चितावर (CHITAAWAR)
तंत्र विधा में ‘चितावर’ के लकड़ी का जिक्र सुनने को मिलता है, ये एक विशेष प्रकार की लकड़ी होती है जी लोहे के मजबूत दरवाजों को भी आसानी से काट सकती है, कहते है इसे पाना दुर्लभ है और बस कौवा ही एक मात्र ऐसा प्राणी है जो इसे पहचान सकता है. जब कोई उसके बच्चों को बांध देता है तो वो चितावर की लकड़ी का इस्तेमाल करके ही अपने बच्चों को उस कैद से छुड़ाते है. लोग ये भी कहते है की ये लकड़ी पानी की उलटी दिशा में भी बहती है एवं तंत्र मंत्र में इसका इस्तेमाल होता है. अब सच्चाई जो भी हो पर ‘प्लाट’ बड़ा ही जबरदस्त है और इस पर एक कहानी बुनी है शब्दों के जादूगर श्री ‘तरुण कुमार वाही’ जी ने जिसका नाम है ‘चितावर‘ CHITAAWAR).
राज कॉमिक्स में वर्ष 1999 को रिलीज़ हुई ‘चितावर’ कॉमिक्स ‘एंथोनी’ सीरीज़ की 41वीं कॉमिक्स थी. इसकी जनरल संख्या थीं #968 और इसका मूल्य था 8 रूपये. इस साल को ‘नागराज एक्शन ईयर’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसी साल आई थी डोगा के फौलाद और ध्रुव के तेज़ दिमाग के कारनामों से भरपूर कॉमिक्स ‘निशाचर‘. ये साल एक्शन से लबरेज़ था इसलिए इसे ‘एक्शन ईयर’ तो होना ही था.
नाम: चितावर संख्या: 968 वर्ष: 1999 प्रकाशन: राज कॉमिक्स
इस कॉमिक्स के कवर का कार्य किया है श्री ‘धीरज वर्मा’ जी ने, कहानी लिखी है श्री ‘तरुण कुमार वाही’ जी ने, सहयोग किया श्री विवेक मोहन जी ने, श्री ‘सुरेश डीगवाल’ जी ने चित्रांकन किया है, इंकिंग श्री ‘मुकेश सिप्पी’ जी की है, कलर स्कीम पर कार्य किया है श्री ‘सुनील पाण्डेय’ जी ने और कैलीग्राफी की है श्री ‘टी.आर.आज़ाद’ जी ने एवं इसके संपादक थे श्री ‘मनीष गुप्ता’ जी.
पेश है ‘चितावर’ कॉमिक्स का शानदार कवर: आर्टवर्क – श्री धीरज वर्मा एवं साभार – राज कॉमिक्स
मरिया को किसी ने बांध रखा है, एंथोनी उसे बचाने आया है पर उसे एक गोरिल्ला ने पकड़ रखा है और उसकी पीठ पर दांत गड़ा रहा है, पीछे ‘प्रिंस’ उड़ रहा है और उसके पंजो में एक लकड़ी नज़र आ रही है.
प्लाट
शहर में गोरिल्ला नाम के अपराधी का आतंक है, इतिहास की पुलिस टीम उन्हें रोकती है पर वो अपराधी वहां से भागने में सफल हो जाते है, अगली बार वो टकराते है एंथोनी से जहाँ एक भयानक टकराव के बाद एंथोनी ‘गोरिल्ला’ को पीट पीट कर अधमरा कर देता है और प्रिंस के साथ वहां से निकल जाता है, ये एक चर्च था जहाँ एक फादर बच्चों को सच्चाई का पाठ पढ़ा रहे थे और एंथोनी की बेटी ‘मरिया’ भी वहां उपस्थित थी. लेकिन जब इतिहास अपनी पुलिस टीम के साथ चर्च पहुँचता है तो उसे मिलती है फादर की लाश और ‘गोरिल्ला’ भी वहां से फरार हो चुका होता है.
एक शमशान, एक तांत्रिक और इस तांत्रिक का नाम है ‘भैरवनाथ’. आगे बताया गया की ये ‘गोरिल्ला’ का गुरु है और उसे ऐसी खतरनाक शक्तियाँ उसी ने प्रदान की है. गोरिल्ला को ‘एंथोनी’ से अपने हालत का बदला लेना है, तांत्रिक भैरवनाथ जनता है की एंथोनी एक जिंदा मुर्दा है और उससे पार पाना आसान काम नहीं है. तब उसे ध्यान आता है ‘चितावर’ की लकड़ी का और उसके बाद वो किसी भी कीमत पर उसे पाना चाहता है ताकि उसका इस्तेमाल कर वो एंथोनी को रोक सके.
कहानी एवं आर्टवर्क
कहानी ‘आउट ऑफ़ थे बॉक्स’ संकल्पना पर आधारित है, ऐसे विषय पर ‘तरुण कुमार वाही’ सर का हाँथ कोई नहीं पकड़ सकता. एक लाजवाब कहानी पेश की है उन्होंने जो एंथोनी के किरदार के हिसाब से उत्तम है. उपर से उसमें गोरिल्ला जैसे बलशाली अपराधी का होना इसे एक धमाकेदार कॉमिक्स में तब्दील कर देता है. आर्टवर्क की बात करूँ सुरेश डीगवाल जी जैसा एंथोनी बनाते थे वैसा ही आपको इस कॉमिक्स में भी नज़र आएगा. यहाँ पर आप चेहरे की बारीकियां भी देख सकते है, भैरवनाथ और गोरिल्ला को बेहद खतरनाक किस्म का अपराधी दिखाया गया है. एक पॉवर पैक्ड कॉमिक्स तो ये बिलकुल है इसमें कोई दो राय नहीं है.
अब कहानी एक भाग में ख़तम नहीं होती, इसका अगला भाग भी है जिसका नाम है – ‘ये है मौत एंथोनी की’. जो मुझे लगता है जायज़ भी है क्योंकि इतने बढ़िया ‘प्लाट’ का इस्तेमाल 32 पन्नों में संभव नहीं.
इसके अगले भाग के रिव्यु के साथ हम जल्द लौटेंगे, तब तक इंतजार करे, आभार – कॉमिक्स बाइट!!
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अरे हमें भी इसके अगले सिरीज का इंतजार है !
काश की राज कॉमिक्स एंथोनी सिरीज की भी रिप्रिंट करती तो मजा आ जाता !
जी बहोत जल्द ही आएगा, आभार.