कानून का सिपाही – इंस्पेक्टर स्टील – राज कॉमिक्स (Kanoon Ka Sipahi – Inspector Steel – Raj Comics)
फर्ज़ की मशीन ‘इंस्पेक्टर स्टील’ के पहले राज कॉमिक्स विशेषांक पर एक नजर। (A Look At The Raj Comics Special Issue Featuring ‘Inspector Steel: Kanoon Ka Sipahi.’)
“फर्ज़ की मशीन” – इंस्पेक्टर स्टील (Inspector Steel): राज कॉमिक्स का यह नायक बड़ा ही अनोखा और हैरतअंगेज था जब पाठकों ने पहली बार एक इंस्पेक्टर को स्टील के शरीर में देखा था। वैसे ‘अमर’ नाम का यह नौजवान पुलिस फोर्स में एक इंस्पेक्टर हुआ करता था लेकिन एक भयानक हमले से इसका पूरा शरीर नष्ट हो जाता है। इस हालत में भारत के टॉप वैज्ञानिक ‘अनीस रजा’ उसके मस्तिष्क को एक स्टेनलेस स्टील के रोबोट के अंदर ट्रांसप्लांट कर देते है। इस बदलाव से उसकी की जान तो बच जाती है पर वह अब अमर से बन गया ‘इंस्पेक्टर स्टील’, जिसमें मानवीय भावनाएं समाप्त हो चुकी है और उसका अब एक ही ध्येय है ‘राजनगर’ के नागरिकों की अपराध एवं अपराधियों से सुरक्षा! वह बन चुका संपूर्ण तरीके से ‘कानून का सिपाही‘।
कॉमिक्स समीक्षा – “इंस्पेक्टर स्टील: कानून का सिपाही” – राज कॉमिक्स (Comics Review – “Inspector Steel: Kanoon Ka Sipahi” – Raj Comics)
डबल एक्शन ईयर 1997 में रिलीज़ ‘कानून का सिपाही’ भी राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित एक ऐसी ही कॉमिक्स थी जो राज कॉमिक्स यूनिवर्स में इंस्पेक्टर स्टील की पहली ‘राज कॉमिक्स विशेषांक’ बनी। इस कॉमिक्स से ज्ञात होता है कि अब इंस्पेक्टर स्टील के पास उसकी इंस्पेक्टर की पदवी नहीं है (जानने के लिए पढ़ें स्टील की पूर्व प्रकाशित कॉमिक्स) लेकिन फिर भी वह एक विशाल इमारत से गिरते एक इंसान की रक्षा करता है एवं उसकी जान बचा लेता है। इस हंगामें के पीछे जो लोग होते हैं, अब उनकी मंशा स्टील को अपने रास्ते से हटाने की है! कैसे वह अपने षड्यंत्रों का जाल बिछाकर, अपनी पद और ताकत का इस्तेमाल करके स्टील को बेबस करना चाहते हैं। उस पर संगीन अपराधिक जुर्म साबित करके ‘जो पहले खुद इंस्पेक्टर रह चुका है’, उसे जेल की सलाखों के पीछे भिजवाना चाहते है। हाँलाकि इन सभी तरतीबों के बाद भी कोर्ट ‘स्टील’ को ज़मानत पर रिहा कर देता है। अब क्या करेंगे ये पेशेवर अपराधी? कैसे रोकेंगे वो इस ‘फर्ज़ की मशीन’ को? क्या स्टील पर लगे आरोप सिद्ध हो सके? एवं कौन है इन सबके पीछे का मास्टरमाइंड? सभी जवाबों को हल करता है ‘कानून का सिपाही’।
टीम (Team)
कानून का सिपाही कॉमिक्स को लिखा है लेखक हनीफ़ अजहर जी ने और इसके आवरण और पृष्ठों पर आर्टवर्क किया है भारतीय कॉमिक बुक्स के लीजेंडरी आर्टिस्ट स्वर्गीय धीरज वर्मा जी ने, इसके स्याहीकार थे जसवंत सिंह नार जी (भोकाल के प्रारंभिक आर्ट्स बनाने वाले) और संपादन है श्री मनीष गुप्ता जी का, साथ में है श्री संजय गुप्ता जी, श्री मनोज गुप्ता जी और राज कॉमिक्स के नब्बें के दशक की जबरदस्त टीम। आवरण अच्छा बना है जिसे धीरज जी ने बनाया था पर ये और बेहतर हो सकता था, इसमें स्टील और गैंडा नामक अपराधी आपस में टकराते दिखाई पड़ रहे है, पहले विशेषांक के हिसाब से यह थोड़ा हल्का रह जाता है।
संक्षिप्त विवरण (Details)
प्रकाशक : राज कॉमिक्स एवं राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता (पिनव्हील पब्लिकेशन – रिप्रिंट)
पेज : 64
पेपर : ग्लॉसी
मूल्य : 160/- रूपये
भाषा : हिंदी
कहां से खरीदें : राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता व अन्य पुस्तक विक्रेता
निष्कर्ष (Conclusion)
इंस्पेक्टर स्टील की पहली राज कॉमिक्स विशेषांक कॉमिक्स औसत ही कही जाएगी, कई जगहों पर कहानी को आगे खींचा गया है। हनीफ़ जी ने अपनी कोशिश की है लेकिन अंत तक आप इसकी धारणा बना लेते है आगे क्या होगा। धीरज जी का कार्य देखने लायक है, उन्होंने भेड़िया से राज कॉमिक्स के घर में कदम रखा और धीरे-धीरे सभी पात्रों पर अपनी कला का जादू बिखेरा। धीरज वर्मा जी के प्रशंसकों के लिए यह शानदार अनुभूति होगी, आज भले ही वो हमारे बीच नहीं है पर उनकी कला, उनका कार्य, उनकी उपस्तिथि इन कॉमिक बुक्स के माध्यम से हमारे मध्य बनी रहेगी, कॉमिक्स बाइट उन्हें ह्रदय से नमन करता है। अंदर के पृष्ठों पर आर्ट काफी डाॅयनामिक दिखते है जो एक्शन से भरपूर है। इंस्पेक्टर स्टील और गैंडा की टक्कर भी जोरदार है जिससे साढ़े चार सौ किलो वजनी ‘स्टील’ के भी पसीने छूट जाते है। कानून का सिपाही एक सादी कहानी है जिसे एक्शन में लपेटकर पाठकों को परोसा गया है। अगर आप स्टील के प्रशंसक है तो इस कॉमिक्स को ज़रूर पढ़ें क्योंकि यहाँ पर वो ‘स्टील’ से बनता है – ‘इंस्पेक्टर स्टील‘। आभार – कॉमिक्स बाइट!!
Raj Comics | Aakhiri Series Collection Set | Bhrahmand Rakshak