देवी चौधरानी 2 – याली ड्रीम क्रिएशन्स – कॉमिक्स अड्डा (Devi Chaudhurani 2 – Yali Dream Creations – Comics Adda)
याली ड्रीम क्रिएशन्स और कॉमिक्स अड्डा की नई पेशकश – देवी चौधरानी भाग 2! (New offering from Yali Dream Creations and Comics Adda – Devi Chaudharani Part 2!)
देवी चौधारनी (Devi Chaudhurani) वर्ष 1884 में प्रकाशित श्री बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रची गई मशहूर बंगाली रचना का अनुरूपण है जिसे आज के परिवेश एवं समय को ध्यान में रख कर रचा गया हैं। लेखक शमिक दासगुप्ता द्वारा लिखित इस ग्राफ़िक नॉवेल का पहला भाग अभी कुछ दिनों पहले ही याली ड्रीम क्रिएशन्स और कॉमिक्स अड्डा द्वारा हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया था एवं अब ‘देवी चौधरानी भाग 2 – द्वैरथ ‘ प्री-आर्डर पर उनके वेबसाइट, कॉमिक्स अड्डा और अन्य पुस्तक विक्रेताओं पर उपलब्ध है। इस ग्राफ़िक नॉवेल के बुकिंग दिसम्बर माह के मध्य से शुरू हो चुकी थी जिसके अमूमन जनवरी माह के अंदर प्रकाशित होने की संभावना है। इसे हिंदी और अंग्रेजी भाषा में लाया जाएगा।
देवी चौधरानी कॉमिक्स/ग्राफ़िक नॉवेल का विवरण (Details of Devi Chaudharani Comics/Graphic Novel)
- कॉम्बो हिंदी एवं अंग्रेजी (पृष्ठ 60, मूल्य 1098/- रुपये)
- एकल हिंदी एवं अंग्रेजी अंक (पृष्ठ 60, मूल्य 549/- रुपये)
पाठक एवं ग्राहक वेबसाइट पर 10% की अतिरिक्त छूट का लाभ अवश्य लें।
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कौन हैं देवी चौधरानी? (Who Is Devi Chaudhurani?)
1795 बंगाल, मत्सन्याय काल में भारत में औपनिवेशिक शासन का प्रारंभ हुआ। एक अराजकता का माहौल था जहां बड़ी मछलियां छोटी मछलियों को निगल रहीं थीं। अंग्रेजी, फ्रांसीसी और पुर्तगाली घुसपैठिए पूरे भारत में लूटपाट कर रहे थे। जमींदार गरीबों का शोषण कर रहे थे और बरगी तथा अराकन लुटेरे आतंक का पर्याय बन चुके थे और इस सबमें सबसे अधिक आतंकित थी भारत की आधी आबादी अर्थात औरतें एवं बहुविवाह, बाल विवाह, विधवा शोषण एवं सती जैसी कुप्रथाएं आम थीं। ऐसे समय में अपने ससुराल द्वारा सताई और बेसहारा छोड़ी गई एक जवान लड़की प्रफुल्या, एक जन प्रिय एवं शक्तिशाली रानी बनकर उभरी जिसे नाम मिला “देवी चौधरानी“।
कहानी (Story)
बंगाल के इस उथल-पुथल भरे समय में ‘प्रफुल्या’ नाम की एक युवा महिला अपने माता-पिता को खोने के बाद आश्रय के लिए अपने ससुराल और पति के पास जाती है। उनके ससुराल वाले भूतनाथ नामक प्रांत के अमीर जमींदार थे और उसके ससुर ‘हरबल्लव रॉय चौधरी’ ने उनका तिरस्कार किया क्योंकि वह एक गरीब परिवार से थीं, लेकिन उनकी सास ने परिवार में उनका स्वागत किया। उनके पति ब्रजसुंदर ने उन्हें शादी के बाद पहली बार अब देखा था एवं वह प्रफुल्या की सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गए थे।
बाद में प्रफुल्या का उसके ससुर द्वारा बेरहमी से अपमान किया जाता है और उसे घर से बेदखल कर दिया जाता है। वह एक घने जंगल की गहराई में मौत की उम्मीद कर रही थी तब उसकीदोस्ती एक बाघ शावक से हुई और वे एक साथ आश्रय खोजने के लिए निकले जो उन्हें मुहाना में एक छोटे से द्वीप में मिला। द्वीप पर प्रफुल्या की मुलाकात नवाब सिराज-उद-दौला के सेनापति मीर मदन खान से होती है। वह बंगाल के अंतिम सुल्तान के खजाने की रखवाली कर रहा था। कुछ ही दिनों बाद सेनापति मीर मदन ने अंतिम सांस ली और उसने जाने से प्रफुल्या को खजाने का संरक्षक बना दिया।
बाद में प्रफुल्या पर खतरनाक दस्यु नेता भवानी पाठक द्वारा हमला किया जाता है और वह उससे बहादुरी से लड़ती है। भवानी प्रफुल्या की बहादुरी से प्रभावित होता है और उसे अपने दल में शामिल होने की पेशकश करता है। भवानी डाकुओं के भेष में ‘संतान’ नामक एक गुप्त अर्धसैनिक बल चलाता है एवं वे अमीरों लोगों को लूटते हैं और फिर उसे गरीबों को बाँटते हैं। भवानी एक अजीब आनुवंशिक विकार से पीड़ित है जिसके लिए उसका जीवनकाल सीमित है इसलिए भवानी ‘प्रफुल्या’ को ‘संतान’ का अगला नेता बनाने का फैसला करता है और उसे उसी तरह प्रशिक्षिण भी देता है। प्रफुल्या का नाम बदलकर देवी चौधरानी कर दिया जाता है और अब उसे गरीबों और पीड़ितों के लिए लड़ने का कार्य करना होगा। उसे टकराना होगा लुटेरे दुश्मनों और ब्रिटिश साम्राज्य से। देवी चौधारनी अपने पहले मिशन के रूप में खूंखार समुद्री डाकू ‘अल्बुकर्क’ को खोजने और पुर्तगाली समुद्री डाकुओं के आतंक को समाप्त करने के लिए निकलती है।