जन्मदिन विशेष: वेद प्रकाश शर्मा – उपन्यास जगत के बेताज बादशाह को शत्-शत् नमन (Ved Prakash Sharma – Tributes to the uncrowned king of the novel world.)
जिन्होंने हिंदी पाठकों को थ्रिल, जासूसी और सामाजिक चेतना से जोड़ा, वो सिर्फ लेखक नहीं, एक युग थे। (The one who connected Hindi readers with thrill, detective work and social consciousness, was not just a writer, he was an era.)

📌 परिचय और पृष्ठभूमि (Introduction and Background)
जन्म: 10 जून 1955
जन्मस्थान: मेरठ, उत्तर प्रदेश
पुण्यतिथि: 17 फ़रवरी 2017
कार्यकाल: 1970 से 2010 के दशक तक
वेद प्रकाश शर्मा जी हिंदी के सबसे लोकप्रिय और सर्वाधिक पढ़े जाने वाले उपन्यासकारों में से एक रहे। उन्होंने तुलसी पॉकेट बुक्स (मेरठ) के माध्यम से करोड़ों पाठकों तक रोमांच, जासूसी और सामाजिक संघर्ष से भरी कहानियाँ पहुँचाईं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा बी.ए.वी इंटर कॉलेज और ड्रीग्री काॅलेज मेरठ से हुई, उन्होंने लगभग सभी बड़े प्रकाशकों के साथ कार्य किया और बाद में मेरठ से ही खुद का प्रकाशन शुरू किया। एक ऐसा नाम, जिसने हिंदी जनसाहित्य को नए शिखर पर पहुँचाया और वे पाठकों के दिलों पर इस कदर छाए कि उन्हें हिंदी का ‘बेस्टसेलिंग मशीन’ कहा गया।
📚 ‘वर्दी वाला गुंडा’ और पल्प फिक्शन का कीर्तिमान (Vardi Wala Gunda Novel)
उनका पहला प्रकाशित उपन्यास ‘दहकते शहर’ था। इस उपन्यास से उन्हें पहली बार लेखक के रूप में श्रेय मिला और पाठकों के दिलों में जगह बनने लगी। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनका उपन्यास “वर्दी वाला गुंडा” भारतीय पल्प फिक्शन इतिहास का सबसे बड़े बेस्टसेलर्स में से एक रहा। इस उपन्यास की लगभग 8 करोड़ से अधिक प्रतियाँ बिकी थीं, 8 करोड़! विश्वास नहीं होगा आज के युग में पर यह बिलकुल प्रमाणिक जानकारी है।

यह उपन्यास एक ऐसे ईमानदार पुलिस अफसर की कहानी है, जो सिस्टम से लड़ने के लिए “गुंडे” की छवि ओढ़ लेता है। नॉवेल न केवल एक साहसिक थ्रिलर था, बल्कि भारतीय समाज और व्यवस्था की विफलताओं पर कटाक्ष भी। इस उपन्यास ने हिंदी साहित्य को आम जनमानस से जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई। इसके विज्ञापन भी टीवी पर चलते थे, ऐसा पढ़ने का क्रेज़ शायद ही अब कभी देखने को मिलें, पहले ही दिन 15 लाख प्रतियाँ। कई दुकानदार तो यह भी बताते है की उसकी नक़ल भी ‘आउट ऑफ़ स्टॉक’ हो जाया करती थी और यहाँ तक की लोगों ने उसे ‘फोटो कॉपी’ करके भी पढ़ा था। टोटली अनरीयलिस्टिक बट ट्रू स्टोरी!!
💥 प्रमुख उपन्यास और अमर पात्र (Major Novels and Immortal Characters)
वेद प्रकाश शर्मा के उपन्यासों में थ्रिल, सामाजिक न्याय, भ्रष्टाचार के खिलाफ विद्रोह, महिला सशक्तिकरण और पारिवारिक मूल्यों की गहरी छाप रहती थी। उनके कुछ अत्यंत लोकप्रिय उपन्यास हैं:
- वर्दी वाला गुंडा
- कलयुग की रामायण
- दहकते शहर
- बाहू मांगे इंसाफ
- कोहराम, साहस, काला जादू, प्रेमिका जो हत्यारिन बनी, मौत का किरदार, दहशत

उनके उपन्यासों में दर्जनों अमर पात्र जन्मे, जिनमें:
- केशव पंडित: एक ऐसा नायक जो जेल से निकलकर न्याय के लिए लड़ता है।
- विजय-विकास: जासूसी और कार्रवाई का जोड़ीदार नमूना।
- अलफांसे: शातिर दिमाग, पेचीदा केस सुलझाने वाला जासूस।
- रघुनाथ: मर्दानी सोच और न्यायप्रियता की मिसाल।
- विभा जिंदल: एक साहसी महिला किरदार, जो उनके स्त्री सशक्तिकरण दृष्टिकोण को दर्शाता है।

🤖 चित्रकथा का अनोखा संसार: ‘जम्बू’ (The unique world of comics: ‘Jambu’ – Tulsi Comics)
तुलसी कॉमिक्स के लिए वेद प्रकाश शर्मा जी ने ‘जम्बू’ जैसे रोबोटिक सुपरहीरो की रचना की। उसके पीछे भी एक कहानी है जो किसी अन्य पोस्ट में चर्चा आएगी, बहरहाल ‘जम्बू’ एक यंत्रमानव था, लेकिन उसकी आत्मा मानवीय भावनाओं से भरपूर थी। वह अपराधियों का संहार करता और मासूमों की रक्षा करता था। उनके कॉमिक्स में आधुनिक विज्ञान, अध्यात्म और नैतिक शिक्षा का अद्भुत समावेश था। जम्बू के अतिरिक्त तुलसी कॉमिक्स के अन्य कई पात्रों को भी वेद प्रकाश शर्मा ने साहित्यिक दृष्टि से गढ़ा या संवारा।

🎬 बॉलीवुड कनेक्शन: अक्षय कुमार की ‘खिलाड़ी’ सीरीज़ (Bollywood connection: Akshay Kumar’s ‘Khiladi’ series)
बहुत कम लोगों को ज्ञात है कि अक्षय कुमार की सुपरहिट ‘खिलाड़ी’ फिल्म सीरीज़ की कई कहानियाँ वेद प्रकाश शर्मा के उपन्यासों पर आधारित थीं। शर्मा जी की रचनाएं इतनी जीवंत और सिने-योग्य थीं कि कई उपन्यासों पर फिल्में और धारावाहिक बने:
- ‘बाहु मांगे इंसाफ’ ➝ फिल्म बाहू की आवाज़ (1985)
- ‘अनाम’ ➝ फिल्म Anam (1992)
- ‘खिलाड़ी सीरीज़’:
- सबसे बड़ा खिलाड़ी [Sabse Bada Khiladi] (1995)
- इंटरनेशनल खिलाड़ी [International Khiladi] (1999) – दोनों की स्क्रिप्ट वेद जी के उपन्यासों पर आधारित रही।
- ज़ी टीवी (Zee TV) का धारावाहिक ‘केशव पंडित’ भी उनके प्रसिद्ध पात्र पर आधारित था।

उन्होंने खुद भी कुछ स्क्रिप्ट्स पर परोक्ष रूप से काम किया और पल्प फिक्शन की लोकप्रियता को बॉलीवुड तक पहुँचाया उनके उपन्यासों की सिनेमाई भाषा, तेज़-तर्रार संवाद और टर्निंग प्वाइंट्स फिल्म निर्माताओं के लिए बहुत आकर्षक साबित हुए।
📘 स्मृति पुस्तक – “यादों के आईने में वेद प्रकाश शर्मा” – योगेश मित्तल
प्रसिद्ध प्रेत लेखक योगेश मित्तल द्वारा लिखित यह पुस्तक वेद जी के जीवन की अनछुई झलकियों को सामने लाती है।
- यह पुस्तक Amazon पर उपलब्ध है और पाठकों को उनके निजी जीवन, संघर्ष, सफलता और सादगी के दर्शन कराती है।
- लेखकीय मित्रता, परिवार, प्रकाशन संघर्ष और फिल्मजगत के साथ संबंध, सब कुछ इसमें दर्ज है।

यह पुस्तक उन्हें जानने का एक दुर्लभ और कीमती अवसर प्रदान करती है। योगेश मित्तल जी ने भी सैकड़ों उपन्यास घोस्ट नेम/राइटिंग के माध्यम से प्राकशित किए हैं और वह खुद एक जाने-माने रचनाकार हैं जिन्होंने नॉवेल्स के साथ-साथ कॉमिक्स में भी अपना योगदान दिया है।
🕯 10 जून: एक श्रद्धांजलि
आज जब हम उनके जन्मदिवस (10 जून) पर उन्हें याद करते हैं, तो सिर्फ एक लेखक को नहीं, एक आंदोलन को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
वेद प्रकाश शर्मा हिंदी जन-साहित्य के उस ध्वजवाहक का नाम है, जिसने नायक और खलनायक की परिभाषाएँ बदल दीं, और एक पूरी पीढ़ी को पढ़ने के लिए प्रेरित किया। हिंदी पट्टी के छोटे शहरों, कस्बों और गाँवों में उन्हें एक लोकप्रिय नायक के तौर पर पढ़ा गया, उनके उपन्यासों का अनुवाद कई भारतीय भाषाओं में हुआ और लाखों-करोड़ों की संख्या में उनके उपन्यास बिके!

वेद प्रकाश शर्मा जी केवल लेखक नहीं थे, वो शब्दों के संग्रामी, कॉमिक्स के कल्पनाशील कारीगर और आम जन की आवाज थे। उन्होंने हिंदी भाषा को मनोरंजन, रहस्य और सामाजिक चेतना से जोड़ा। आज भी जब कोई ‘वर्दी वाला गुंडा’ पढ़ता है या ‘जम्बू’ की कॉमिक पलटता है, तो वो सिर्फ कहानी नहीं पढ़ता, एक युग को जीता है। कॉमिक्स बाइट, उपन्यास जगत और कॉमिक्स जगत की ओर से वेद जी को ह्रदय से श्रद्धांजलि और नमन, आपके कार्य सदैव पाठकों के मन में जीवित रहेंगे और आगे भी प्रचारित होंगे, यही तो एक रचनाकार की सच्ची जीत है, उसका अमरत्व है! आभार – मैनाक (कॉमिक्स बाइट)!!
Sade Teen Ghante (Hindi) – Ved Prakash Sharma
