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संस्मरण: खूनी खिलौने – सुपर कमांडो धुव (Memoir: Khooni Khilaune – Super Commando Dhruva)

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नमस्कार दोस्तों, सबसे पहले तो राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता और उनकी पूरी टीम को मेरा दिल से आभार क्योंकि उन्होंने पाठकों को दो दशक से इंतजार कर रहे ‘सुपर कमांडो ध्रुव’ के इयर की सौगात दी और वर्ष 2022 को कैप्टेन एवं उनके कैडेट्स के नाम समर्पित किया। सुपर कमांडो ध्रुव से मेरी मुलाकात वैसे तो ‘ग्रैंड मास्टर रोबो’ के द्वारा पहले ही हो चुकी थीं लेकिन मैंने कभी भी उसकी जनरल कॉमिक्स नहीं पढ़ी थी! सीधे शब्दों में कहूँ तो मैं नागराज का डाई-हार्ड प्रसंशक था और ‘ग्रैंड मास्टर रोबो’ भी मेरी बहन द्वारा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) रेलवे स्टेशन से खरीदी हुई थीं। स्कूल जाते वक़्त एक छोटे से किराना स्टोर में लटकती कॉमिकों में मुझे वो अद्भुद संसार नजर आता जो आज IMAX में स्पाइडर-मैन जैसे फिल्मों को देखकर दर्शकों को आता हैं।

Super Commando Dhruva Year 2022 – Raj Comics

एक मध्यमवर्गीय परिवार में आय के स्त्रोत कम ही होते हैं, यह तो गनीमत हैं की पढ़ने का शौक मेरे पिताजी को भी बहुत रहा और बाकायदा दिल्ली से वी.वी.पी के द्वारा उनके नॉवेल्स घर आया करते थें। अब पढ़ना मुझे भी पसंद था पर बाल मन में नॉवेल नहीं घुसती इसीलिए उन्होंने कॉमिक्स पढ़ने की सलाह दी। मनोरंजन के नाम पर ‘सलोरा’ के ‘ब्लैक एंड वाइट’ टीवी पर दूरदर्शन ही आता था इसलिए खेलने के अलवा दूसरा मनोरजन का साथी कॉमिक्स ही तो था! दूसरा स्कूल के नाम पर मुंह बनता मैं पिताजी के कॉमिक्स देने के नाम पर उत्साहित हो उठता और सरपट अपने स्कूल चला जाता। पिताजी के साथ अक्सर उस किराना स्टोर पर रूककर मैं कॉमिक्स की रंगीन दुनिया में खो जाता और आज भी जब ‘सर्पद्वंद’ जैसी नई कॉमिक्स हाँथों में आती तो बाल मन पहले चित्रों को निहारता है और विज्ञापन वगैरह टटोलने के बाद आराम से कहानी का आनंद लेता हैं।

Sarpdwanda-Raj-Comics-Nagraj-Vs-Tausi
Sarpdwanda – Raj Comics Nagraj Vs Tausi

खैर बात अब ध्रुव की होगी क्योंकि हमने तो बचपन में खेलने वाले खिलौने सुने थें लेकिन जब कॉमिक्स के विज्ञापन पर ‘खूनी खिलौने’ पढ़ा तभी से ये शब्द मेरे मन में डंके की तरह चोट करने लगा, अनुपम सर ने इसका विज्ञापन इतना एक्शन-पैक्ड बनाया था वह भी ताश के पत्तों के फ्रेम में और साथ ही वह भयानक सा चिम्पांजी जिसके पैने दांतों को देखकर लगा की शायद यही ‘कैप्टेन’ की आखिरी कॉमिक्स ना बन जाए, इसमें खास ध्रुव के चाहने वालों के लिए एक चेतावनी भी थीं जिसे अपने चेहरे में पूरे समाज की हैवानियत लपेटे स्वयं बौना वामन बता रहा था और अब इसे खरीदने की एक ‘ट्रिक’ मुझे भी लगानी थीं।

Khooni Khilaune Ad - Super Commando Dhruva
Khooni Khilaune Ad – Super Commando Dhruva

3 नंबर शॉपिंग काम्प्लेक्स में कई व्यवसयिक दुकाने थीं जिसे खास कोल् फ़ील्ड्स के कर्मचारियों के लिए बनाया गया था। वर्ष ठीक से याद नहीं शायद 91-92 की बात होगी, पिताजी के मित्र नसीर अहमद के यहाँ पहुँचते ही मुझे मेरी मोर्टन चॉकलेट मिल जाया करती थी क्योंकि उनकी डेली नीड्स की दुकान थी और उनके पड़ोस में जो दुकान अब तक शटर डाउन किये रहती थीं, आज उसकी चमक दमक देखते ही बन रही थीं। संजय स्पोर्ट्स यानि की धनपुरी नगर के लोकल नेता श्री मैथलीशरण के बेटे ने वहां नयी स्पोर्ट्स की दुकान डाली थीं जिसे शायद कुछ दिनों पहले ही खोला गया था। उनके दुकान के बाहर कई कॉमिकें लटक रहीं थीं जो शायद भिन्न भिन्न प्रकाशनों की थीं लेकिन जिसने मेरा ध्यान सबसे ज्यादा आकर्षित किया वो कॉमिक थीं सुपर कमांडो ध्रुव की स्वर्ण पोशाक में झूलती ‘खूनी खिलौने’।

Khooni Khilaune - Super Commando Dhruva - Cover
Khooni Khilaune – Super Commando Dhruva – Cover

दिल की धड़कने बढ़ चुकी थीं, पिताजी को बोलकर मैंने उसे खरीदने की जिद की। कॉमिक्स संजय भैया के हाँथों से सरक कर पापा के हांथों में पहुंची, उन्होंने उसे उलट पलट कर देखा फिर मुझे थमा दी। कॉमिक्स के आवरण पर एक बड़ा सा विशालकाय शैतान चला आ रहा था जिसने दोनों हाँथों में लड़कियों को पकड़ रखा था और पीले नीले चुस्त कपड़ों में उस शैतान रोबोट के गले में एक रस्सी से लटकता ‘ध्रुव’ शायद उसे रोकने की चेष्टा कर रहा था। मन ख्यालों में खोया ही था तो पिताजी की आवाज ने मुझे झंझोड़ दिया – “लाओ, कॉमिक्स वापस रख दो”, बहुत महंगी हैं 15 रूपये काफी ज्यादा हैं! बाद में ले लेना पर अभी रहने दो”।

यह सुनते ही दहाड़े मार कर मैं अपने पैर पटकने लगा, उनसे जिद करने लगा लेकिन क्या उस दौर में 15 रूपये मिलना इतना आसन था? ऐसा लगा की बच्चे की दुनिया ही लुट गई (हा हा हा), आज हंसी आती हैं पर कैप्टेन के लिए वो मेरे दीवानेपन की शुरुवात भर थीं क्योंकि तब हम लोग टूटी-फूटी हिंदी पढ़ना और लिखना सीख ही रहें थे और अनुपम सर ने अपने विज्ञापन मात्र से ‘सुपर कमांडो ध्रुव’ का एक जबरा फैन बना लिया था। अब स्कूल हो या खेल का मैदान मुझे तो खूनी खिलौने हर हाल में पढ़नी थी (या उसके चित्र निहारने थें) लेकिन सवाल था कैसे?? यह बड़ा सवाल था जिसका जवाब मुझे कुछ ही दिनों में मिलने वाला था।

सुपर कमांडो धुव ने मुझे विज्ञान कभी नहीं पढ़ाया, सीधी बात हैं उसके लिए मैं स्कूल जाता था और विज्ञान का विषय भी पढ़ता था। लेकिन उसने हिंदी के साफ शब्दों में मुझे विज्ञान के कई रोचक तथ्य बताएं जिसे मेरा बाल मन अंग्रेजी के जटिल शब्दों में ना समझ सका। उसे देखकर ऐसा लगता की कोई भी मनुष्य अपनी तीव्र इच्छाशक्ति के द्वारा असंभव सा लगने वाले कार्य भी आसानी से कर सकता हैं। शुरवाती अंकों में ध्रुव भी कद-काठी डील-डौल से एक आम भारतीय नौजवान ही नजर आता जिसकी छवि अभिनेता ‘राजकुमार’ भी अपनी हालिया रिलीज़ फिल्म ‘हम दो हमारे दो’ पर खुद में देखते नजर आएं और उसके साहसिक कारनामों से प्रेरित होकर अपना नाम भी फिल्म में ‘ध्रुव’ रख डाला। सुपर कमांडों ध्रुव का जिक्र पिछले दो वर्षों में वेबसीरीज से लेकर फिल्मों तक में देखने को मिला हैं जो पाठकों को यह विश्वास दिलाता हैं भविष्य में जरुर होना वाला हैं – “ध्रुवोदय”।।

Super Commando Dhruva Complete Set of All 25 General Comics | Raj Comics

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