फ्रेंडी – ‘दिखने में छोटा पर घाव करें संगीन’ (Comics Review – Frendy – Thrill Horror Suspense – Raj Comics By Manoj Gupta)
वर्ष 1995 में कॉमिक्स का शबाब अपने जोरों पर था, लोगों में कॉमिक्स का रुझान बढ़ रहा था और कई कॉमिक्स प्रकाशक इसमें जोर आजमा रहें थें। ऐसे में हर किसी को कुछ ना कुछ अलग परोसना ही तो था ही, फिर राज कॉमिक्स को कहाँ पीछे रहना था। विदेशी हॉलीवुड फिल्म ‘चाइल्ड प्ले’ से प्रेरित होकर उन्होंने ‘फ्रेंडी’ गढ़ डाला जिसे बिलकुल ‘रामसे ब्रदेर्स’ की फिल्मी पृष्ठभूमि में बनाया गया। अब ये कहना मुश्किल हैं इसके पीछे विदेशी फिल्म थी या बेहद चर्चित मराठी फिल्म ‘झापटलेला’ जिसका हिंदी संस्करण भी जिसे वर्ष 1995 में ‘खिलौना बना खलनायक’ के नाम से प्रदर्शित किया गया थ। इस फिल्म को पॉपकल्चर में ‘कल्ट’ की उपाधि प्राप्त हैं जिसे अपने जीवंत अभिनय से स्वर्गीय ‘लक्ष्मीकांत बेर्डे’ ने कालजयी बना दिया। अब पात्र का आधार कोई भी हो लेकिन इसे ‘फ्रेंडी’ का रूप तो राज कॉमिक्स ने ही प्रदान किया और ‘फ्रेंडी श्रृंखला’ की याद में थ्रिल हॉरर सस्पेंस के दीवानों ने एक बार फिर पुरजोर मांग कर लगभग ढाई दशक बाद इसे राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता से पुन:मुद्रित करवाया। एक बेहद ही खूंखार हत्यारा जो गुड्डे के भेष में इतनी हैरतअंगेज हत्यायें करता हैं की मार्वल यूनिवर्स के ‘कार्नेज’ को भी शर्म आ जाए। दिखने में भले ही छोटा सा लगे ये ‘फ्रेंडी’ लेकिन इसके घाव बेहद गंभीर होते हैं।
फ्रेंडी – राज काॅमिक्स बाय मनोज गुप्ता) – (Comics Review – Frendy – Thrill Horror Suspense – Raj Comics By Manoj Gupta)
‘फ्रेंडी’ एक ऐसा रोबोटिक रबर का गुड्डा जो उसमें कुछ पहले से भरे ‘डायलॉग’ बोल सकता था, जैसे ‘ हाई आई एम् टॉमी’ ‘आई एम् योर फ्रेंड टू द एंड’ और साथ में भी कुछ डायलॉग! हर गुड्डे का नाम अलग होता है जिसे बनाया जाता हैं ‘नागराज नॉवेल्टीज’ के कारखाने में। ऐसे ही एक दिन औद्योगिक नगर परवाणु में घटित होता एक भयानक हादसा जिसके कारण शुरू होता हैं शिमला में वीभत्स हत्याकांड का सिलसिला और बदल जाती हैं बहुत सी जिंदगियां। इन सबके पीछे हाँथ हैं ‘फ्रेंडी’ डॉल का लेकिन इसका सच आखिर क्या है?
कहानी (Story)
परवाणु शहर में इंस्पेक्टर सुनील एक बैंक लुटरे ‘जग्गा’ का पीछा करते हुए पहुँच जाता हैं ‘नागराज नॉवेल्टीज’ में जहाँ आसमानी बिजली से होता हैं एक बड़ा विस्फोट। जग्गा जहाँ इस विस्फोट में मारा जाता हैं वहीँ इंस्पेक्टर सुनील इसमें बाल बाल बच जाता हैं वहीँ शिमला में मिसेज रंजना गुहा के जीवन में आने वाला हैं एक ऐसा तूफ़ान जिसे वो और उनका बेटा ‘विशु’ बिलकुल बेखबर हैं। विशु को उसके जन्मदिन में चाहिए एक ‘फ्रेंडी’ डॉल और मिसेज रंजना को इसे दिलाने में मदद करती हैं उनकी दोस्त ‘रोजी’, दोनों इसे एक मावली से बेहद सस्ते भाव में खरीद लेती हैं। कुछ काम के चलते रोजी को डॉल देने विशु के पास जाना पड़ता हैं एवं रात को कुछ अनहोनी घटनाओं के बाद उसे घर की खिड़की से बाहर फेंक दिया जाता हैं। इंस्पेक्टर सुनील केस की तफ़तीश करता हैं और रोजी की हत्या का जिम्मेदार वो विशु को ठहराता हैं। रंजना को इस बात पर विश्वास नहीं होता वहीँ रंजना के पड़ोसी जासूस विकास शर्मा भी इस बात पर भरोसा नहीं करते। कहानी और पेचीदा होती जाती हैं एवं हत्याओं का सिलसिला भी चल पड़ता हैं। क्या इंस्पेक्टर सुनील इसे रोक पाया? क्या विकास शर्मा इस केस में कोई सबूत जुटा पाएं? जग्गा का क्या सच में मर गया? ऐसे ही कई सवालों के जवाब पाठकों के सामने रखती हैं ‘फ्रेंडी’!
टीम (Team)
कॉमिक्स का आवरण बनाया हैं श्री अनुपम सिन्हा जी ने जो देखते ही आपको आकर्षित कर लेता हैं, चित्रकार हैं श्री नरेश कुमार जी जिनके चित्र देखते ही बनते हैं और कहानीकार हैं राज कॉमिक्स आधार स्तंभों में से एक श्री हनीफ़ अजहर जी ने। रंग संयोजन में योगदान दिया हैं श्रीमान तौफीक एवं श्री सुरेश डीगवाल जी ने और कैलीग्राफी की हैं श्री तुलाराम आजाद जी ने। कॉमिक्स के संपादक हैं श्री मनोज गुप्ता जी ने।
संक्षिप्त विवरण (Details)
प्रकाशक : राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता (पिनव्हील पब्लिकेशन)
पेज : 31
पेपर : मैट ग्लॉसी
मूल्य : 70/-
भाषा : हिंदी
कहां से खरीदें : हैल्लो बुक माइन
निष्कर्ष (Conclusion)
थ्रिल हॉरर सस्पेंस के पाठकों को यह कॉमिक्स जरुर संतुष्ट करेगी। नरेश जी इलस्ट्रेशन आपको अपनी पलकें झपकाने का मौका नहीं देंगे और हनीफ़ जी की कहानी पर कसावट आप पृष्ठ दर पृष्ठ महसूस कर पाएंगे। कॉमिक्स अपने फ़िल्मी ‘प्लाट’ की तरह बिलकुल पैसा वसूल हैं और पाठक भी फ्रेंडी की भयानकता को देख सिहर जाएंगे। अगर हॉरर कॉमिक्स के शौक़ीन हैं तो बेशक फ्रेंडी आपके लिए ही लिखी गई हैं। दुनिया में हर किसी को प्रेरणा की जरुरत होती हैं अब आप इसे कोई भी नाम दें सकते हैं लेकिन एक आर्टिस्ट और (पूरी) टीम की मेहनत आपके चंद शब्दों से ज्यादा बदलने नहीं वाली क्योंकि उन्होंने किसी से प्रेरित होकर कुछ सृजन किया और इतिहास में आपना नाम दर्ज करा लिया हैं। भारतीय काॅमिक्स की एक बेहतरीन हाॅरर श्रृंखला का आरंभ है फ्रेंडी! इंतजार करें हमारे अगले समीक्षा का जो होगी – फ्रेंडी – 2!!
नोट*: यह कॉमिक्स 18 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए अनुकूल हैं! बच्चों से कृपया दूर ही रखें!
Parakram-1 & Parakram-2 | Super Commando Dhruva Collector’s Editions | Set of 2 | Raj Comics