कॉमिक्स समीक्षा: फैंटम स्ट्राइप्स (Comics Review: Phantom Stripes)
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वर्ष 1936 ने इस दुनिया को एक नायक प्रदान किया जिसका नाम है “फैंटम”। सुपरहीरोज और कॉमिक्स का इतिहास करीब करीब 100 साल पुराना है और फैंटम ने इन सबकी नींव रखी। किसी को मानव जीवन के चरम पर देखना हो तो उसकी छवि आप फैंटम में देख सकते है, उसने वर्षों अभ्यास कर अपने आपको इस श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ साबित किया है। उसके बारे में किवदंतियां प्रचलित है की वह मर नहीं सकता, उसे चलता फिरता प्रेत भी कहा जाता है जिसे अंग्रेजी में कहते है ‘द घोस्ट हु वाक्स’। बेन्गाला के जंगलों और वहां के लोगों की सुरक्षा का जिम्मा उसके कंधों पर है एवं पीढ़ी दर पीढ़ी उसके वंशज इस जिम्मेदारी को निभाते आ रहें है। अपराधियों के चेहरे पर खोपड़ी का निशान इस बात का घोतक है की ‘फैंटम‘ ने अपनों घूंसों से उनका स्वागत किया है।
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फैंटम स्ट्राइप्स (Phantom Stripes)
फैंटम का कार्यस्थल वैसे तो बेन्गाला का जंगल ही हैं लेकिन कई बार निमंत्रण पर अपने जंगलों से बाहर भी निकलता है। मवितान के राष्ट्रपति के निमंत्रण पर ‘वॉकर’ उनके भोज में शामिल होता है और रात्रि-भोज के समय टीवी पर समाचार देखकर वह चौंक उठता है क्योंकि समचारों में एक भारतीय रॉयल बंगाल टाइगर को दिखाया जाता है जिसे हाल ही में अमेरिका में लाया गया है अफ्रीका से। ख़बरों के अनुसार वह विश्व का सबसे बड़ा टाइगर है लेकिन ‘वॉकर’ उसे देखकर चिंतित हो उठता है! आखिर कौन है ये – “स्ट्राइप्स“।
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कहानी (Story)
मवितान के राष्ट्रपति के यहाँ ‘स्ट्राइप्स’ को टीवी पर देखकर फैंटम ‘आइल ऑफ़ ईडन’ पहुँचता है। वहां उसे उसका मित्र ‘स्ट्राइप्स’ नजर नहीं आता जिसकी लम्बाई 13 फीट है और वजन लगभग 1300 पाउंड, स्ट्राइप्स दुनिया का सबसे बड़ा रॉयल बंगाल टाइगर है जिसे अमेरिका के मेट्रोपोलिटन जू के लोग पकड़ कर ले जाते हैं। अपनी छानबीन के दौरान उसे वहां रहने वाला एक अन्य बब्बर शेर ‘डोडो’ मिलता है और एक जाल एवं कुछ जानवरों के ट्रैंक्विलाइज़र। अपने ‘भेड़िये’ डेविल के साथ फैंटम निकल पड़ता है शहर की ओर, लेकिन क्या ‘स्ट्राइप्स’ को लाना इतना आसान है? कौन थें वो अमेरिकी चिड़ियाघर वाले? क्या वो सुरक्षित वापस बेन्गाला के जंगल लौट पाए? यह आप जान पाएंगे ‘स्ट्राइप्स‘ में।
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टीम (Team)
इस कॉमिक्स के लेखक है महान कॉमिक बुक रचियता श्री ली फॉक, चित्रांकन है श्री जॉर्ज ऑल्सन और स्याहीकार हैं श्री कीथ विलिअम्स। इनका प्रारूप न्यूज़पेपर स्ट्रिप्स के रूप में था जिसे भारतीय प्रकाशक यूरो बुक्स ने वर्ष 2010 में संकलित कर इनका पॉकेट साइज़ में पुन:मुद्रण किया।
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संक्षिप्त विवरण (Details)
प्रकाशक : यूरो बुक्स
पेज : 72
पेपर : मप्लिथो
मूल्य : 55/-
भाषा : अंग्रेजी
कहां से खरीदें : हैलो बुक माइन
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निष्कर्ष (Conclusion)
फैंटम और ली फॉक पर कुछ कहना सूरज को दीया दिखाने वाली बात है, इस कॉमिक के आंकलन के बारे में बस यही कह सकता हूँ की यह इतिहास का हिस्सा है जिसे हम जैसे पाठक आज भी सहेज रहें है। अगर फैंटम पढ़ते है तो अवश्य ही इसे अपने संग्रह में शामिल कीजिए, स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें, आभार – कॉमिक्स बाइट!!