महाबली शाका – डायमंड कॉमिक्स (Mahabali Shaka – Diamond Comics)
सुप्रतिम जी इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रहे हैं , साथ ही साथ वें उत्तर भारत के एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में शिक्षाविद और प्रशासक की भूमिका भी निभा रहे है. उत्तर पूर्वी शहर अगरतला में जन्मे, एक कॉमिक बुक प्रेमी और युवा साहित्य के प्रति रुझान रखने वाले सुप्रतिम जी भारत के उत्तरी भाग और पूर्वी भाग के साहित्य/कॉमिक बुक प्रकाशकों से समान रूप से जुड़े हुए है. सुप्रतिम जी हिंदी, बंगाली, मराठी और अंग्रेजी बोलने में सक्षम है, तथा वह अपने विचार और ज्ञान से देश के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय युवा साहित्य और कॉमिक बुक उद्योग में योगदान करने की कोशिश कर रहे हैं।
महाबली शाका (Mahabali Shaka)
महाबली शाका भारत के कॉमिक जगत में एक ऐसा नाम जिसके बारे में सुना सभी ने हैं पर बारीकी से इस किरदार पे कभी बातें नहीं हुइ। जैसा की अक्सर कहा जाता हैं की “कोनन द बारबैरियन” के अनुकरण में शाका को बनाया गया था और हर पब्लिकेशन में वैसे ही डील डोल वाला एक सुपर हीरो देखने को मिलता हैं पर आज इस लेख में हम महाबली शाका के उन खूबियों एवं पहलू पे बात करेंगे जिनके बारे में शायद ही कभी किसी ने ध्यान दिया हो।
ओरिजिन (Origin)
महाबली शाका की ओरिजिन पे कभी बात नहीं होती पर इसका मतलब ये बिलकुल नहीं हैं की उसके ओरिजिन का वजूद नहीं हैं, डायमंड कॉमिक्स के शुरुवाती अंको में महाबली शाका के आज के ‘महाबली शाका’ बनने की कहानी दर्ज हैँ, जिसमे दस्युओं के हाथों मौत के कगार पर पंहुच चुका शाका चमत्कारी शक्तियां युक्त नाग द्वारा बचा लिया जाता हैं, सिर्फ इतना ही नहीं, शाका के शख्सियत पे भी नाग देवता अपना असर छोड़ते हैं और शाका कसम खाता है जीवन भर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की।
आर्टवर्क: मनमीत डेडीयाला
नाग देवता शाका को वरदान भी देते हैं जिसके बलबूते पे शाका के हर आनेवाली पीढ़ी में एक पुत्र संतान प्राप्ति का आश्वासन मिलता है और ये भी कहा जाता है की नाग देवता के दैविक शक्ति से हर संतान अपने पूर्वज का नैन नक्श प्राप्त करेगा ऐसे ही लगभग “१०००” साल एवं “९९” पीढ़ियों से शाका और उसकी संतानें देवता पुत्र के नाम से दुनिया से अपराध मिटाने और कोसिमा के बीहड़ो में शांति कायम रखने के काम में लिप्त है।
वर्तमान के शाका की कहानी में ९९वें शाका की कहानियों को दिखाया गया हैं.“
अद्भुत शक्तियां एवं कौशल
शाका के असीमित शारीरिक बल के बारे में सभी को मालूम हैं, पर इसके अलावा भी जंगली भेड़िये के सामान सूंघने की क्षमता, जानवरो से और पंछियों से बात करने की क्षमता को भी शाका के कुछ कॉमिक्सों में दिखाया गया हैं।
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शाका को न सिर्फ एक इंजीनियरिंग ज्ञान संपन्न वैज्ञानिक बल्कि एक बायोलॉजिस्ट के तौर पे भी दिखाया गया है। समय समय पे शाका द्वारा ईजाद किये हुए यन्त्र, जैसे की अपनी खुद की पनडुब्बी और बहत सारे हथियार इस बात की पुष्टि करते है। शाका को जैविक हथियारों के साथ शोध करते हुए भी दिखाया गया हैं जहा शरीर की संरचना को बदल कर अदृश्य होने वाले शोध पे भी काम करते हुए शाका को दिखाया गया है।
बहुमुखी कहानियां
शाका के कहानियों में बहुत ही अलग अलग किस्म के विषय का भी जिक्र हमें मिलता हैं, जिनमे आर्मी रिलेटेड ऑपरेशन्स, जिनेटिकली मॉडिफाइड जानवर, क्रिप्टो जूलॉजी जैसे हाल ही के विषयों पे भी कॉमिक्स बानी है। जैसा की हमने कहा हैं की महाबली शाका को वरदान मिला था की पूरी पृथ्वी शाका का कार्यक्षेत्र रहेगा उस वजह से शाका को भी समय समय पे शहरी लिबास पे यात्रा करने की जरूरत आ पड़ती थी।
इसका उदाहरण हमें मिलता हैं जिंगरो का अंत, पाताल राक्षस, अफ्रीका के दैत्य ऐसे कॉमिक्स में.. चाहे घाना जंगल हो, या फिर दुर्गम पहाड़ियां, शाका को अपने कारनामों को अंजाम देने के लिए अलग-अलग जगह पर जाना पड़ा है। शाका को ‘जंगल का कानून’ कॉमिक में कालाहारी रेगिस्तान में भी अपने कारनामों के लिए जाते हुए दिखाया गया हैं।
कमांडो फाइटर जैसे कॉमिक में शाका को प्रत्यक्ष रूप से भारतीय स्थल सेना के साथ सहयोग में काम करते हुए भी दिखाया गया है, चाहे आधुनिक विज्ञान के चमत्कारों से लेस्स फिशमैन के खिलाफ कारनामे, चाहे बॉर्डर में हो रहे घुसपैठ को लेके कारनामे, या फिर जादुई शक्तियों से युक्त दुश्मनो से लोहा लेना, महाबली शाका के कॉमिक में हमें हर तरह के कहानियो का स्वाद मिलता है।
इन सभी के बीच में वर्तमान काल में महाबली शाका के पूर्वजों के किस्से भी बखूबी शाका के कारनामो के माध्यम से जुड़ते हुए दिखाए गए हैं। जहाँ ‘तिलिस्मी ताबीज’ कॉमिक में ९७वे महाबली शाका के सं १८९० के कारनामो की छवि मिलती हैं, वहीँ ९८वे महाबली शाका से क्रिस्टल खानदान से मुठभेड़ को उनके वापसी के रूप में दो कॉमिक की एक जानदार सीरीज के रूप में दिखाया गया है जिसकी पहली कॉमिक्स हैं ‘खंडहर का शैतान’ और जिसकी आखरी कड़ी है ‘स्पाइडर किंग’।
गौरतलब हैं की ‘स्पाइडर किंग’ कॉमिक को नए कवर के साथ डायमंड कॉमिक ने रीप्रिंट किया पर ‘खंडहर का शैतान’ जो इस शानदार सीरीज की पहली कड़ी है कहीं गुम होकर रह गई।
विसंगति
महाबली शाका के कॉमिक्स के बहुत ही अनूठे कुछ विसंगति के बारे में भी अभी बात करेंगे जो की शाका के चहेते पाठको के लिए एक रहस्य बना हुआ हैं। महाबली शाका के बहोत से कॉमिक्स में शाका को मांस भक्षण का विरोध करते हुए दिखाया गया हैं। कुछ कॉमिक्स जैसे ‘नाग का खजाना’ में तो शाका के ७० वे पूर्वज के द्वारा राभ्रक जाति के सरीसृप मानवो को खेतीबाड़ी सीखाना और मांस भक्षण को त्याग देने के लिए मुहीम छेड़ते दिखाया गया हैं तो कही जैविक शोध के समय शाका के हाथों शोध में इस्तेमाल हुए चूहे के मृत्यु के दौरान शाका का गहन शोक में डूब जाना दर्शाया गया है, तो कई कॉमिकों में शाका को मांस खाने का लुत्फ उठाते और तारीफ करते हुए भी दिखाया गया हैं।
नाग का खजाना और नाग मंदिर जैसे कॉमिक्स में शाका को चार चमत्कारी फल के भक्षण से जीवन भर के लिए जरा, व्याधि, सर्दी गर्मी एवं विष से प्रतिरक्षित दिखाया गया हैं पर शाका के शेष के कारनामों में ऐसे किसी क्षमता का प्रभाव नहीं दिखता, कुछ कॉमिक्सों में शाका को जहर से पीड़ित होते हुए भी दिखाया गया हैं. ये ऐसी विसंगतियां हैं जिनका कोई भी स्पष्टीकरण आज तक किसी कॉमिक में देखने को नहीं मिला हैं।
उपसंहार
पिछले ४ दशक में महाबली शाका के कई अनूठे कारनामें हमने पढ़े और उनमे से कुछ दो भाग के श्रृंखलाएं हैं जिनकी भारतीय कॉमिक्स के अव्वल दर्जे की श्रृंखलाओं में गिनती होनी चाहिए थी पर किसी कारणवश ऐसा हो नहीं पाया और काफी प्रसंशक इन कॉमिक्सों के बारे में जान भी नहीं पाए। महाबली शाका के ऐसे ही कुछ श्रृंखलाओं में ‘अफ्रीका के दैत्य श्रृंखला’, ‘नाग का खजाना श्रृंखला’, ‘स्पाइडर किंग’ श्रृंखला, ‘आदमखोर जंगली’ श्रृंखला और ‘भारतीय स्थल सेना’ के साथ किया हुआ सबसे बेहतरीन ‘अग्नि मानव’ श्रृंखला प्रमुख हैं.
महाबली शाका के एक प्रसंशक होने के नाते मैं ये चाहूंगा की १९८० और ९० के दशक में जो दर्जा ‘शाका’ को प्राप्त था, उसके समकक्ष कहानी और चित्रकला के समन्वय से डायमंड कॉमिक्स में एक बार फिर महाबली शाका की वापसी हो। आभार।
Very beautiful great origin of shaka
Thanks Manmeet Ji
An excellent article on one of the most versatile Indian super hero. Kudos!!!
Thanks a ton Rahul Ji. Our authors are equally passionate as any other comics fan, They do thorough analysis before writing any facts here. Glad to know your response.