डायमंड कामिक्स “पुराने विज्ञापन” भाग 15 (Diamond Comics Vintage Ads)
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डायमंड कॉमिक्स की बात आते ही बरबस ही एक मुस्कान हमारे चेहरों पर बिखर जाती हैं। पिछले लेखों में अपने पढ़ा की कैसे एकल अंकों से लेकर कॉमिक्स विशेषांक तक और अंकुर सरीखें बाल पत्रिका/कॉमिक्स से लेकर 3D कॉमिक्स तक के प्रयोग वो अस्सी के दशक में कर रहे थें हालाँकि उसका पूरा दारोमदार कार्टूनिस्ट प्राण के कॉमिक्स स्ट्रिप्स पर ही टिका दिखता हैं क्योंकि ज्यादातर कॉमिक्स के विज्ञापन पृष्ठों में आप चाचा चौधरी, अंकुर, पलटू, पिकलू, बिल्लू, रमन और पिंकी जैसे किरदारों को की तरजीह दी गई थीं। हाँ नियमित प्रकाशित होने वाले किरदार ताऊजी, लम्बू-मोटू और राजन-इक़बाल भी थें लेकिन अस्सी के शुरुवाती वर्षों में इन्हें विज्ञापनों नहीं देखा गया। कार्टूनिस्ट प्राण के किरदारों का पाठकों के साथ जमीनी जुड़ाव और इन स्ट्रिप्स के समाज पे लिखें गए हास्य व्यंग को उस दौर के पाठकों ने हाँथों-हाँथ लिया इसलिए हमेशा चाचा चौधरी व अन्य किरदार इन विज्ञापन पृष्ठों की शोभा बढ़ाते रहें।
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‘चाचा चौधरी और पलीते की कमर’ भी कुछ ऐसी ही कहानी हैं जहाँ मिस्टर पलीते अपनी झुकी हुई कमर से छुटकारा पाने हेतु चाचाजी और साबू के पास पहुँचता हैं। इस कॉमिक्स 12 से 15 चित्रकथाओं का संकलन हैं जो पाठकों को मुस्कुराने पर मजबूर कर देगी जिसमें पलीते की कमर के अलावा, चाचा चौधरी की ट्रिक, दीवाली का धमाका और साबू का कुल्ला व अन्य चित्रित कहानियाँ हैं।
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Comics Byte Archives
अप्रैल-मई 1986 में प्रकाशित कॉमिकों की जानकारी –
- पिकलू और जादुई शीशा
- अंकुर और लच्छी लोमड़ी
- पलटू और सोने का कबूतर
- ताऊजी और जादुई सेब
- ढब्बू जी और उलटी गंगा
- चाचा चौधरी और पलीते की कमर
इसके बाद ‘पिकलू और जादू का शीशा’ भी पाठकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए बड़े और बोल्ड शब्दों में लिखा गया हैं। इसमें विज्ञापन में एक और बात हैं जो इस तथ्य पर जोर देती दिखाई पड़ती हैं की कार्टूनिस्ट प्राण के किरदारों ने अपनी अच्छी पैठ पाठकों के बीच बना रखी थीं और इसीलिए पिकलू/अंकुर के आवरण पर हमेशा चाचा चौधरी, साबू व अन्य डायमंड कॉमिक्स के किरदार अकसर दिखाई पड़ते थें।
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Comics Byte Archives
कॉमिक्स बाइट फैक्ट्स (Comics Byte Facts)
यहाँ पर आप यह भी देख सकते हैं की पहली बार डायमंड कॉमिक्स ने अपना डाइजेस्ट वर्ष 1986 में भारत के पाठकों को परोसा जिसमें 144 पृष्ठों की चित्रकथा थीं और उसका मूल्य 12/- रूपये था। इनमें निम्नलिखित डायजेस्ट प्रकाशित हुए थें –
- ताऊजी डाइजेस्ट – I
- चाचा चौधरी डाइजेस्ट – I
- लम्बू-मोटू डाइजेस्ट – I
- चाचा भतीजा डाइजेस्ट – I
- राजन-इक़बाल डाइजेस्ट – I
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साभार: रेट्रो कॉमिक्स इंडिया फेसबुक
श्री आबिद सूरती जी के किरदार ढब्बू जी भी यहाँ अपने कॉमिक्स के साथ नजर आ रहा हैं जो अपने हास्यबोध और सामाजिक विषयों पर कटाक्ष लिए जाना जाता हैं। इसे सबसे पहले उन्होंने ‘धर्मयुग’ पत्रिका के लिए प्रकाशित किया था जिसे बाद में डायमंड कॉमिक्स ने एक कॉमिक्स की शक्ल में मुद्रित किया। ढब्बू जी जलवा आज भी बरक़रार हैं जिसे आप उनके फेसबुक पेज पर जाकर भी देख सकते हैं। इसी के साथ फिर मिलेंगे डायमंड कॉमिक्स के अगले विज्ञापन के आलेख में, आभार – कॉमिक्स बाइट!!