कॉमिक्स समीक्षा: नाग प्रलोप – नागराज और तौसी (राज काॅमिक्स बाय संजय गुप्ता) – (Comics Review – Nag Pralop – Nagraj Aur Tausi – Raj Comics By Sanjay Gupta)
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वर्ष 1986 को कॉमिक्स जगत को एक ऐसा नायक प्राप्त हुआ जिसने भारत के कॉमिक्स जगत के नायकों की छवि ही बदल कर रख दी। एक ऐसा पात्र जो अपराध एवं अपराधियों का काल था, महादेव का भक्त और समस्त विश्व के सर्पों का सम्राट जिसे कॉमिक्स प्रशसंकों का आपार स्नेह और प्रेम प्राप्त हुआ और वो कहलाया आतंकवादी गिरोहों की तबाही का देवता नाग सम्राट – “नागराज” (Nagraj)। जिसके जीवन का एकमात्र उद्देश्य था की पूरे विश्व से आतंकवाद और अपराधियों का समूल नाश एवं उसके इस सफ़र में साथ होते है उसके कई मित्र और बनते है नए साथी। इसे ‘द स्नेकमैन‘, ‘नागसम्राट‘ और बच्चों के दोस्त ‘नागराज‘ के नाम से भी जाना जाता है जिसने कॉमिक्स जगत में कई कीर्तिमान स्थापित किए।
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नाग प्रलोप – नागराज और तौसी (राज काॅमिक्स बाय संजय गुप्ता) – (Nag Pralop – Nagraj Aur Tausi – Raj Comics By Sanjay Gupta)
‘प्रलय’ के बाद होता हैं ‘प्रलोप’। क्योंकि प्रलय के बाद सब कुछ तितर-बितर हो जाता हैं! वस्तुएं अपनी जगह से लोप हो जाती हैं और हर ओर बस दिखाई पड़ता हैं विध्वंस! ऐसा ही कुछ हुआ जब दो शूरवीर योद्धा आपस में टकरा गए, नागसम्राट ‘नागराज’ और पाताल सम्राट ‘तौसी’ जिस कारण समस्त संसार में मच गई ‘नाग प्रलय’। लेकिन बात उतनी भी सीधी नहीं जितनी दिखाई पड़ती हैं और यहाँ कई पेंच हैं, तौसी की मंगेतर ‘अप्सरा’ का अपहरण, तौसी के पुराने खलनायकों से उसकी भिडंत एवं नागराज का एक फिर से इच्चाधारियों से टकराव। क्या श्रृष्टि रोक पाएगी इस भयानक जलजले को या प्रलय के बाद दुनिया देखेगी ‘प्रलोप’। अप्सरा के प्रेम की तड़प में भटकते ‘तौसी’ और खलनायकों के काल ‘नागराज’ की एक शानदार कहानी – नाग प्रलोप (Nag Pralop), प्रलय का देवता भाग – 2।
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कहानी (Story)
कहानी की शुरुवात होती हैं एक अंजान द्वीप से जहाँ तौसी और अप्सरा अपने प्रेम के आनंद से सराबोर हो रहें हैं, माहौल में एक नशा सा छाया हुआ हैं और चांदनी भी प्रेमी युगल को आलिंगनबद्ध देखकर सकुचा रही हैं। तभी अचानक से वहां एक इच्छाधारी सर्प हमला कर देता हैं जिससे तौसी जैसे महाबली के भी पसीने छूट जाते हैं। दूसरी ओर ‘नागराज’ और ‘ग्रेस’ पहुँचते हैं एक रेसलिंग एरीना में जहाँ स्नेकी नाम का लड़ाका नागराज को लड़ने की चुनौती देता हैं। एक बेहतरीन मार्शल आर्ट फाइट के बाद नागराज उसे हरा देता हैं पर कुछ परिस्तिथियों के चलते वह उसके ‘पकड़’ में आ जाता हैं। ग्रेस मौके को संभालती हैं पर कोई अदृश्य शक्ति ‘स्नेकी’ की मदद करती हैं और दोनों वहां से भागने में सफल हो जाते हैं। दूसरी ओर तौसी भी ‘महानगर’ की ओर रवाना होता हैं ताकि वह अपनी प्रेयसी अप्सरा को वहां ढूँढ सके और वहां उसका सामना कुछ गुंडों और विषकन्याओं से होता हैं। तौसी और नागराज एक दूसरे को अपनी-अपनी दूरदृष्टि से देखते हैं और दूर कहीं दिखाई देता हैं जी-18 भी। बिछ चुकी मौत की बाज़ी और अब लगता हैं होकर ही रहेगा ‘नाग प्रलोप’।
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टीम (Team)
इस कॉमिक्स का आवरण भी बहुत शानदार हैं, नागराज का ग्रेस को लेकर हवा में लहराना और तौसी का अपना मुहं भींच कर बैकग्राउंड में खड़ा होना लाजवाब लगा। इसके आवरण पर कार्य किया है श्री आदिल खान पठान ने, श्री प्रदीप शेहरावत और श्री मोईन खान ने, कहानी लिखी है श्रो नितिन मिश्रा जी ने एवं चित्र भी आदिल जी ने बनायें हैं। रंग संयोजन हैं बसंत पंडा जी का और शब्दांकन एवं डिजाईन हैं श्री मंदार गंगेले और श्री गौरव गंगेले के। ‘राज कॉमिक्स हैं मेरा जुनून’ के टैग लाइन के साथ आपको नाम दिखाई देगा कॉमिक्स के संपादक यानि श्री संजय गुप्ता जी का। इस श्रृंखला का पूर्व प्रकाशित भाग ‘नाग प्रलय’ अवश्य पढ़ें या कॉमिक्स बाइट के रिव्यु का आनंद लें।
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संक्षिप्त विवरण (Details)
प्रकाशक : राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता (अल्फा बुक पब्लिशर्स )
पेज : 48
पेपर : मैट ग्लॉसी
मूल्य : 300/-
भाषा : हिंदी
कहां से खरीदें : अमेज़न
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निष्कर्ष (Conclusion)
नाग प्रलोप का चित्रांकन इसका मुख्य आकर्षण हैं। आदिल खान जी का कमाल का आर्टवर्क देखकर कोई भी पाठक दंग रह जाएगा, क्लासिक नागराज के साथ उन्होंने न्याय किया हैं हालाँकि तौसी के साथ भी उन्होंने कोताही नहीं बरती कुछ दृश्यों में वो नागराज से बीस ही लगा हैं। नितिन जी कहानी हैं तो भाई “जो वो लिखते हैं वो बिकता हैं”, पीरियड..!! शानदार कार्य राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता की टीम द्वारा और इस अंक ने प्रलय के देवता – भाग 3 की उम्मीदें काफी बढ़ा दी हैं। कॉमिक्स के दोनों भाग संग्रहणीय हैं और कॉमिक्स बाइट इस कॉमिक्स की सिफारिश जरुर करेगा। फॉर्मेट कॉमिक्स से ज्यादा ग्राफ़िक नॉवेल हैं जिस कारण एक प्रीमियम फील आता हैं। जरुर पढ़ें, आभार – कॉमिक्स बाइट!!
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