इनविंसिबल – एक प्रेरणा (Invincible – An Inspiration)
कॉमिक्स ने भारत में बीते दशकों में कोई खास प्रगति नहीं की है (फिल्म और एनीमेशन) और यहाँ मैं बात कर रहा हूँ शुद्ध भारतीय कॉमिक्स प्रकाशकों की एवं उनके किरदारों की। बड़े पर्दे पर विदेशी किरदारों की फिल्मों ने (एवेंजर्स और जस्टिस लीग) और दशकों से टीवी पर आते एनीमेशन कार्टून्स (एक्स मैन, स्पाइडर-मैन, ही-मैन) ने भारत के पाठकों के मन में अपने ही नायकों के प्रति एक नकारात्मक छवि का प्रक्षेपण शुरू कर दिया है। बचपन के नायक नागराज और ध्रुव अब हमें प्रतिलिपि लगने लगे? उनकी कहानियों में हम तर्क ढूढ़ने लगे? लेकिन ही मैन के पालतू को बैटल कैट में बदलता देख हम चीखें मारने लगते है, यह संभव लगता है लेकिन किसी देशी नायक के गुस्से से जुपिटर पर ज्वालामुखी फूटना नहीं। इनविंसिबल इसी मान्यता को तोड़ती प्रतीत होती है।
हम भारतीय प्रकाशनों के किरदारों को एक दूसरे से प्रेरित बताने लग गए हैं, लेकिन मार्वल/डीसी के किरादर आपको आनंद देते है एवं दर्शक उन्हें भविष्य का मानते है और वह वाहवाही भी बटोरते है। ‘ये प्रतिलिपि, वो प्रतिलिपि’ वाले लोग असल में एक नकारात्मक माहौल में रहना पसंद करते हैं लेकिन हाल ही में आई अमेज़न प्राइम वीडियो में इमेज कॉमिक्स पर आधारित – ‘इनविंसिबल‘ सीजन 1 ने इन सभी धारणाओं को गलत साबित कर दिया क्योंकि ऐसे पाठक और दर्शक सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु विदेशों में बहुतायत में पाए जाते हैं और इनविंसिबल ने इन सभी के मुंह पर करारा तमाचा मारा है।
स्पोइलेर्स: तभी पढ़ें अगर आप इसे देख चुके है, अन्यथा पहले एनीमेशन श्रृंखला को अमेज़न प्राइम पर देखें.
इमेज कॉमिक्स पर आधारित कॉमिक्स श्रृंखला “इनविंसिबल” पर इस एनिमेटेड श्रृंखला का निर्माण हुआ है जिसे पहले किसी भी प्लेटफार्म ने हाथों हाँथ नहीं लिया था और इसका कारण शायद इसके किरदारों का दूसरे सफल समकालीन प्रकाशनों के किरदारों से मिलना था या उनके जैसे ही शक्तियों के स्वामी होना था! इसी कारणवश किसी ने इसे जस्टिस लीग की घटिया कॉपी कहा तो किसी ने पहले सीजन ने खलनायक ओमनी-मैन को सस्ता सुपरमैन तक बता डाला, इस श्रृंखला के पहले तक शायद 80% प्रतिशत लोगों को यह भी अंदाजा नहीं था की यह प्रसिद्ध कॉमिक बुक आर्टिस्ट (लेखक) श्री राॅबर्ट किर्कमैन के द्वारा लिखी हुई एक कॉमिक बुक का रूपांतरण है जिन्हें “द वाकिंग डेड” के रचियता होने का गौरव भी प्राप्त हैं।
बहरहाल ऐसे नकारात्मक लोगों का प्रतिशत नगण्य मात्र है और ये कुछ लोग आपको हमेशा भटकाने की कोशिश में लगे रहेंगे इसलिए अपने घेरे में से ऐसे लोगों को दरकिनार कर आप इसके सकारत्मक प्रभाव पर ध्यान दीजिए। इनविंसिबल बच्चों के लिए नहीं लिखी गई है और ना ही यह एनीमेशन उनके लिए बनाया गया है। यह 18+ उम्र से उपर के लोगों के लिए उपयुक्त है क्योंकि इसमें मार-काट, खून और मौत की भरमार है और अगर आपका ह्रदय कमज़ोर है तो इसे बिलकुल भी ना देखें। आई एम डी बी में इसे 8.8 की रेटिंग मिली है और रोटन टोमेटो ने इसे अपने टोमेटोमीटर में फ्रेश का दर्जा दिया है जिसका प्रतिशत 90 के उपर है।
पहले सीजन में कुल 8 एपिसोड हैं और पहले दो एपिसोड प्रसारित होने के बाद एक खास नकारात्मक तबका इसके विरोध में खड़ा हो गया जहाँ इसे प्रेरित, कॉपी बताया जाने लगा लेकिन सीजन का अंत आते आते इनका प्रतिशत भी घट गया और इनविंसिबल को अपेक्षित सफलता भी मिली जिसके बाद इसे सीजन 2 और सीजन 3 की मान्यता भी मिली और अमेज़न प्राइम ने इसका करार भी आगे बढ़ा दिया।
श्रृंखला में दर्शायी गई लड़ाई-मार-काट-हिंसा का कॉमिक्स बाइट समर्थन नहीं करता पर इनविंसिबल की कहानी की मांग के अनुसार ही इसे स्क्रीन पर दिखाया गया है और कॉमिक्स तो इसके भी 4 कदम आगे निकल जाती है। लेकिन इसके साथ एक बात तो तय है जिसे अंग्रेजी में कहते है – “यू कैन लव इट, यू कैन हेट इट बट यू कैननॉट इग्नोर इट” और इसी तर्ज पर इनविंसिबल दर्शकों के दिमाग पर अपनी छाप छोड़ जाती है एवं इसका संदेश बड़ा ही सीधा है “बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों ना हो अगर आप सच्चे है और आपके पास उससे लड़ने का जिगर है तो जीत और हार मायने पूरी तरीके से बदल जाते हैं“।
विश्वभर में सीजन 1 ने सफलता के झंडे गाड़े है जो इस बात का घोतक है की इसका कोई फर्क नहीं पड़ता की आपको किसी ने प्रेरित किया या आपने कहीं से प्रेरणा ली, इस संसार में कुछ भी मौलिक नहीं है। हम-आप सब ईश्वर की बनाई इस सृष्टि का हिस्सा मात्र है और यह जीवन हमें किसी कर्म की प्राप्ति के लिए ही मिला है तो क्या आप इसे बेकार के तर्क वितर्क में गंवाने की इच्छा रखेंगे या कुछ सकारात्मक कर इसमें अपना योगदान देंगे जैसे इनविंसिबल ने दर्शकों को दिया है एवं उनका जबरदस्त मनोरंजन भी किया हैं।
कॉमिक्स या कॉमिक बुक्स अपने आप में पूरा ब्रह्मांड है जिसे काल्पनिक रूप से पृष्ठों पर साकार करना लेखक, चित्रकार, रंग-संयोजक, स्याहीकार और संपादक की जिमेम्दारी होती है, आलोचना करें क्योंकि उसे करने से गलतियों की गुंजाईश कम हो जाती है लेकिन उसे करने का तरीका भी सकारात्मक हो नकारात्मक नहीं। चाहे देशी हों या विदेशी सभी प्रकाशनों का सम्मान करें और भारत में विशेषकर जहाँ इनकी मांग प्रतिदिन कम होती जा रही है और कई कलाकार तो गुमनामी के अंधेरों में खो भी चुके है। ऐसे दौर में इनविंसिबल एक ताज़े हवा के झोंके के सामान दिखाई पड़ता है जिसे कोई जानता नहीं था पर इसने अन्य लोगों के लिए सफलता नए मापदंड गढ़े; जब यह कर सकते है तो हम भी आज नहीं तो अगले 5 – 10 साल में कोई एक्शन – एनीमेशन जरुर देख सकते हैं, आशावादी रहें।
अब समय है अपने संसधानों का बेहतर इस्तेमाल करने का, भारतीय कलाकारों के योगदान को याद करें और इन सभी के द्वारा किए गए प्रयासों को सराहें। इस बात को समझना ज़रूरी है की तकनीक के हाथों की कठपुतली ना बना जाए और भविष्य के लिए कुछ ऐसा छोड़ कर जाएं की आने वाली पीढ़ी भी आपसे प्रेरणा लें। भारत की पावन धरती पर किए गए कार्य को किसी भी अन्य विदेशी प्रकाशक से कम ना आंके, क्योंकि फल चाहे अलग अलग हो सकते विभिन्न वृक्षों में पर उसको जीवन देने वाली यह धरा एक ही है, आभार – कॉमिक्स बाइट!! #BeInvincible
Invincible Vol. 1: Family Matters
Bhai saab pehli baat yeh series maine dekhi nahi.
Dusri baat bhartiya comics jagat me fan following hi nahi hai aakhir kyu!
Ji Fan Following bhi aur dekhne wale log bhi bus economy ka issue hai jo aane wale saalnon me zarur dekhne ko milega sabhi fans ko.