कॉमिक्स समीक्षा: विक्रम आदित्य – येलो स्कार्फ किलर – कॉमिक्स अड्डा (Comics Review: Vikram Aditya – Yellow Scarf Killer – Comics Adda)
अड्डा, अक्सर ये नाम दोस्तों के बीच में ज्यादा सुनाई पड़ता है। जहाँ मित्रों का जमघट लगे, लोगों का जमावड़ा हो, जहाँ चाय की चुस्कियों के साथ गपशप चले, किसी खास स्थान पर जब आप बहुधा आमोद-प्रमोद के लिए जाने लगे! ऐसी ही जगहों को ‘अड्डा’ के नाम से संबोधित किया जाता है और जब उसमें किसी विशेष स्थान का नाम जुड़ जाए तो वह ‘अड्डा’ आम जगह से खास जगह बन जाता है जैसे बस अड्डा, हवाई अड्डा या अपना “कॉमिक्स अड्डा” (Comics Adda)। मात्र 4 वर्ष पहले, कोविड काल में उदय हुआ था कॉमिक्स अड्डा का, जिसने बहुत जल्द एक पुस्तक विक्रेता से होते हुए पुस्तक वितरक, और वहां से पुस्तक प्रकाशन के क्षेत्र में अपने पंख फैला लिए। त्रिनेत्र प्रकाशन से तो वह पहले ही ‘सचित्र हनुमान चालीसा’ लेकर आ चुके है एवं अब वह प्रस्तुत है ‘कॉमिक्स अड्डा’ के पहले आधिकारिक कॉमिक्स के साथ जिसका नाम है ‘विक्रम आदित्य’ (Vikram Aditya)।
कॉमिक्स बुक रिव्यु: विक्रम आदित्य – कॉमिक्स अड्डा – (Comic Book Review – Vikram Aditya- Comics Adda)
जय श्री महाकाल मित्रों, कॉमिक्स अड्डा! आज यह नाम कॉमिक्स का पर्याय बन चुका है। कॉमिक्स से जुड़े आपके कोई भी प्रश्न हों, कॉमिक्स अड्डा के पास उसका जवाब जरुर होगा। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में बुल्सआई प्रेस, याली ड्रीम क्रिएशन्स और गार्बेज बिन जैसे प्रकाशकों के साथ मिलकर कई कॉमिक बुक्स और ग्राफ़िक नॉवेल पाठकों तक पहुंचाई है एवं ‘विक्रम आदित्य’ अंक 1 के साथ वह कॉमिक्स की दुनिया में भी दम से अपनी ताल ठोंक रहे है। ‘राजा विक्रमादित्य’ एक चक्रवर्ती सम्राट थे और उनका वर्चस्व उज्जैन नगरी से लेकर कई दूर-दराज के राज्यों तक फैला हुआ था, कॉमिक्स अड्डा प्रकाशन भी बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन (मध्य प्रदेश) से है और विक्रम आदित्य का पहला केस भी उज्जैन नगरी में ही शुरू होता है। दो खोजी पत्रकार अपनी जान जोखिम में डाल कर क्या कर पाएंगे अपने पहले केस को हल? जानने के लिए पढ़ें ‘विक्रम आदित्य: येलो स्कार्फ किलर‘!
कहानी (Story)
कहानी शुरू होती है मुंबई से जहाँ एक इमारत में आग लगी है, भीड़भाड़ और चीख पुकार में एक औरत का बच्चा उसमें फंसा हुआ है, ऐसे में ‘विक्रम’ अपनी जान की बाज़ी लगा कर बच्चे को उस इमारत से बाहर निकाल लाता है। औरत अपने बच्चे को पाकर खुश है लेकिन विक्रम इस जांबाज़ी के चक्कर में झुलस जाता है। उसकी आँख सीधे अस्पताल में खुलती है जहाँ अप्रत्याशित ढंग से उसके ‘बर्न’ वाले जख्म भर जाते है, डॉक्टर भी इसे देखकर आश्चर्यचकित है! कॉमिक्स का पैनल विक्रम के हाँथ पर आकर थम जाता है जिसमें विक्रम का कड़ा दिखाया गया है और हॉस्पिटल बेड में उसके हडबडा कर उठने के पीछे राज है एक सपने का! खैर कहानी आगे बढ़ती जहाँ उसके बॉस विक्रम को थोड़ा कम वीरता दिखाने की समझाइश देते है, क्योंकि विक्रम उनका सबसे भरोसेमंद खोजी पत्रकार है इसलिए वह अगले केस के लिए उसे एक साथी से मिलवाते है जो केस सुलझाने में विक्रम की सहायता करेगा और उसका नाम है ‘आदित्य’। युवा लड़कियों की हत्याएं हो रही है जिसका केंद्र है मध्य प्रदेश का उज्जैन शहर! हत्या की मोडस ओपेरंडी एक जैसी है, कातिल हत्या के बाद लाश के पास एक येलो स्कार्फ छोड़ जाता है, दोनों खोजी पत्रकार अपने बुद्धि एवं कौशल से उसकी कड़ियाँ जोड़ने में लगे है पर केस के साथ-साथ उनके खुद के कई राज खुलने के लिए उनका इंतजार कर रहे है! क्या वो आगे की हत्याएं रोक पाएं, कौन था यह येलो स्कार्फ वाला कातिल और क्या था उसका असली मसकद। होगा सभी रहस्यों का पर्दाफाश जब आप पढेंगे “विक्रम आदित्य और येलो स्कार्फ किलर“!
टीम (Team)
विक्रम आदित्य की परिकल्पना की है श्री नीलेश मकवाणे ने और कहानी को संवारा है लेखक श्री दीपक शर्मा ने। इस कॉमिक्स के आर्टिस्ट है श्री उज्ज्वल भार्गव और इसकी रंगसज्जा भी उन्होंने ही की है। शब्दांकन एंव डिजाईन श्री रविराज ‘बुल्सआई’ आहूजा का है और कॉमिक्स के अवरणों पर अपना कौशल दिखाया है आर्टिस्ट श्री गौरव श्रीवास्तव (अंग्रेजी) और श्री दीपजॉय सुब्बा (हिंदी) ने एवं उनका साथ दिया है रंगसज्जा से श्री मिन्हाज महदी ने। प्रूफ रीडिंग की है श्री अनादि अभिलाष ने और विशेष आभार में श्री रितेश मकवाणे और श्रीमान देवर्षि शर्मा के नाम शामिल है। कॉमिक्स के संपादक है श्री ललित मेहता और प्रकाशक है स्वयं नीलेश जी। देखकर नहीं लगता कि यह कॉमिक्स अड्डा की दूसरी प्रस्तुति है, हिंदी कॉमिक्स का आवरण शानदार बना है और कहानी पढ़कर पता चलता है कि मित्र दीपक जी कॉमिक्स जगत में लंबे समय तक लिखने वाले है।
जय श्री महाकाल दोस्तों सुपरपावर से ही कोई नायक नहीं बनता है। सच्चा नायक वह होता है जो देश की तरक्की, एकता और अखंडता के लिए काम करता है और देश के दुश्मनों के खिलाफ लड़ता है। आइए इस स्वतंत्रता दिवस पर, *विक्रम-आदित्य* के साथ, हम अपने भीतर के नायक को जागृत करें और अपनी मातृभूमि की सेवा में पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ जुट जाएं। जय हिंद!”
कॉमिक्स अड्डा
संक्षिप्त विवरण (Details)
प्रकाशक : कॉमिक्स अड्डा
पेज : 48
पेपर : ग्लॉसी
मूल्य : 299/-
भाषा : हिंदी/अंग्रेजी
कहां से खरीदें : Comics Adda
निष्कर्ष (Conclusion)
विक्रम आदित्य – पहला धमाकेदार अंक! बिलकुल, कॉमिक्स अड्डा ने अपने इस शानदार पेशकश में गेंद सीमा-रेखा से बाहर पहुंचा दी है। इसे पढ़ने के बाद कॉमिक्स अड्डा के आगामी अंकों से अपेक्षाएं काफी बढ़ गई है, मुझे यह कहानी बहुत पसंद आयी और जैसे इसमें कई इतिहास के तत्वों और भारत के पूर्वकालीन विज्ञान का मिश्रण किया गया वह देखते ही बनता है। अपने कार्य में यह कोई नौसिखिए खोजी पत्रकार नहीं बल्कि ‘प्रो’ है जो कॉमिक्स के पृष्ठ दर पृष्ठ आपको बांध लेते है। जासूसी पढ़ने वाले पाठक और प्रशंसक इसे बिलकुल मिस ना करें। चित्रकारी में सुधार की गुंजाईश है, क्योंकि आर्टिस्ट पहले अल्फा कॉमिक्स के किरदार ‘चहल-पहल’ पर कार्य रहे थे तो वही आर्ट स्टाइल आपको विक्रम आदित्य में भी देखने को मिलेगा, कई पृष्ठों में उनका कार्य दर्शनीय है जिससे उनकी संभावना झलकती है। समय के साथ जरुर हमें उनका और प्रशंसनीय कार्य अवश्य देखने को मिलेगा। टीम ने मिलकर कर रैप म्यूजिक की भाषा में कहें तो ‘बैंगर’ डिलीवर किया है जिसे किसी भी कॉमिक्स पाठक को चूकना नहीं चाहिए। कॉमिक्स के अंदरूनी पृष्ठों में कई जगह विशेष कैमियो पात्र भी है जो ‘कॉमिक्स अड्डा’ के जानने वालों को बेहद पसंद आएगा। आगे के अंकों के लिए कॉमिक्स अड्डा की टीम को हार्दिक शुभकामनाएं, आभार – कॉमिक्स बाइट!!
श्री हनुमान चालीसा (सचित्र) | Shree Hanuman Chalisa (Sachitra)