राष्ट्र के दो दीपस्तंभ: महाराणा प्रताप और गुरुदेव टैगोर की जयंती पर राष्ट्र को नमन (Two lighthouses of the nation: The nation salutes Maharana Pratap and Gurudev Tagore on their birth anniversary)
एक ने तलवार से मातृभूमि की रक्षा की, दूसरे ने कलम से राष्ट्र को जागरूक किया, आज दोनों महापुरुषों को श्रद्धा सुमन। (One protected the motherland with the sword, the other awakened the nation with the pen-today we pay tribute to both these great men.)
वीरता और विवेक का संगम: महाराणा प्रताप और रवीन्द्रनाथ टैगोर
9 मई यह दिन भारतीय इतिहास में दो महान विभूतियों को श्रद्धा अर्पित करने का अवसर देता है। एक ओर हैं महाराणा प्रताप, जिनकी तलवार और आत्मबल ने मातृभूमि की अस्मिता की रक्षा की और दूसरी ओर हैं गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर, जिनकी लेखनी ने भारत को आत्मबोध कराया और ‘जन गण मन’ जैसा राष्ट्रगान दिया।
महाराणा प्रताप: मातृभूमि के लिए जीवन अर्पण
राजपूताना की वीरभूमि से जन्मे महाराणा प्रताप न केवल शौर्य के प्रतीक हैं, बल्कि स्वतंत्रता, स्वाभिमान और राष्ट्ररक्षा की प्रेरणा भी हैं। उनके जीवन का सबसे बड़ा उदाहरण हल्दीघाटी का युद्ध है, जहाँ उन्होंने मुगलों के विरुद्ध अपने सीमित संसाधनों के बावजूद अद्भुत पराक्रम दिखाया। फेसबुक पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा साझा की गई श्रद्धांजलि में कहा गया—“उन्होंने मातृभूमि के मान, सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा के लिए सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।“ अमर चित्र कथा द्वारा प्रकाशित ‘महाराणा प्रताप’ (Maharana Pratap) कॉमिक्स में उनका संघर्ष और समर्पण जीवंत चित्रों के माध्यम से युवाओं तक पहुँचाया गया है।

गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर: विचारों से क्रांति
टैगोर न केवल नोबेल पुरस्कार विजेता कवि थे, बल्कि एक सांस्कृतिक योद्धा भी थे। उन्होंने शिक्षा, कला, संगीत और साहित्य के माध्यम से भारतीय चेतना को नई दिशा दी। उनकी रचनाओं ने स्वतंत्रता संग्राम में भावनात्मक ऊर्जा प्रदान की। उनका स्थापित शांतिनिकेतन आज भी भारतीय शिक्षा की आत्मा बना हुआ है। अमर चित्र कथा ने भी गुरुदेव टैगोर (Rabindranath Tagore) की जीवनगाथा पर आधारित एक अद्भुत कॉमिक्स प्रकाशित किया है, जिससे बच्चों और युवाओं को उनके विचारों से जुड़ने का अवसर मिलता है।

आज की आवश्यकता: शौर्य और चिंतन का समन्वय
जब देश की सीमाओं पर संकट खड़ा हो और सैनिक राष्ट्र की रक्षा में मोर्चा संभाले हों, तब हमें महाराणा प्रताप की तरह अदम्य साहस और गुरुदेव टैगोर की तरह सशक्त विचारों की जरूरत है। यह दोनों महापुरुष आज भी हमारे लिए मार्गदर्शक हैं। वीरता और विचार – जब ये दोनों साथ हों, तभी राष्ट्र अखंड और शक्तिशाली बनता है और भारत ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) के माध्यम से इसे यथार्थ में भी परिपूर्ण कर रहा है। आज की पीढ़ी को महाराणा प्रताप के त्याग और टैगोर के चिंतन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र सेवा में जुटना चाहिए। आभार – कॉमिक्स बाइट!!
पढ़े: सेना की गौरव गाथाएँ (Indian War Series Comics)
