कॉमिक्स समीक्षा: गुड्डू बम -चित्रगाथा काॅमिक्स (Comics Review – Guddu Bomb – Chitragaatha Comics)
चित्र का अर्थ है ‘दृश्य’, गाथा का अर्थ है ‘कहानी’। चित्रगाथा जैसा कि नाम से पता चलता है कि दृश्यों के माध्यम से कहानी का चित्रण किया गया है। स्वागत कीजिये भारत के कॉमिक्स जगत में एक और नए पब्लिकेशन का जिसने अपने कदम अब इस इंडस्ट्री में रख लिए हैं एवं इसे वो धीरे-धीरे आगे भी बढ़ा रहें हैं। नाम के अनुरूप ही लगता हैं इनके द्वारा प्रकाशित होने वाली कॉमिक्स में भी कई प्रकार के मोड़, पड़ाव और दार्शनिक दृष्टिकोण देखने को मिलेंगे और पाठकों में भी इन्हें लेकर काफी उत्सुकता देखने को मिली हैं। पेश है उनके तीसरे अंक की समीक्षा जिसका नाम है – “गुड्डू बम” (Guddu Bomb)।
कॉमिक्स बुक रिव्यु: गुड्डू बम – चित्रगाथा काॅमिक्स – (Comic Book Review – Guddu Bomb – Chitragaatha Comics)
नमस्कार मित्रों, चित्रगाथा कॉमिक्स और उनके अनोखे कॉमिक बुक टाइटल पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब रहे, चाहे वो ‘वर्ल्ड वॉर 3: एक दार्शनिक द्वंद’ हो या ‘एड इंफिनिटम: सिसिफ़स’। सिर्फ नाम ही नहीं इन कॉमिक्स की अवधारणा भी बेहद अलग है और यह आप कॉमिक्स पढ़ कर ही समझ सकते है। अब वो प्रस्तुत है अपने तीसरे अंक के साथ जो जासूसी की दुनिया से जुड़ा हुआ है एवं बिहार की पृष्ठभूमि पर आधारित, एक ऐसा खालिस देसी नायक जो बात कम करता है और मार ज्यादा लगाता है। इस नए पात्र का नाम है गुमान मिश्रा उर्फ़ ‘गुड्डू’ और अपनी इन्हीं बेख़ौफ़ हरकतों के कारण कभी भी फट सकता है उसके नाम और कार्य के अनुरूप – “गुड्डू बम”!
कहानी (Story)
गुमान मिश्रा के नाम का ‘बम’ फट रहा है, अपराधियों से घिरे हुए है ‘गुमान उर्फ़ गुड्डू’ और वह उन्हें खुली चुनौती देता है! एक छत के नीचे हथियारों से लैस यह सभी अपराधी बस इसी पल का इंतजार कर रहे थे और अचानक ही कमरे का माहौल एक्शन से गूँज उठता है! तड़ाक! ढिशूम! गुड्डू के हैरतअंगेज वार गुंडों को छठी का दूध याद दिला देते है और कुछ ही मिनटों में सबका काम तमाम! तभी वहां रखे फ़ोन की घंटी ‘घनघना’ उठती है जो गुड्डू की दादी का था और हडबडाकर गुड्डू उठ बैठता है। पर यह क्या गुड्डू तो सपना देख रहा था, तभी उसके दरवाजे पर घंटी बजती है और एक मधुर सी आवाज उसका ध्यान आकर्षित कर लेती है। गुड्डू के सामने है एक नया केस जिसमें एक औरत का पति पिछले तीन महीने से गायब है, दिखने में यह एक मामूली सा ‘गुमशुदा तलाश’ का प्रकरण समझ आता है जिसे गुड्डू मना कर देता है, पर पैसे की किल्लत उसे इस केस में उलझा ही लेती है। इस खोज में उसका साथ देता है ‘लहसुन’, नाम अजब और काम भी! अब क्या यह दोनों मिलकर इस ‘गुमशुदा पति’ की खोज कर पाएंगे? यह केस जलेबी जितना सीधा था! कुछ पुराने जख्म भी कुरेदे जाने थें! कॉमिक्स पढ़ कर जाने आखिर कहाँ जाकर फूटा यह ‘गुड्डू बम’!
टीम (Team)
गुड्डू बम की परिकल्पना की है स्वयं श्री अनादि अभिलाष ने और कहानी के रूप में इसे साकार किया है लेखक श्री सुदीप मेनन ने। नए आर्टिस्ट श्री मुर्शिद आलम का आर्टवर्क शानदार है और सुश्री ज्योति सिंह एवं पंकज देवरे की जोड़ी ने कलरिंग से इसे और बेहतर बना दिया है। शब्दांकन एंव डिजाईन श्री रविराज ‘बुल्सआई’ आहूजा का है जो हमेशा की तरह बढ़िया है और इसका हिंदी अनुवाद किया है श्री विश्वदीप पुरकायस्थ ने। प्रूफ रीडिंग में नाम है कॉमिक्स जगत के उभरते लेखक और मेरे घनिष्ठ मित्रों में से एक श्री दीपक शर्मा का और कॉमिक्स के अवरणों पर अपना जादू बिखेरा है आर्टिस्ट दीपजॉय सुब्बा ने एवं उनके साथ है श्री मिन्हाज महदी (हिंदी) और श्री प्रदीप सेहरावत (अंग्रेजी)। विशेष आभार में श्री हरेन्द्र सिंह सैनी, श्री रजत मिश्रा और श्री अर्चित श्रीवास्तव के नाम शामिल है। टाइटल डिजाईन किया गया है ‘शक्ति कॉमिक्स’ स्टूडियोज के द्वारा। दोनों आवरण बेहद शानदार बने है और कहानी में में जासूसी के तत्व भरपूर है। पूरी टीम का कार्य प्रशंसनीय है।
संक्षिप्त विवरण (Details)
प्रकाशक : चित्रगाथा कॉमिक्स
पेज : 44
पेपर : ग्लॉसी
मूल्य : 301/-
भाषा : हिंदी/अंग्रेजी
कहां से खरीदें : चित्रगाथा कॉमिक्स
निष्कर्ष (Conclusion)
क्या गुड्डू बम अपने नाम और कार्य के साथ न्याय कर पाई? भई बिलकुल। कॉमिक्स अपने आर्ट और स्टोरी से आपका मनोरंजन करने में सफल होती है। जासूसी के संसार में एक ‘बिहारी बाबू’ की आमद हुई है। शेर्लोक होल्म्स और व्योमकेश बक्शी के बाद एक और मानवीय पात्र जो कोई सुपरहीरो नहीं है, लेकिन अपने अंदाज और कार्यशैली से वह उनसे कम भी नहीं है, बेधड़क और निडर ‘गुड्डू’ कॉमिक्स जगत के पाठकों को जरुर पसंद आएगा। कहानी अपने गति से आगे बढ़ती है, कई पात्र आते-जाते है पर गुड्डू कॉमिक्स में छाए हुए है, ‘लहसुन’ भी छोटे मगर प्रभावपूर्ण किरदार में दिखाई पड़ता है और साथ ही शहर के गुंडों के साथ वहां का एस.पी ‘द्वारका नाथ शास्त्री’ भी गुड्डू के पीछे है। सीधी सी लगने वाली कहानी में कई पड़ाव है और एक्शन भी! अंत का ट्विस्ट अच्छा है जो आपको भी एक दोराहे पर छोड़ देगा और यह निर्णय सही है या गलत इसका फैसला पाठक खुद करेगा। चित्रों के मध्य कई छोटे-छोटे ‘बिहार’ से जुड़े संदर्भ देखने को मिलते है जो ध्यान से देखने पर पाठकों को भी नजर आएंगे। कई पेनल्स में चित्रों के मध्य स्थिरता की कमी है जिसपर ज्यादा ध्यान नहीं जाता पर इसमें सुधार की गुंजाईश जरुर है। गुड्डू बम एक बढ़िया कॉमिक्स है जिसे आपको जरुर पढ़ना चाहिए और जासूसी पसंद करने वाले पाठकों को यह और पसंद आएगी। आभार – कॉमिक्स बाइट!!
प्रेमपूर्ण स्मृति – निनाद जाधव (Loving Memory – Ninad Jadhav)
कुछ माह पहले एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में हम सभी के बड़े भाई और मित्र श्री निनाद जाधव जी इस दुनिया को अलविदा कह गए। अनादि जी, शम्भु जी और मैं खुद इस घटना से स्तब्ध थे, हैं और अब पूरे जीवन रहेंगे एवं शायद ही उनकी भरपाई कभी संभव होगी। इस विशेष पृष्ठ को पढ़कर आखें नम हो गई, अनादि जी ने उन्हें एक सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है जिसे मैं नमन करता हूँ। निनाद जी के कार्य विस्मृत करने वाले थे, वो सच्चे अध्यापक थे और कॉमिक्स के प्रति उनका लगाव एवं जूनून शायद ही मैंने किसी और व्यक्ति में देखा होगा। वो परिवारिक होने के साथ-साथ समाजीकरण में भी अग्रणी थे और उनके किए गए कार्यों की गूँज सदैव इस कॉमिक्स जगत में विधमान रहेगी। उनके देखे सपने और विचारों को हम सभी को आगे लेकर जाना होगा और अगर हम उनके द्वारा किए गए कार्यों का 1% प्रतिशत भी कर सके तो खुद को धन्य समझेंगे। अनादि जी को उनके सच्चे शब्दों के लिए अनेकों साधुवाद! – मैनाक!!