मैंने मारा ध्रुव को, हत्यारा कौन और नागायण में क्या समानता है?
नमस्कार मित्रों, आज चर्चा होगी एक ऐसे तथ्य की जिसने मुझे मजबूर कर दिया की मैं इस आलेख को लिख डालूं. अभी लॉकडाउन और कोरोना के चलते मैंने एक बार फिर राज कॉमिक्स द्वारा रचित एक अभूतपूर्व महागाथा को दोबारा पढ़ना शुरू किया जिसका नाम है – ‘नागायण‘। यकीनन ये राज कॉमिक्स और श्री अनुपम सिन्हा जी द्वारा बुना गया ऐसा शाहकार है जिसे किसी एक आलेख में समेट देने से इसकी गरिमा को ठेस पहुँच सकती है, हाँ श्रीमती जॉली सिन्हा जी का भी इसमें उतना ही योगदान है जितना की अनुपम जी का एवं पूरी राज कॉमिक्स की वृहद् ‘टीम’ का भी जिन्होंने इसे सम्पूर्ण करने में और पाठकों तक पहुँचाने में सहयता की. मैंने इसे पूरा पढ़ा है एवं कई बार पढ़ा है और अब ‘नागायण’ पर बाकायदा आलेख की एक पूरी ‘सीरीज’ प्रकाशित होगी कॉमिक्स बाइट के अंतर्गत् लेकिन जब मैं इसे बहोत ध्यानपूर्वक पढ़ रहा था तब कई ऐसी बातें भी थी जिन्होंने मेरा ध्यान आकर्षित किया और उनमें से ही एक बिंदु को आज आप लोगों के साथ मैं साझा कर रहा हूँ.
असल में नागायण का सम्पूर्ण संकलन तो काफी बाद में आया और पहले ये एकल प्रति के रूप में बाज़ार में उपलब्ध थी. षष्ठम कांड, सप्तम कांड और अष्टम कांड में इसकी रूप रेखा बनी जो की रण कांड, समर कांड और इति कांड के रूप में जाने जाते है. रण कांड के आवरण में ‘ध्रुव’ को अचेत दिखाया गया है एवं उसके सीने में किसी प्रकार का अस्त्र घुसा हुआ है, रक्त की धारा भी बहती दिख रही है और नागराज ‘ध्रुव’ के सर को अपने हांथो में पकड़ कर उपर देख रहा है (भगवान को शायद की ये क्या हो गया) और अश्रु लगातार उसकी नयनों से अविरल बह रहे है, सामने नागपाशा का तीसरा रूप ‘भीरुपाशा’ मुहं को हांथो से छुपाये बैठा है और इन सब किरदारों के पीछे यति सेना अपने हांथों में हथियार लेकर खड़ी है. सच कहूँ बड़ा ही ‘आइकोनिक’ आवरण बनाया है अनुपम जी-विनोद जी की जोड़ी ने और गोविंदराम जी के इफेक्ट्स ने तो इसमें जान डाल दी है. अब शायद इस शीर्षक का अर्थ आप लोगों को समझ आ रहा होगा क्योंकि ठीक ‘रण कांड’ के 13 साल पहले आये थे सुपर कमांडो ध्रुव के दो जबरदस्त विशेषांक जिनके विज्ञापनों के कारण कॉमिक्स जगत के पाठकों के बीच मातम का माहौल बन गया था जो बिलकुल वैसा ही था जैसे ‘सास भी कभी बहु थी’ नामक धारावाहिक में उसके मुख्य किरदार ‘मिहिर विरानी’ की मौत के बाद भारत के ५०% घरों में रह रही महिलाओं का हुआ था (प्रतिशत और ज्यादा भी ज्यादा हो सकता है).
इन विशेषांक के नाम थे ‘मैंने मारा ध्रुव’ को और ‘हत्यारा कौन’. दोनों कॉमिक्स विशेषांक के आवरण पर सुपर कमांडो ध्रुव को यूँ ही घायल अवस्था में दिखाया गया था जो उस समय के हिसाब से काफी ‘डार्क’ था और किसी भी कॉमिक्स प्रसंशक का दिल इन्हें देखकर तार तार हो सकता था, खासकर बच्चों का जिनका नायक अभी तक ऐसी किसी अवस्था में पाया नहीं गया था. स्कूल से लेकर मोहल्ले तक में चर्चा की विषय बन गया था ‘मैंने मारा ध्रुव को’ का विज्ञापन जिसमें ध्रुव खून से लथपथ ज़मीन पर लेटा हुआ है और एक अजीब सी काली सफ़ेद ‘हड्डियों’ वाली पोशाक में एक आदमी दौड़ता हुआ ध्रुव की तरफ आ रहा है जिसका नाम ‘कंकालतंत्र’ बताया गया है. खास बात ये थी की इस काली पोशाक वाले करैक्टर के दाएँ ओर ध्रुव के ‘महाखलनायक’ खड़े है – बौना वामन, ध्वनिराज, ग्रैंड मास्टर रोबो, ब्लैक कैट, चंडकाल, सुप्रीमा, डॉक्टर वायरस और चुम्बा एवं वही बाएं ओर ध्रुव की ओर आते दिख रहे है ध्रुव के ‘परममित्र’ – धनंजय, सामरी, लोरी, बर्फ मानव, जिंगालू, वनपुत्र, चंडिका और नताशा.
विज्ञापन की जानकारी में ऐसा भी लिखा हुआ था – ‘अपना दिल कड़ा करके, और आंसू रोककर इंतज़ार कीजिये इस महा विशेषांक का’ एवं ध्रुव के साथी पूछ रहें है “किसने मारा ध्रुव को?”. कंकालतंत्र जो खुद को महादुष्ट और भयंकर शक्तिशाली बताता है एवं खास ध्रुव की शक्ति और बुद्धि को मात देने किसी और ‘आयाम’ से आया है इस बात से अचंभित रह जाता है की ध्रुव को पहले की किसी खलनायक में मार दिया है, अब वो सभी खलनायकों के बयान लेगा क्योंकि सभी कह रहे है – ‘मैंने मारा ध्रुव को‘. अब ऐसे विज्ञापन देख कर हर कोई अपने चहेते सुपरहीरो की बात तो जरूर करेगा की हमें आगे उसकी कॉमिक्स पढ़ने मिलेगी या नहीं?
इसके बाद कॉमिक्स में हमें एक विशेष इंतज़ाम – ‘क्राइम कोर्ट’ देखने को मिलती है जहाँ परम खलनायक के ख़िताब से नवाज़ा जायेगा उस खलनायक को जिसने ध्रुव की हत्या असलियत में की है. इन ‘खलनायकों / मित्रों’ के ‘बयान / गवाही’ को सुनेगा और उनसे जिरह करेगा कंकालतंत्र का खास सेवक ‘बायोट्रोन’ एवं अगर किसी ने भी झूठ कहा तो वो तुरंत उन्हें पकड़ लेगा क्योंकि उसके दिमाग में पृथ्वी की सारी जानकारी भरी हुयी है. ये ‘क्राइम कोर्ट’ वाला कार्यक्रम ‘मैंने मारा ध्रुव को’ और ‘हत्यारा कौन’ कॉमिक्स में विस्तारपूर्वक दिखाया गया है. हर खलनायक को उसके बयान और ध्रुव के मित्रों की गवाही के हिसाब से तर्कसंगत तथ्य बताते हुए किसी ‘अग्निद्वार’ के पार भेज दिया जाता है. बयान और कहानी का तरीका भी ‘ध्रुव’ के अन्य कॉमिक्स से भिन्न है और चित्रों एवं फ्रेम्स को खलनायक द्वारा किये गए वर्णन (नरेशन) के अनुसार दिखाया गया है.
दोनों कॉमिक्स ‘मैंने मारा ध्रुव को’ और ‘हत्यारा कौन’ लाजवाब कॉमिक्स है और आप इन्हें ‘हैलो बुक माइन‘ नामक पोर्टल से खरीद सकते है या राज कॉमिक्स की वेबसाइट से, आज सिर्फ इतना ही और इसका अगला और अंतिम भाग कल प्रकाशित किया जायेगा, आभार – कॉमिक्स बाइट!