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वेद प्रकाश कम्बोज: भारतीय पल्प साहित्य के युग निर्माता को श्रद्धांजलि (Ved Prakash Kamboj: Tribute to the zeitgeist of Indian pulp literature)

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वेद प्रकाश कम्बोज – जासूसी, रोमांच और ऐतिहासिक उपन्यासों के पुरोधा लेखक का अमूल्य योगदान। (Ved Prakash Kamboj – Invaluable contribution of the pioneer writer of detective, thriller and historical novels.)

भारतीय पल्प साहित्य के महानायक वेद प्रकाश कम्बोज का नाम उस दौर के शीर्ष लेखकों में शामिल है, जिन्होंने जासूसी, अपराध और रहस्य-रोमांच की कहानियों से पाठकों को मंत्रमुग्ध किया। आज़ादी से पूर्व दिल्ली में जन्मे कम्बोज जी ने मात्र 18 वर्ष की उम्र में लेखन शुरू कर दिया और अपने समय के सबसे चर्चित पल्प फिक्शन लेखक बने। उनके द्वारा रचित किरदार जैसे विजय, रघुनाथ, अल्फांसे और सिंगिही, भारतीय पल्प साहित्य के नायक बन गए और आज भी पाठकों के दिलों में जीवित हैं। उनके उपन्यासों में पाठकों को एक अलग रोमांच का अनुभव मिलता था जो आज के साहित्य प्रेमियों को भी रोमांचित कर देता है।

Ved Prakash Kamboj
Ved Prakash Kamboj

कम्बोज जी का नाम केवल लेखन तक सीमित नहीं रहा, उनका योगदान नई पीढ़ी के लेखकों और अभिनेताओं के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बना। कुछ साल पहले ही, बहुमुखी अभिनेता दिव्येंदु (मिर्जापुर फेम), जिन्होंने वेब सीरीज ‘बिच्छू का खेल’ (लेखक अमित खान कृत) में एक महत्वाकांक्षी पल्प फिक्शन लेखक की भूमिका निभाई, ने वेद प्रकाश कम्बोज जी से ऑनलाइन मुलाकात की थी। इस चर्चित सीरीज के प्रमोशन के दौरान उन्होंने कम्बोज जी के साथ एक लेखक बनने की आवश्यकताओं और इस शैली के वास्तविक तत्वों पर चर्चा की। कम्बोज जी ने दिव्येंदु के अभिनय की सराहना की और कहा कि उन्होंने सीरीज के बारे में बेहतरीन प्रतिक्रियाएं सुनी हैं। इस मुलाकात में अभिनेता दिव्येंदु को कम्बोज जी की तारीफ पाकर बेहद गर्व महसूस हुआ। यह घटना पल्प फिक्शन की लोकप्रियता को नई पीढ़ी के बीच और भी बढ़ावा देती है, जो इस शैली को समझने और अपनाने की ओर अग्रसर है।

Reel meets Real - Pulp Fiction Conversation - Akhil Shrivastava - Ved Parkash Kamboj - ALT Balaji
Reel meets Real – Pulp Fiction Conversation – Akhil Shrivastava – Ved Parkash Kamboj – ALT Balaji

वेद प्रकाश कम्बोज का साहित्यिक योगदान केवल जासूसी और अपराध कहानियों तक सीमित नहीं था। उन्होंने सामाजिक और ऐतिहासिक उपन्यासों की भी रचना की और साथ ही विदेशी साहित्यिक कृतियों का हिंदी अनुवाद कर भारतीय पाठकों को विश्व साहित्य से जोड़ने का कार्य किया। उनकी लेखनी के रंग विविध थे, “चाहे वह जासूसी कहानियाँ हों, ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित कथानक, या फिर सामाजिक मुद्दों का चित्रण”, हर बार उनके पाठकों को एक नया अनुभव मिला। उनके उपन्यासों में रहस्य, रोमांच और नैतिकता का गहरा समावेश होता था, जो पाठकों को सोचने पर विवश कर देता था।

ALFANSE SERIES by VED PRAKASH KAMBOJ
ALFANSE SERIES by VED PRAKASH KAMBOJ

वेद प्रकाश कम्बोज की लेखनी एक अनमोल धरोहर है जो न केवल साहित्यिक आनंद देती है बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों को भी बढ़ावा देती है। लगभग 85 वर्ष की आयु में भी वह लेखन में सक्रिय थे और उनकी अंतिम पुस्तक उनके लेखन के प्रति उनके समर्पण की प्रतीक है। उनके उपन्यास और किरदार, जैसे “विजय और रघुनाथ”, पल्प साहित्य के अमर नायक हैं। उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता और वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।

Parshuram Sharma with Ved Prakash Kamboj and Abid Rizvi
Parshuram Sharma Ji (Center) with Ved Prakash Kamboj Ji (Right) and Abid Rizvi Ji (Left)

कम्बोज जी का इस संसार से जाना साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है, परंतु उनकी कृतियाँ सदैव उनकी उपस्थिति का आभास दिलाती रहेंगी। उनके योगदान को याद करते हुए हम यह कह सकते हैं कि उनका लेखन केवल एक मनोरंजन नहीं था, बल्कि साहित्य का वह सजीव रूप था जिसने पल्प फिक्शन को भारतीय साहित्य में एक नया स्थान दिलाया। मेरे पिताजी, जो खुद पल्प फिक्शन के बड़े प्रशंसक थे, उनकी तरह ही उनके चाहने वाले और भी हैं जो अपने संग्रह में उनकी कृतियों को संजोए हुए हैं। उनकी जादुई लेखनी और अपार साहित्यिक योगदान के लिए उनके असंख्य पाठक उन्हें सदैव याद रखेंगे। श्री वेद प्रकाश कम्बोज को हमारी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि और नमन। – मैनाक (कॉमिक्स बाइट)!!

इमेज क्रेडिट्स: परशुराम शर्मा जी एंड फेसबुक कम्युनिटी

Comics Byte

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