्वोच्च सम्मान से नवाज़ा गया था और ‘बहादुर‘ के जनक श्री आबिद सुरती जी कैसे ‘ड्राप डेड‘ नामक एक संस्था चला रहे है जो लोगों को पानी के व्यर्थ इस्तेमाल ना करने के लिए लोगों को जागरूक कर रही है.

मैं अपने सभी पाठकों से यही अनुरोध करना चाहूँगा की जितना हो सके इस माध्यम का प्रचार-प्रसार करे, लोगों को प्रेरित करें और आज के बच्चों और युवाओं को भी जोड़े. यही आपका सबसे बड़ा योगदान होगा इस माधयम के लिए, आभार – कॉमिक्स बाइट!!

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A passionate comics lover and an avid reader, I wanted to contribute as much as I can in this industry. Hence doing my little bit here. Cheers!

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