कॉमिक्स समीक्षा: फिर आया बांकेलाल (राज काॅमिक्स बाय मनोज गुप्ता) – (Comics Review – Fir Aaya Bankelal – Raj Comics By Manoj Gupta)
भगवान शिव के श्राप के कारण एक चुलबुले बालक की किस्मत ही बदल गई। उसने हमेशा राजा बनने का सपना देखा और वह पूरा होता भी नजर आया जब उसके कुटिल षड्यंत्रों में फँस कर विशालगढ़ साम्राज्य के राजा विक्रम सिंह हर बार किसी ना किसी मुसीबत में अटक जाते, लेकिन हमेशा उस श्राप की वजह से ‘कर बुरा हो भला’ ही होता। बांकेलाल स्वयं भी इन्हीं दांव-पेंचों में उलझा रहता और कई बार गंभीर परिस्थितियों में भी घिर जाता पर जिस पर भोलेबाबा का आशीर्वाद हो उसका भला ‘काल’ भी क्या बिगाड़ लेगा। बांकेलाल को हास्य सम्राट का दर्जा प्राप्त हैं और राज कॉमिक्स में सबसे ज्यादा एकल अंकों का आंकड़ा भी बांकेलाल के नाम हैं। अब कई वर्षों के अंतराल के बाद राज कॉमिक्स के सौजन्य से ‘फिर आया बांकेलाल’। बेदी जी की भरपाई करना मुश्किल हैं लेकिन बांकेलाल के साथ अब वो अमर हैं।
फिर आया बांकेलाल (राज काॅमिक्स बाय मनोज गुप्ता) – (Fir Aaya Bankelal – Raj Comics By Manoj Gupta)
अंतत: कई वर्षों के इंतजार के बाद ‘फिर आया बांकेलाल’! जी बिलकुल यही नाम है बांकेलाल के हाल ही में प्रकाशित अंक का जिसे पाठकों का मिला जुला प्रतिसाद मिला हालाँकि वो इस कॉमिक्स में अपना बचपन, नास्टैल्जिया, बेदी जी और वाही जी की जुगलबंदी को तलाश रहें थें लेकिन अफ़सोस इनमें सिर्फ अभी वाही जी इस टीम का हिस्सा हैं और क्या बेहतरीन तरीके से उन्होंने आज के परिदृश्य यानि ‘कोरोनाकाल’ के हालातों का अपनी कहानी के माध्यम से खूबसूरत वर्णन किया हैं। इस चित्रकथा में हास्य के साथ साथ गंभीर संदेश भी हैं जो इसे हाल के प्रकाशित कॉमिकों में सर्वोच्च स्थान प्रदान करती हैं जिसका इस्तेमाल स्कूल एवं अन्य क्षेत्रों में कोरोना के प्रति जागरूकता बढानें में अत्यंत लाभदायक सिद्ध हो सकती हैं। कॉमिक बुक आर्टिस्ट श्री प्रेम गुणावत जी ने भी चित्रकारी से पूरा न्याय किया हैं और जिस तरीके से हास्यपुट के साथ इस चित्रकथा से सकारात्मक संदेश दिया गया, उसके लिए राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता एवं उनकी पूरी टीम बधाई के पात्र हैं।
कहानी (Story)
पड़ोसी देश का राजा झाँकू सिंह को दूसरे राज्यों में तांक-झांक करने की बड़ी बुरी आदत थीं जिस कारण उसे दूसरें राज्यों से अपमानित होकर लौटना पड़ता। विशालगढ़ में भी झाँकू सिंह को आदर-सम्मान तो मिला, लेकिन अपने झाँकने की बुरी आदत के चलते अपमानित होकर बाद में महाराजा विक्रम सिंह ने उन्हें महल एवं राज्य से निकाल दिया। इस दुत्कार के प्रतिकार हेतु झाँकू सिंह ने विशालगढ़ में एक भयानक विषाणु का प्रकोप फैला दिया जिससे प्रजा, सेना के साथ साथ राजा विक्रम सिंह के फेफड़े भी कमज़ोर पड़ गए। उधर ‘आ मुलाकातों का मौसम आ गया‘ वन में राक्षस डोले भी इस भयानक विषाणु से जूझ रहा था जिसके लिए उसे चाहिए थे राजा विक्रम सिंह जैसे ही किसी शूरवीर राजा के फेफड़े! क्या महाराजा के स्वास्थ में सुधार हुआ? क्या डोले अपने नए फेफड़े प्राप्त करने में सफल हुआ? और क्या था इस बार बांकेलाल का षड्यंत्र? राजा झाँकू सिंह के साथ साथ आप भी ‘झांक’ कर पढ़ें – ‘फिर आया बांकेलाल‘।
टीम (Team)
कहानी की परिकल्पना की हैं श्रीमती मीनू गुप्ता जी ने, कहानीकार हैं श्री तरुण कुमार वाही जी, चित्रकारी की है श्री प्रेम गुणावत जी ने, रंग-सज्जा हैं श्री सुनील पाण्डेय जी के द्वारा, सुलेख हैं श्रीमान नितीश शर्मा जी के और संपादन किया हैं स्वयं श्री मनोज गुप्ता जी ने। इसमें सहयोग रहा हैं सुश्री बबिता वालिया जी एवं रंजीत राम जी का और आभार व्यक्त किया हैं स्टूडियो हेड श्री आयुष गुप्ता जी का।
संक्षिप्त विवरण (Details)
प्रकाशक : राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता (पिनव्हील पब्लिकेशन)
पेज : 32
पेपर : नार्मल (मैप्लिथो)
मूल्य : 135/-
भाषा : हिंदी
कहां से खरीदें : हैलो बुक माइन
निष्कर्ष (Conclusion)
अगर पाठक बेदी जी और ‘बचपन का प्यार’ ढूंढ रहें हैं तो यह कहानी आपको निराश कर सकती हैं हालाँकि हमें तो यह बेहद पसंद आई हैं और इसे सभी कॉमिक्स प्रसंशकों के कॉमिक्स संग्रह में जरुर होना चाहिए। कहानी और आर्टवर्क और बेहतर हो सकते थे लेकिन बांकेलाल के लौटने की खुशी में आप इस पक्ष को दरकिनार कर सकते हैं एवं अपने आस पड़ोस में इस चित्रकथा के माध्यम से कोरोना वायरस के प्रति जागरूकता भी फैला सकते हैं। अब बांकेलाल के अगले कॉमिक्स ‘मुसीबत का खेल’ का इंतजार हैं, आभार – कॉमिक्स बाइट!!
Combo Listing Set Of 4 Raj Comics – Bankelal