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राज काॅमिक्स विंटेज विज्ञापन: बांकेलाल और भोकाल (Raj Comics Vintage Ad: Bankelal Aur Bhokal)

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राज कॉमिक्स: बाँकेलाल और भोकाल का अद्भुत संग्राम! (Raj Comics Vintage Ad: The Epic Clash of Bankelal and Bhokal!)

Bankelal Aur Bhokal – Raj Comics

वर्ष 2004 का वो साल भारतीय कॉमिक्स प्रेमियों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं था, कोहराम काॅमिक्स प्रकाशित हो चुकी थी और मल्टीस्टार्रर काॅमिक्स फिर से उफान पर थीं। राज कॉमिक्स ने तभी एक ऐतिहासिक विज्ञापन से सबको चौंका दिया! जब हास्य सम्राट बाँकेलाल और महाबली भोकाल पहली बार एक साथ दिखाई दिए! यह सिर्फ एक कॉमिक्स का विज्ञापन नहीं था, बल्कि दो अलग-अलग शैलियों के नायकों का हास्य-रोमांचक संगम था।

पात्रों का मुकाबला (When Two Worlds Collide)

बाँकेलाल, जो हर समय विक्रम सिंह को हटाकर विशालगढ़ का राजा बनने की फिराक में रहता है और भोकाल, जो विकासनगर का रक्षक देवयोद्धा है, एक ही विज्ञापन फ्रेम में खड़े नज़र आए।

राज कॉमिक्स ने इस कल्पना को एक रोमांचक हास्य ट्विस्ट के साथ पेश किया। विज्ञापन में दिखाया गया कि बाँकेलाल ने कोई चाल चलकर भोकाल की शक्ति को अपने अंदर समा लिया है। अब वह न केवल विशालगढ़, बल्कि विकासनगर का भी राजा बनना चाहता है!

इस विज्ञापन में हास्य और वीरता दोनों का अद्भुत मेल था। बाँकेलाल अपने परिचित हैरानी और चतुराई वाले चेहरे के साथ दिखा जहां भोकाल शक्ति उसके पास आ गई, वहीं भोकाल अपने चिर-परिचत अंदाज में महागुरू भोकाल को पुकारता दिखाई पड़ा।

संवाद में बाँकेलाल कहता है –

अबे क्या भोकाल, भोकाल चिल्ला रहा है! देख भोकाल, तो मैं बन गया! अब मैं बनूंगा विशालगढ़ के साथ-साथ विकासनगर का भी राजा!”

यह संवाद अपने समय में काफी लोकप्रिय भी हुआ था। बांकेलाल और उसकी शरारतें कभी समाप्त नहीं होंगी। ही ही ही, वह मारा पापड़ वाले को!

Bankelal Aur Bhokal – Raj Comics

हास्य और रोमांच का संगम (Blend of Humor and Heroism)

बाँकेलाल जहाँ अपनी कुटिल बुद्धि और व्यंग्यपूर्ण हरकतों से पाठकों को हँसाता है, वहीं भोकाल अपनी वीरता, साहस और आदर्शों से प्रेरित करता है।
जब दोनों एक फ्रेम में आए, तो कहानी ने एक नई परत ली , “क्या बाँकेलाल अपने छल में सफल होगा या भगवान भोलेनाथ का श्राप फिर उसके खिलाफ जाएगा?” इस प्रश्न ने पाठकों को रोमांचित कर दिया। हर कॉमिक्स प्रेमी यही सोचने लगा क्या इस बार बाँकेलाल सच में राजा बनेगा?” लेकिन जैसा हम जानते हैं बाँकेलाल की हर चाल का अंत हमेशा ‘कर बुरा हो भला’ पर ही होता है!

निष्कर्ष (Conclusion)

“बाँकेलाल और भोकाल” का यह विंटेज विज्ञापन आज भी राज कॉमिक्स के स्वर्ण युग की याद दिलाता है। अगर आप पुराने राज कॉमिक्स कलेक्टर हैं, तो यह विज्ञापन आपके संग्रह का गौरवपूर्ण पन्ना है। और अगर नहीं हैं तो इसे देखिए, महसूस कीजिए, और याद रखिए – “राज कॉमिक्स सिर्फ कहानियाँ नहीं, भावनाएँ हैं!” – आभार काॅमिक्स बाइट!!

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