कॉमिक्स समीक्षा: कालभुजंग (फिक्शन काॅमिक्स) – (Comics Review – Kaalbhujang – Fiction Comics)
अनादि अभिलाष (Anadi Abhilash) जी का ताल्लुक ‘कोयला नगरी’ धनबाद, झारखंड के एक मध्यमवर्गीय परिवार से हैं । हालांकि इनकी प्रारंभिक शिक्षा, हाई स्कूल और +2 की शिक्षा झारखंड के ही सिमडेगा, जमशेदपुर और रांची से हुई । राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दुर्गापुर से बी.टेक की डिग्री प्राप्त की और मुंबई में कार्यरत हैं । काॅलेज के दिनों से ही राष्ट्रीय स्तर पर नाटक, नुक्कड़ करते आए हैं और मुंबई में विहंगम थियेटर ग्रुप से जुड़े हुए हैं । स्वरदीपिका नाम से इनकी एक प्राॅडक्शन वेंचर भी कार्यशील है । बचपन के दिनों से ही काॅमिक्स में विशेष रूचि है और भारतीय काॅमिक्स इंड्रस्टी के उत्थान के लिए कुछ कर गुजरना चाहते हैं और प्रयासरत भी हैं । इनका मानना है कि अगर आप और हम मिलकर संकल्प लें तो भारतीय काॅमिक्स इंड्रस्टी बुलंदियों को छू सकती है ।
कॉमिक्स समीक्षा: कालभुजंग (फिक्शन काॅमिक्स) – (Comics Review – Kaalbhujang – Fiction Comics)
प्यारे मित्रों, इंतजार की घड़ियाँ समाप्त हुई क्योंकि ‘प्रेत महल’ और ‘चम्पा चुड़ैल’ के बाद हम लेकर आए हैं भाग्यवीर भूताल के इस श्रृंखला की आखिरी काॅमिक्स ‘कालभुजंग‘ की समीक्षा । भाग्यवीर भूताल के कॉमिकों की पिछली समीक्षा भी पाठकगण हमारें रिव्यु सेक्शन में जरुर पढ़ें ।
पढ़ें – कॉमिक्स बाइट कॉमिक्स रिव्यु
कहानी (Story)
काली शक्तियों का स्वामी कालभुजंग लौट आया है चंपा चुड़ैल से प्रतिशोध लेने और दूसरी ओर चंपा चुड़ैल डोरे डाल रही है भूताल पर क्योंकि भूताल की शक्ल ही गवाही दे रही कि वही है महाराज बजरबट्टू की दादी बुआ चंपा का प्यार गधा प्रसाद । एक ओर कालभुजंग, दूसरी ओर चंपा चुड़ैल – पुनर्जन्म के झमेले में फंसा बेचारा भूताल । अब क्या होगा भोले भाले भूताल का ? जानने के लिए आपको पढ़नी ही पड़ेगी फिक्शन कॉमिक्स की गुदगुदाती कॉमिक्स – ‘कालभुजंग‘ ।
टीम (Team)
कालभुजंग की परिकल्पना की है श्री सुशांत पंडा ने और श्री अनुराग कुमार सिंह ने । लेखक श्री सुशांत पंडा हैं एवं चित्र है कार्टूनिस्ट श्री संतोष कुशवाहा जी के। रंग सज्जा की है श्री बसंत पंडा और श्री हरीश दास मानिकपुरी ने और शब्दांकन भी हरीश दास जी की है । संपादन और कला निर्देशन सुशांत पंडा जी का है और सह संपादक का कार्यभार संभाला है अनुराग कुमार सिंह जी ने ।
संक्षिप्त विवरण (Details)
प्रकाशक : फिक्शन काॅमिक्स
पेज : 24
पेपर : ग्लॉसी
मूल्य : 120/-
भाषा : हिंदी
कहां से खरीदें : FICTION COMICS
निष्कर्ष : भूताल की इस कथा श्रृंखला का अंत बेहतरीन तरीके से हुआ है । काॅमेडी के मामले में लेखक ने अंत तक बांधे रखा है । चित्रांकन के मामले में संतोष जी ने फिर साबित किया है कि वो आज के समय में बेहतरीन कार्टूनिस्ट हैं । कुल मिला कर ये श्रृंखला आपको भूताल का फैन बना देगी। तो देर किस बात की आज ही ऑर्डर कर दें ।