कॉमिक्स समीक्षा: एड इंफिनिटम: सिसिफ़स -चित्रगाथा काॅमिक्स (Comics Review – Ad Infinitum: Sisyphus – Chitragaatha Comics)
चित्र का अर्थ है ‘दृश्य’, गाथा का अर्थ है ‘कहानी’। चित्रगाथा जैसा कि नाम से पता चलता है कि दृश्यों के माध्यम से कहानी का चित्रण किया गया है। स्वागत कीजिये भारत के कॉमिक्स जगत में एक और नए पब्लिकेशन का जिसने अपने कदम अब इस इंडस्ट्री में रख लिए हैं एवं इसे वो धीरे-धीरे आगे भी बढ़ा रहें हैं। नाम के अनुरूप ही लगता हैं इनके द्वारा प्रकाशित होने वाली कॉमिक्स में भी कई प्रकार के मोड़, पड़ाव और दार्शनिक दृष्टिकोण देखने को मिलेंगे और पाठकों में भी इन्हें लेकर काफी उत्सुकता देखने को मिली हैं। पेश है उनके दूसरे अंक की समीक्षा जिसका नाम है – “एड इंफिनिटम: सिसिफ़स“।
कॉमिक्स बुक रिव्यु: एड इंफिनिटम: सिसिफ़स – चित्रगाथा काॅमिक्स – (Comic Book Review – Ad Infinitum: Sisyphus – Chitragaatha Comics)
नमस्कार मित्रों आज बात करेंगे चित्रगाथा कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित एड इंफिनिटम कॉमिक्स की। चित्रगाथा कॉमिक्स ने इससे पहले भी ‘वर्ल्ड वॉर 3: एक दार्शनिक द्वंद‘ नाम की कॉमिक्स प्रकाशित की थी जिसकी कहानी कॉमिक बुक के वर्ग में काफी अलग से दिखाई पड़ती है और उसका रिव्यु भी कॉमिक्स बाइट पर उपलब्ध है। अब एक बार फिर वो लेकर आएं हैं अपना दूसरा अंक – ‘एड इंफिनिटम: सिसिफ़स‘, जिसकी कहानी भी एकदम जुदा है। दार्शनिक द्वंद की तरह यह भी आपको एक सोचनीय ‘पेंच’ में फंसा देगी और कॉमिक्स का अंत आते-आते आपको भी लगेगा कि आखिर यहाँ हो क्या था। ऐसे प्रयोग भारतीय कॉमिक्स उद्योग में कम ही देखने को मिलते हैं, तो यह एक बहुत ही अच्छा प्रयास है चित्रगाथा कॉमिक्स की ओर से।
कहानी (Story)
कहानी है शाश्वत की, कहानी है सृष्टि की और यह कहानी है आपकी और मेरी भी जो एक जीवन चक्र में चल रहे हैं लेकिन हमें यह नहीं पता कि यह जीवन चक्र जो चल रहा है उसका अंत क्या है! हम रोज उठते हैं, अपना कार्य करते हैं, नौकरी/व्यवसाय पर जाते हैं और फिर घर वापस आते हैं, अंत में पूरी दिनचर्या खत्म करते हुए नींद की प्राप्ति करते हैं और फिर अगले दिन उसी ‘चक्र’ का हिस्सा बन जातें है। यह बहुत ही शानदार अवधारणा है जिसको चित्रगाथा कॉमिक्स ने ‘एक्सप्लोर’ किया है। एड इंफिनिटम कॉमिक्स की कहानी भी यही बात करती है जो एक यूनानी दंतकथा सिसिफ़स पर आधारित है। उसे सजा दी गई थी, जहाँ एक बड़े से गोल आकार के पत्थर को उसे एक ढलान के उपर चढ़ाना था, पर एक विशेष 45 डिग्री के कोंण पर आते ही वो पत्थर नीचे लुड़क आता, वह इस कार्य को करने की बार-बार कोशिश करता रहता लेकिन उसका यह प्रयास लगातार विफ़ल होता और चक्र यूँ ही चलता रहता। है ना कमाल का ‘कांसेप्ट’ और चित्रागाथा अंक दो भी इसी अवधारणा पर बुना गया है। इसके पात्र ‘शाश्वत और सृष्टि’ आपको इस कॉमिक्स में कई प्रश्नों के साथ बार-बार नजर आएंगे एवं उनके आसपास हो रही चीज़ें भी बार-बार दोहराई जाएँगी! लेकिन क्या वह इस ‘अनंत’ चक्र से निकाल पाएंगे? यह जानने के लिए आपको पढ़ना पड़ेगा एड इंफिनिटम: सिसिफ़स।
टीम (Team)
इस बार चित्रकार के रूप में श्री पुनीत शुक्ला का कार्य काफी अच्छा बना है, अपने पहले अंक से यहाँ काफी सुधार देखने को मिला है। दूसरे अंक की कहानी भी लेखक श्री प्रतीक भट्टाचार्य की है और इसे कॉमिक्स में रूपांतरित किया है लेखक श्री अश्विन कल्माने ने। साथ ही यहां पर देखने को मिले हैं हिंदी अनुवाद में श्री दीपक शर्मा और शक्ति कॉमिक्स के निर्देशक श्री विजय कुमार, रंगसज्जा है श्री नवल थानावाला और श्री हरेन्द्र सिंह सैनी की, इंकिंग हैं श्री विवेक शाश्वत की, डिजाईन और लिपि पर कार्य है श्री रविराज आहूजा का और इसके संपादक है श्री अनादि अभिलाष। लगभग सभी पुराने सदस्यों के नाम यहां पर देखने को मिलते हैं और यह एक अच्छा प्रयास कहा जाएगा। कवर पर कार्य आर्टिस्ट श्री दीपजॉय सुब्बा और श्री रीनन लेनो का है।
संक्षिप्त विवरण (Details)
प्रकाशक : चित्रगाथा कॉमिक्स
पेज : 44
पेपर : ग्लॉसी
मूल्य : 301/-
भाषा : हिंदी/अंग्रेजी
कहां से खरीदें : चित्रगाथा कॉमिक्स
निष्कर्ष (Conclusion)
निष्कर्ष की बात करें तो कहानी पेचीदा नजर आती है और पाठकों को हो सकता है इसे दो या तीन बार पढ़ना पड़े। अगर आपको सीधे-सीधे तौर पर समझना है तो इस कॉमिक्स की कहानी में कई सारे ट्विस्ट एंड टर्न है और बहुत सारे विज्ञान के ‘हाइपोथेटिकल कांसेप्ट’ भी, तो थोड़ा समय लग सकता है इसे समझने में लेकिन जो साइंस फिक्शन और ऐसे हाइपोथेटिकल थॉट्स को पसंद करते हैं तो उनके लिए यह बहुत बढ़िया पाठ्य होने वाला है। पृष्ठों पर चित्रांकन काफी अच्छा हुआ है और कुछ बढ़िया आर्टवर्क भी आपको दिखाई देते है जो वाकई में अच्छे बने हैं। चित्रों के साथ कहानी भी आपको पकड़ कर रखती है हालांकि हिंदी अनुवाद में थोड़ी बहुत कमी लगती है और यह पाठक को कहानी से जोड़ नहीं पाती। यहां पर चित्रगाथा कॉमिक्स को कार्य करने की आवश्यकता है क्योंकि कहानी से पाठक को जोड़ना बेहद जरुरी है तभी उसका ध्यान इसके शानदार ‘कांसेप्ट’ पर जाएगा। पटकथा के अनुसार कहानी को रफ़्तार प्रदान की गई है और चित्रांकन ने भी उससे पूरा न्याय किया है। यहाँ गूढ़ विज्ञान के काल्पनिक तथ्य भी बहुत ‘हाई लेवल’ के लिए गए है जैसे – ‘ग्रैंडफादर पैराडॉक्स’ और उसे थोड़ा जमीनी स्तर पर ले जाकर पाठकों को समझाना चाहिए था ताकि आम पाठक को यह समझ में आए। बाकी कॉमिक्स बढ़िया है और हमारी शुभकामनाएं चित्रगाथा कॉमिक्स के साथ है। उम्मीद है भविष्य में भी वह अच्छा कार्य करेंगे, आभार – कॉमिक्स बाइट!!