कॉमिक्स समीक्षा: नागराज (राज काॅमिक्स बाय संजय गुप्ता) – (Comics Review – Nagraj – Raj Comics By Sanjay Gupta)
वर्ष 1986 को कॉमिक्स जगत को एक ऐसा नायक प्राप्त हुआ जिसने भारत के कॉमिक्स जगत के नायकों की छवि ही बदल कर रख दी। एक ऐसा पात्र जो अपराध एवं अपराधियों का काल था, महादेव का भक्त और समस्त विश्व के सर्पों का सम्राट जिसे कॉमिक्स प्रशसंकों का आपार स्नेह और प्रेम प्राप्त हुआ और वो कहलाया आतंकवादी गिरोहों की तबाही का देवता नाग सम्राट – “नागराज” (Nagraj)। जिसके जीवन का एकमात्र उद्देश्य था की पूरे विश्व से आतंकवाद और अपराधियों का समूल नाश एवं उसके इस सफ़र में साथ होते है उसके कई मित्र और बनते है नए साथी। इसे ‘द स्नेकमैन‘, ‘नागसम्राट‘ और बच्चों के दोस्त ‘नागराज‘ के नाम से भी जाना जाता है जिसने कॉमिक्स जगत में कई कीर्तिमान स्थापित किए।
कॉमिक्स समीक्षा: नागराज (राज काॅमिक्स बाय संजय गुप्ता) – (Comics Review – Nagraj – Raj Comics By Sanjay Gupta)
वैसे तो यह कॉमिक्स सबसे पहले वर्ष 1986 में राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित की गई थी और इसके रचियता थे श्री राज कुमार गुप्ता जी एवं उनके 3 सुपुत्र श्री संजय गुप्ता जी, श्री मनोज गुप्ता जी और श्री मनीष गुप्ता जी। हालाँकि इसे कई बार पुन: मुद्रित किया गया लेकिन इसका मौलिक संस्करण सिर्फ हाल ही के वर्षों में बड़े आकर के रूप में राज रजत वर्ष 2010 के समय ‘सिल्वर जुबली एडिशन’ के रूप में देखने को मिला जिसमें कुल 40 पृष्ठ थे। पर इस साल ‘राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता‘ अपने ‘युगारंभ वर्ष – 2021‘ में एक बार फिर लेकर आएं है राज कॉमिक्स की एक दुर्लभ खोज – “नागराज“।
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कहानी (Story)
भारत के पड़ोसी देश म्यांमार की राजधानी रंगून में आयोजित किया गया एक अनोखा कार्यक्रम, विशेषतः एक नीलामी जो यह दावा करती है कि यह पूरे विश्व का सबसे खतरनाक हथियार है। प्रोफ़ेसर नागमणि के विशेष आमंत्रण पर देश विदेश के माफ़िया सरगना और उग्रवादी संगठनों के नेताओं को इस नीलामी में बुलाया जाता है। यहाँ पर अपराधियों और नागराज की छोटी लेकिन शानदार टक्कर देखने लायक है। माफिया डॉन बुलडॉग उस नीलामी को जीत लेता है और नागराज से भारत के असम राज्य में कुछ कबीलों के बीच दंगे करवाना चाहता है पर क्या नागराज अपने पहले मिशन में सफल हो पाएगा? और कौन है वो जंगलों में रहने वाला रहस्मयी शख्स जिससे बुलडॉग जैसे माफ़िया डॉन और उसके खूंखार लड़ाके भी ना जीत सके? कबीलों का क्या हुआ? क्या नागराज इनसे भिड़ पाएगा? ऐसे ही कई सवालों का जवाब है सर्प सम्राट नागराज की पहली कॉमिक्स – ‘नागराज‘ में।
टीम (Team)
नागराज की परिकल्पना की थी राज कुमार जी एवं उनके सुपुत्रों ने जैसा की हमनें आपको उपर भी बताया हैं। कहानी को मूर्त रूप दिया उस दौर जासूसी, हॉरर और फंतासी के प्रसिद्ध लेखक श्री परशुराम शर्मा जी ने, चित्रकारी और नागराज को उसका स्वरुप प्रदान करने वाले थे कला जगत के पितामह श्री प्रताप मुल्लिक जी और संपादन किया था श्री मनीष गुप्ता जी और संजय गुप्ता जी ने। अगर आज आप लोग नागराज को पहचानते है तो इसके पीछे अपने अपने क्षेत्रों के इन दिग्गजों के अमूल्य योगदान के कारण ही एक सपना जो यथार्थता के पृष्ठ पर सजीव हुआ। इसके बेहतरीन आवरण को बनाया था श्री जगदीश पंकज जी ने जिनके जिक्र के बिना नागराज का यह सफ़र अधूरा ही माना जाएगा।
इनमें से कुछ पुण्यआत्माओं ने अपना कार्य किया और इस दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन अपने कार्य के अंश के रूप में हमें और आने वाली कई पीढ़ियों को यह सौगात दे गए जिसे आज भी पाठकों का आपार स्नेह और प्रेम प्राप्त है। राज जी, प्रताप जी और जगदीश को कॉमिक्स बाइट की टीम और कॉमिक्स प्रेमियों का नमन।
संक्षिप्त विवरण (Details)
प्रकाशक : राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता
पेज : 40
पेपर : ग्लॉसी
मूल्य : 90/-
भाषा : हिंदी
कहां से खरीदें : लगभग सभी बुकसेलर्स के पास उपलब्ध (ऑनलाइन और ऑफलाइन)
निष्कर्ष (Conclusion)
अगर आप नागराज को जानते है, उसकी कॉमिक्स पढ़ते है तो यह हाल ही का प्रकाशित अंक आपके संग्रह में जरूर होना चाहिए। हाँ अगर आपने इसके बारें में नहीं सुना तो कोई बात नहीं, आज ही राज कॉमिक्स और नागराज के विस्मय कर देने वाले संसार में जुड़ जाईये। यह अपने मौलिक संस्करण में अतिरिक्त पृष्ठों के साथ प्रकाशित हुई है एवं इसके साथ युगारंभ वर्ष के उपलक्ष्य में एक स्टीकर, एक ट्रेडिंग कार्ड बिलकुल मुफ्त है।
नोट : यह तो नागराज का कॉमिक्स जगत में प्रथम आगमन था, इसके बाद का पड़ाव है – “नागराज की कब्र“।
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