कॉमिक बुक समीक्षा – प्राण’स – बिल्लू का स्कूल (Comic Book Review – Prans – Billoo’s School)
बुक रिव्यू: बिल्लू का स्कूल (Book Review: Billoo’s School)
बिल्लू का स्कूल (Billoo Series): विद्यालय में हम सभी ने शिक्षा प्राप्त की है और शिक्षकों का हमारी प्रगति एवं उत्थान में बहुत महत्त्व होता है, लेकिन अगर बचपन की बात कि जाए तो स्कूल का नाम सुनते ही बच्चे मुहं बनाने लग जाते है। कमोबेश उस दौर में सभी के एक जैसे ही हालात होते है चाहे आप केंद्रीय विद्यालय के छात्र/छात्रा हों, सरस्वती शिशु मंदिर के, कान्वेंट के या नवोदय विद्यालय के। हालाँकि अपने जीवन का प्राथमिक ज्ञान भी वहीँ अर्जित किया जाता है। बिल्लू भी स्कूल जाता है और सभी बच्चों को स्कूल जरुर जाना चाहिए, क्योंकि ज्ञान एवं विद्या से क्या नहीं किया जा सकता! जो इसकी ताकत को पहचानता है वो अपने जीवन में हमेशा उन्नति की राह पर अग्रसर होता है। अब बिल्लू ने अपने स्कूल की दीवार पर एक कलाकृति बनाई है जिसे प्रिंसिपल ‘हट हट’ देख लेती है, क्रोध में आकर वह बिल्लू को दंड देती है लेकिन तभी वहां ‘शिक्षा मंत्री’ का आगमन हो जाता है। अब क्या होगा? क्या शिक्षा मंत्री इस बात से नाखुश होंगे? बिल्लू की सजा का क्या हुआ? एवं चित्रकारी तो वैसे भी कौशल का कार्य है। जानने के लिए पढ़ें हास्य और नैतकिता से भरपूर ‘बिल्लू का स्कूल‘ नामक कॉमिक्स में जिसे बनाया है कॉमिक बुक लीजेंड पद्मश्री कार्टूनिस्ट प्राण ने और पुन: प्रकाशित किया है ‘प्राण’स फीचर’ ने।
काॅमिक्स में कुछ 46 पृष्ठ हैं और इसका मूल्य है 150/- रूपये। काॅमिक्स में बिल्लू की कई अन्य काॅमिक स्ट्रिप्स भी है जिनमें व्यवहारिक ज्ञान और मनोरंजन की पूर्ण सामग्री है।
- बिल्लू और मोती
- बिल्लू, किताब और शोर
- बिल्लू और सोशल वर्क
- बिल्लू और उपवास का दिन
- बिल्लू, मोती और शेरा
- बिल्लू और दूध मक्खन
- बिल्लू और शेर से मुकाबला
- बिल्लू और माटो की मूंछे
इसके अलावा इस कॉमिक्स में ‘चाचा चौधरी और निशानेबाज़’ नामक एक पृष्ठ की एक चित्रकथा भी सम्मलित है।
बिल्लू का पात्र ‘युवा’ है जिसमे बहुत सलीके से इन स्ट्रिप्स को पिरोया गया है। कॉमिक्स में ‘सोशल वर्क’ जैसे सामाजिक कार्य को भी अच्छे से दर्शाया गया है और आज स्वछता ही हम सभी की प्राथमिकता बन चुकी है। अपने आस-पास के क्षेत्र को साफ़ सुथरा रख कर बहुत सी बिमारियों और रोगों से बचा जा सकता है। कार्टूनिस्ट प्राण ने सदैव समय से आगे की सोच रखी, तभी तो यह चित्रकथाएं आज भी प्रासंगिक है और आगे भी कई दशकों तक मनोरंजन के साथ-साथ पूण्यशीलता का संदेश प्रसारित करती रहेंगी।
कॉमिक्स की प्रिंटिंग अच्छी है और फ्लैट कलर्स भी इन कॉमिक्स पर फबते है। गुणवत्ता के पैमाने पर भी यह खरी उतरती है, अगर आपने इसे अभी तक नहीं पढ़ा या खरीदा तो अभी आर्डर कीजिए, जानकारी कॉमिक्स बाइट के पुराने लेखों में उपलब्ध है, आभार – कॉमिक्स बाइट!!
पढ़े: कॉमिक बुक समीक्षा – प्राण’स – बिल्लू और समोसा (Comic Book Review – Prans – Billoo And Samosa)
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